Close

पहला अफेयर: आकर्षण (Pahla Affair: Akarshan)

Akarshan, attraction, love, affair
पहला अफेयर: आकर्षण ((Pahla Affair: Akarshan)
मैं नौवीं क्लास में पढ़ रही थी. उन दिनों रामलीला का मंचन हो रहा था. बड़ी श्रद्धा से हम रोज़ रामलीला देखने जाते. एक दिन जब राम को युवावस्था में दिखाया गया, तो उनका ओजस्वी, गरिमामय रूप देखकर मैं तो मंत्रमुग्ध हो उन्हें अपलक निहारती रही. दिल में हलचल मच गई. राम का तेजस्वी व्यक्तित्व मुझे हर क्षण विचलित करने लगा. मेरा पढ़ाई में भी मन नहीं लग रहा था. मेरे मन में राम से मिलने की इच्छा प्रबल होने लगी. दादू के कारण रामलीला कमेटीवालों का हमारे घर आना-जाना था. एक दिन अवसर पाकर मैंने राम का जो रोल कर रहे थे, उनके बारे में जानकारी हासिल कर ही ली. हमारे स्कूल के पीछे की बिल्डिंग में ही रामलीला के सारे पात्र रहते थे. यह नियम था कि दस दिन तक सब वहीं रहेंगे, रिहर्सल करेंगे, सात्विक भोजन करेंगे और ज़मीन पर सोएंगे. एक दिन एक सहेली को लेकर मैं वहां पहुंच गई. हमें सबसे मिलवाया गया, लेकिन राम कहां हैं? पता चला राम बारहवीं कक्षा की परीक्षा देनेवाला है, इसलिए पढ़ाई में व्यस्त है. भोजन का समय हो चुका था. सब दरी पर बैठ गए. केले के पत्ते पर खाना परोसा गया. मैं तो राम का ही इंतज़ार कर रही थी. राम को देखा, तो धड़कनें और तेज़ हो गईं, कितना संपुष्ट, बलिष्ट और सुंदर था. सेवा करने के बहाने औरों के साथ-साथ मैंने भी खाना परोसना शुरू कर दिया. राम के पास जाते ही मैंने इशारा कर पूछा राम... “अरे भई, राम तो मैं स्टेज पर हूं, मेरा नाम सत्यम है.” राम बोले. राम के पत्तल पर मैंने दुगुना खाना परोसा, तो उन्होंने बेख़्याली में मेरा हाथ पकड़ लिया, “बस! इतना खाऊंगा, तो मोटा होकर राम की जगह रावण का रोल मिलेगा.” यह भी पढ़ें: पहला अफेयर: तुम ही तो हो मेरी संध्या यह भी पढ़ें: पहला अफेयर: तुमको न भूल पाएंगे मैं इस स्पर्श के सुखद एहसास से सुध-बुध-सी खोती हुई घर लौटी. अब तो यह रोज़ का क्रम बन गया. राम की जूठी पत्तल मैं ज़बर्दस्ती उठाती, इस प्रयास में जो हल्की-सी छुअन और सामीप्य मिलता, मेरे लिए वो अनुभूति ही अनमोल होती. वहां तो सब लोग इसे मेरी आध्यात्मिकता ही समझ रहे थे. एक दिन कमेटी के अंकल ने बताया कि कुछ वर्षों तक हम राम-सीता का ब्याह वास्तविक रूप से कर देते थे. आज सीता स्वयंवर का मंचन था, मेरी बेचैनी चरम पर थी, तो क्या आज राम सीता का हो जाएगा? घर आकर मैं ख़ूब रोई, अगले दिन जब मैं रामायण निवास गई, तो मैंने सीता के कमरे में जाना चाहा, क्योंकि मैंने सुना था कि शादी के बाद पति-पत्नी साथ रहते हैं. इतने में ही अंकल ने एक लड़के को आवाज़ दी, “अरे नवीन, ज़रा इधर आना...” फिर मुझसे बोले, “यह रही सीता.” “पर यह तो लड़का है.” अंकल ने कहा, “हां, लड़के का ही लड़की जैसा मेकअप करते हैं.” मेरी सारी उदासीनता उड़न छू हो गई. लगा जैसे गंगोत्री से ख़ुशियों की गंगा प्रवाहित हो गई. रामलीला समाप्त हो गई, तो मैं पढ़ाई के बहाने राम के घर जाती रही. फिर वो आगे की पढ़ाई के लिए शहर चले गए. पता चला कि राम के गांव में उनकी बहुत बड़ी खेती-बाड़ी है. राम का सपना है फर्टीलाइज़र्स का कारखाना बनवाने का, गांव का विकास करना चाहते हैं. एक दिन राम यानी सत्यम की दादी ने बताया कि सत्यम के दादाजी गांव के सरपंच हैं. यूं तो वहां सभी स्वतंत्र हैं, लेकिन शादी अपनी ही जाति में करनी पड़ती है. दूसरी जाति में शादी करने से जाति की आंतरिक विशेषताएं व गरिमा समाप्त हो जाती है. गांव में पंचायत के ही नियम चलते हैं. एक बार ऐसे ही किसी जोड़े ने गांव से भागकर प्रेम विवाह कर लिया था. पर पंचायत के लठैतों ने उन्हें पकड़ लिया और पंचायत के सामने दोनों को आमने-सामने पेड़ से लटका दिया. मेरा हाथ अचानक गले पर पहुंच गया. अब हम बड़े हो चुके थे, कितना विरोधाभास था हमारे परिवारों में. कहां हम खुली सोच रखनेवाले, कहां वो पुरातनवादी सोचवाले. मैंने आगे सोचना ही बंद कर दिया. आज सालों बीत चुके हैं, फिर भी राम का वो नैसर्गिक रूप मुझे झकझोर देता है.

- रेनू भटनागर

Share this article

https://www.perkemi.org/ Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Situs Slot Resmi https://htp.ac.id/ Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor https://pertanian.hsu.go.id/vendor/ https://onlineradio.jatengprov.go.id/media/ slot 777 Gacor https://www.opdagverden.dk/ https://perpustakaan.unhasa.ac.id/info/ https://perpustakaan.unhasa.ac.id/vendor/ https://www.unhasa.ac.id/demoslt/ https://mariposa.tw/ https://archvizone.com/