चन्द्रहासोज्जवलकरा थाईलवरवाहना कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनीया देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेणनमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
नवरात्रि के छठवें दिन मां कात्यायनी की आराधना की जाती है.
मां कात्यायनी फलदायिनी मानी गई हैं.
हाथ में फूल लेकर देवी को प्रणाम कर उपरोक्त मंत्रोच्चार करना चाहिए.
यदि देवी कात्यायनी की पूरी निष्ठा और भक्ति भाव से पूजा करते हैं, तो अर्थ व मोक्ष की प्राप्ति होती है.
चार भुजाधारी मां कात्यायनी सिंह पर सवार हैं.
इनके एक हाथ में तलवार और दूसरे में कमल है.
अन्य दोनों हाथ वरमुद्रा और अभयमुद्रा में हैं.
* शास्त्रों के अनुसार, कात्यायन ऋषि के घर देवी ने पुत्री के रूप में जन्म लिया, इसलिए इनका नाम कात्यायनी पड़ा.
* इसी रूप में देवी ने महिषासुर दानव का वध किया था, इसलिए मां कात्यायनी को महिषासुरमर्दिनी के नाम से भी जाना जाता है.
* मां कात्यायनी ने महिषासुर से युद्ध के समय अपनी थकान को दूर करने के लिए शहदयुक्त पान का सेवन किया था, इसलिए मां कात्यायनी के पूजन में शहदयुक्त पान ज़रूर चढ़ाना चाहिए.
* इस दिन लाल रंग विशेष रूप से शुभ माना जाता है, इसलिए लाल रंग का वस्त्र धारण करें.
* मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना करने से जीवन की सारी परेशानियां व बाधाएं स्वतः ही दूर हो जाती हैं.
* यदि किसी कन्या के शादी में अड़चनें व परेशानियां आ रही हो, तो उसे मां कात्यायनी का व्रत व पूजन करना चाहिए.
* विद्यार्थियों को मां कात्यायनी की विशेष रूप से पूजा-उपासना करनी चाहिए. इससे शिक्षा के क्षेत्र में सफलता अवश्य प्राप्त होती है.
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