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पंचतंत्र की कहानी: लोमड़ी और सारस की दावत (Panchatantra Story: The Fox And The Stork)

एक जंगल में एक चालाक लोमड़ी और सारस रहते थे. दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे. साथ घूमते, साथ ही खाते-पीते थे. सारस लोमड़ी को तालाब से मछली पकड़ कर खाने के लिए देता था. उनके दिन मज़े से कट रहे थे.

सारस बहुत भोला था, पर लोमड़ी शैतान भी थी और चालाक भी. उसे दूसरों का मजाक उड़ाने में बहुत मजा आता था, इसलिए वह हमेशा दूसरों को परेशान करती रहती थी.

एक दिन उसने सोचा कि क्यों न इस भोले से सारस का भी मजाक उड़ाया जाए. उसने सारस को अपने घर दावत पर बुलाया और जान बूझकर खीर एक प्लेट में परोसी. उसे पता था कि सारस प्लेट में खीर को नहीं खा पाएगा, क्योंकि उसकी लंबी चोंच है. उसे इस तरह परेशान देख लोमड़ी मन ही मन बहुत खुश हुई और झूठी चिंता दिखाते हुए सारस से पूछने लगी कि क्या बात है दोस्त, खीर पसंद नहीं आई? जल्द ही लोमड़ी अपनी पूरी खीर चट कर गई और बेचारा सारस मन ही मन ग़ुस्से और अपमान का घूंट पीकर रह गया. पर जाते-जाते सारस ने भी उसे मज़ा चखाने की सोची.

Photo Courtesy: YouTube/HindiMoralStories

कुछ दिन बाद उसने भी लोमड़ी को अपने घर दावत पर बुलाया और उसने भी खीर बनाई. सारस ने दो सुराही में खीर परोस दी और लोमड़ी से खाने को कहा. सुराही ऊपर से पतली थी जिसकी वजह से लोमड़ी कुछ न खा सकी और सारस की अपनी लंबी चोंच से पूरी खीर मज़े से खा गया.

लोमड़ी को एहसास हुआ कि उसने जैसा सारस के साथ किया, खुद उसके साथ भी वैसा ही हुआ. पर वो कुछ बोली नहीं और मन ही मन अपने किए पर पछताने लगी.

सीख: किसी को छोटा या कमजोर मानकर उसका मज़ाक़ उड़ाना या अपमानित करना ग़लत है, हम जैसा करेंगे हमारे साथ भी वैसा ही होगा.

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