तुम मेरी मुस्कान को देखो
जो तुम्हें देखते ही
इस चेहरे पर खिल उठती है
उन आंसुओं की मत सोचो
जो सालों साल
मैंने चुपचाप पिए हैं..
यह दीपक मैं
तुम्हारे ही लिए जलाए हैं
इनकी लौ में
चले आओ मेरे द्वार तक
नीचे अंधेरों को मत देखो
मैंने अपने सारे ज़ख़्म
वहीं छुपाए हैं..
कुछ रिश्ते
बस मन से जुड़ते हैं
और रहते हैं अनाम
तुम चाहो तो
यह न भी मानो
और
चलते रहो अपनी राह पर
उन फूलों को अनदेखा कर दो
जो मैंने
बेतुकी सी इक उम्मीद पर
हर प्रात:
इस राह पर बिछाए हैं…
- उषा वधवा
यह भी पढ़े: Shayeri
Photo Courtesy: Freepik
Link Copied