एक घने जंगल के पास एक नदी बहती थी और उसी जंगल के बीचोंबीच एक तालाब था, जिसमें ढेर सारे मेंढक रहते थे. वो सभी तालाब में ही रहते और खाते-पीते थे. उन्हीं में एक मेंढक अपने तीन बच्चों के साथ उसी तालाब में रहता था. वो खूब खाता-पीता और मस्त रहता था, इसी वजह से उस मेंढक की सेहत अच्छी-खासी हो चुकी थी और वो उस तालाब का सबसे बड़ा और विशाल मेंढक बन चुका था. उस मेंढक को अपने बड़े शरीर पर बड़ा घमंड हो चला था. उसके बच्चे भी उसे देखकर काफी खुश होते थे. उसके बच्चों को लगता कि उनके पिता ही दुनिया में सबसे बड़े, शक्तिशाली और बलवान हैं. वो मेंढक भी अपने बच्चों को अपने बारे में बड़ाई मारनेवाली मनगढ़ंत व झूठी कहानियां सुनाता और उनके सामने शक्तिशाली होने का दिखावा करता था.
समय यूं ही बीत रहा था कि एक दिन मेंढक के बच्चे खेलते-खेलते तालाब से बाहर चले गए और जब वो पास के एक गांव में पहुंचे, तो वहां उनकी नज़र एक बैल पर पड़ी. उसे देखते ही उनकी आंखें खुली की खुली रह गईं. उन्होंने कभी इतना विशाल और बड़ा जीव नहीं देखा था. उनकी ज़िंदगी तो अब तक तालाब तक ही सीमित थी. बाहरी दुनिया से उनका कोई वास्ता नहीं था. इसलिए उस बैल को देखकर वो डर गए. वो बैल तो अपनी धुन में मज़े से घास खा रहा था, लेकिन वो बच्चे चकित होकर उस बैल को देखे जा रहे थे. इसी बीच घास खाते-खाते बैल ने ज़ोर से हुंकार लगाई. बस फिर क्या था, तीनों बच्चे डर के मारे भागकर सीधे तालाब में अपने पिता के पास आ गए. उनके घमंडी पिता ने उनके डर का कारण पूछा, तो उन्होंने अपने पिता को बताया कि आज उनकी आंखों ने क्या देखा. उन्होंने अपने पिता से कहा कि हमने आज आपसे भी बहुत बड़ा, विशाल और ताकतवर जीव को देखा.
बच्चे आगे बोले कि हमको तो आज तक यही लगता था कि आप ही इस दुनिया में सबसे विशाल, बड़े और ताक़तवर हो! यह सुनते ही मेंढक के अहंकार को ठेस पहुंची. उसने एक लंबी सांस भरकर खुद को फुला लिया, ताकि उसका शरीर बड़ा दिखे और अपने बच्चों से कहा क्या वो उससे भी बड़ा जीव था? उसके बच्चों ने कहा, हां वो आप से बहुत बड़ा था.
मेंढक का क्रोध बढ़ गया… उसने ग़ुस्से में आकार और भी ज़्यादा सांस भरकर खुद को फुलाया और फिर पूछा, क्या अब भी वो जीव मुझसे बड़ा था? बच्चों ने कहा, हां पिताजी, ये तो कुछ भी नहीं, वो आपसे कई गुना बड़ा था. मेंढक से यह बात बर्दाश्त नहीं हुई और वो सांस फुला-फुलाकर खुद को गुब्बारे की तरह फुलाता चला गया. फिर एक वक्त आया जब उसका शरीर पूरी तरह फुल गया और वो फट गया और अपने इस झूठे अहंकार के चक्कर में वो अपनी जान से ही हाथ धो बैठा.
सीख: झूठे दिखावे और अहंकार से दूर रहना चाहिए. किसी भी बात का घमंड नहीं करना चाहिए, क्योंकि घमंड करने से कोई लाभ नहीं होता, बल्कि खुद का ही नुकसान होता है, जैसा कि उस घमंडी मेंढक का हुआ. विनम्र रहें और अपनी शक्ति या हुनर का सही इस्तेमाल करें, न कि झूठा दिखावा.
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