बहुत समय पहले की बात है. एक घंटाघर में टींकू चिड़िया अपने माता-पिता और 5 भाइयों के साथ रहती थी. टींकू चिड़िया छोटी और बेहद प्यारी थी. उसके पंख बड़े मुलायम थे. उसकी मां ने उसे घंटाघर की ताल पर चहकना सिखाया था.
उसी घंटाघर के पास ही एक घर भी था, जिसमें पक्षियों से प्यार करने वाली एक भली महिला रहती थी. वह टींकू चिड़िया और उसके परिवार के लिए रोज़ खाना खिलाती थी, वो उनको कभी रोटी तो कभी ब्रेड का टुकड़ा डाल देती थी जिससे उनका पेट भर जाता था.
लेकिन फिर वो महिला बीमार पड़ गई और उसकी मृत्यु हो गई. टींकू चिड़िया और उसका पूरा परिवार उस महिला द्वारा दिए गए खाने पर निर्भर था, लेकिन महिला की मौत के बाद अब उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं था.
लेकिन भूख से बेहाल होने पर टींकू चिड़िया के पिता ने कीड़ों का शिकार करने का फैसला किया. बहुत मेहनत और कोशिश के बाद उन्हें 3 कीड़े मिले, जो परिवार के लिए काफी नहीं थे, क्योंकि उनका परिवार बड़ा था. वे 8 लोग थे, इसलिए उन्होंने टींकू और उसके 2 छोटे भाइयों को खाना खिलाने का निर्णय लिया.
इधर, खाने की तलाश में भटक रही टींकू, उसके भाई और उसकी मां ने एक घर की खिड़की में चोंच मारी, ताकि कुछ खाने को मिल जाए, लेकिन खाना तो दूर की बात है, उस घर के मालिक ने उन पर राख फेंक दी, जिससे उन तीनों का रंग भूरा हो गया.
उधर टींकू के पिता को आख़िरकार बड़ी मेहनत के बाद एक ऐसी जगह मिल गई जहां काफी संख्या में कीड़े थे. अब उनके कई दिनों के खाने का इंतजाम हो चुका था, इसलिए वो खुशी-खुशी ढेर सारे कीड़े लेकर घर पहुंचा, लेकिन वहां कोई नहीं था. घोंसले में किसी को भी न पाकर वो परेशान हो गया था और इतने में ही टींकू चिड़िया, उसका भाई और मां वापस लौटे, लेकिन उन पर राख गिरने के कारण भूरे रंग का होने पर पिता ने उन्हें पहचाना ही नहीं और उन्होंने सबको भगा दिया.
वो लोग निराश हो गए, लेकिन टींकू ने हार नहीं मानी. वो सब के पास के तालाब में गए और नहाकर अपने ऊपर लगी राख हटा दी. तीनों घोसले के पास आकर चहकने लगे, जिससे टींकू के पिता ने उन्हें पहचान लिया और माफी मांगी.
अब सब मिलकर खुशी-खुशी एक साथ रहने लगे. उनके पास खाने की भी कमी नहीं थी, क्योंकि उन्होंने अपनी मेहनत से खाना प्राप्त करना सीख लिया था और अब उनके पास खाने की कोई कमी नहीं थी.
सीख: अपनी ज़रूरतों के लिए कभी भी किसी पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि हम सबको खुद मेहनत करके अपना पेट भरना चाहिए और अपनी ज़रूरतें पूरी करनी चाहिए.