पहला अफेयर: आवाज़ की दुल्हन (Pahla Affair: Awaaz Ki Dulhan)
“उर्दू में ग़ज़ल सीखने के लिए कुछ क़िताबों से देखनी, पढ़नी-समझनी होगी. ज़रा अपना नाम बताएं.” मुझे लगा जैसे उसने मेरी पूरी शख़्सियत को उछाला है. बस ज़रा-सी हिली कि मेरी दुनिया कांधों पर से लुढ़क ज़र्रा-ज़र्रा हो जाएगी. “जी, चांदनी है.” पापा से मालूमात हुई- सलीम नाम से जाने जाते हैं. चुनांचे उर्दू के उस्ताद हैं और उर्दू उनकी ज़ुबान पर फिसलती रहती है. छह माह तक मैं उर्दू की चट्टानों पर सिर पटकती रही, तब कहीं जाकर कुछ पल्ले पड़ा. उनकी पहली ग़ज़ल का मतला था-एक ग़लती कर गया, आ गया तेेरे शहर मेंकट चुके पेड़ थे, बस शोर था तेरे शहर मेंयह ग़ज़ल मुझे बड़ी अटपटी-छटपटी-सी लगी. पेड़ों का कटना फिर शोर! जिस इलाके में मैं रहती हूं, वहां क्या कम शोरगुल होता है? बच्चों की चिल्ल-पों, बुज़ुर्गों की खों-खों.अब सलीम मियां ने एक कव्वाली भी सीखने की हिदायत दी. जैसे मुझे कव्वाल बनना हो. अलबत्ता कव्वाल का तख़ल्लुस (उपनाम) जोड़ा. जब वे कोई ग़ज़ल गुनगुनाते, उनकी पुरसोज़ आवाज़ कमरे में थिरकने लगती. धीरे-धीरे उनकी आवाज़ का जादू, मेरे सिर चढ़ बोलने लगा और मैं उनकी आवाज़ की दुल्हन बन चली. यह जानते हुए भी कि 23 की उम्र पार करने के बाद मेरे लिए रिश्तों का तांता ज़ारी है.उस आवाज़ में ऐसी कशिश थी कि मैं मीलों दूर तक बंधी चली गई. कभी-कभी लगता यह एक ख़ुशनुमा ख़्वाब है. ख़ुदा से बस यही दुआ मांगती कि यह ख़्वाब बिखरने न पाए. यह भी पढ़ें: पहला अफेयर: ख़ामोश-सा अफ़साना
- मीरा हिंगोरानी
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