पंचतंत्र की कहानी: चालाक लोमड़ी और मूर्ख कौआ (Panchtantra Ki Kahani: The Fox And The Crow)
एक जंगल में एक लोमड़ी रहती थी. वो बहुत ही भूखी थी. वह अपनी भूख मिटने के लिए भोजन की खोज में इधर– उधर घूमने लगी. उसने सारा जंगल छान मारा, जब उसे सारे जंगल में भटकने के बाद भी कुछ न मिला, तो वह गर्मी और भूख से परेशान होकर एक पेड़ के नीचे बैठ गई. अचानक उसकी नजर ऊपर गई. पेड़ पर एक कौआ बैठा हुआ था. उसके मुंह में रोटी का एक टुकड़ा था. कौवे के मुंह में रोटी देखकर उस भूखी लोमड़ी के मुंह में पानी भर आया. वह कौवे से रोटी छीनने का उपाय सोचने लगी. उसे अचानक एक उपाय सूझा और तभी उसने कौवे को कहा, ”कौआ भैया! तुम बहुत ही सुन्दर हो. मैंने तुम्हारी बहुत प्रशंसा सुनी है, सुना है तुम गीत बहुत अच्छे गाते हो. तुम्हारी सुरीली मधुर आवाज़ के सभी दीवाने हैं. क्या मुझे गीत नहीं सुनाओगे ? यह भी पढ़ें: पंचतंत्र की कहानी: दिन में सपने… यह भी पढ़ें: पंचतंत्र की कहानी: सच्चे मित्र कौआ अपनी प्रशंसा को सुनकर बहुत खुश हुआ. वह लोमड़ी की मीठी मीठी बातों में आ गया और बिना सोचे-समझे उसने गाना गाने के लिए मुंह खोल दिया. उसने जैसे ही अपना मुंह खोला, रोटी का टुकड़ा नीचे गिर गया. भूखी लोमड़ी ने झट से वह टुकड़ा उठाया और वहां से भाग गई. यह देख कौआ अपनी मूर्खता पर पछताने लगा. लेकिन अब पछताने से क्या होना था, चतुर लोमड़ी ने मूर्ख कौवे की मूर्खता का लाभ उठाया और अपना फायदा किया.सीख: यह कहानी सन्देश देती है कि अपनी झूठी प्रशंसा से हमें बचना चाहिए. कई बार हमें कई ऐसे लोग मिलते हैं, जो अपना काम निकालने के लिए हमारी झूठी तारीफ़ करते हैं और अपना काम निकालते हैं. काम निकल जाने के बाद फिर हमें पूछते भी नहीं.
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