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फिल्म समीक्षाः कड़वी सच्चाइयों का मीठे अंदाज़ में प्रस्तुतिकरण.. अपने ही अपनों को देते हैं ‘वनवास’… (Movie Review: Vanvaas)


रेटिंग: ****

पिता के दर्द की बेजोड़ व्याख्या करती है अनिल शर्मा निर्देशित बेहतरीन फिल्म ‘वनवास’. दीपक त्यागी के क़िरदार में पति और पिता के प्रेम को नाना पाटेकर ने ना केवल जिया है, बल्कि अपनी भूमिका को कालजयी बना दिया है. उनका बख़ूबी साथ दिया उनकी पत्नी बनी विमला, अभिनेत्री ख़ुशबू ने. लंबे समय के बाद ख़ुशबू को देखना अच्छा लगा. पति-पत्नी की प्यारी नोक-झोंक, रोमानियत, बातें, मुलाक़ातें एक अलग ही भावनाओं के बहाव में बहती रहती हैं. सब कुछ सुंदर और भावनाओं से ओतप्रोत हैं. नाना का बार-बार फ्लैशबैक में पत्नी की यादों में खो जाना यादों के झरोखे से… गुनगुनाने के साथ सुखद अनुभूति से भर देता है.

पूरी फिल्म में नाना अपनी पत्नी के प्रति प्यार, तीनों बेटों को लेकर दुलार, उनकी अभिव्यक्ति द्वारा छाए रहते हैं. यूं तो नाना पाटेकर की हर फिल्म ख़ास रहती है, लेकिन लंबे समय बाद उनका इस तरह का लाजवाब अभिनय और लोगों के लिए एक सार्थक संदेश देखने को मिला.

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नाना‌ के अनुसार, वनवास की कहानी हर घर की कहानी है. वनवास की पूरी यात्रा मेरे लिए बहुत ही यादगार रही. यह आज तक की मेरी सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक है!..


वीरू के रोल में उत्कर्ष शर्मा ने भी हर दृश्य में अपनी अदाकारी का लोहा मनवाया है. उनके भी अभिनय के कई रंग देखने मिले. 'ग़दर' फिल्म के बाल कलाकार से लेकर 'ग़दर २' के रोमांटिक-एक्शन के बाद अब यह अलग तरह का उनका अभिनय साबित करता है कि उनमें काफ़ी टैलेंट भरा हुआ है, बस ज़रूरत है अच्छे निर्देशक की. ग़दर २ के बाद सिमरत कौर के साथ एक बार फिर उनकी जोड़ी ख़ूबसूरत लगी है. सिमरत का भी मीना के क़िरदार में इतराना, नृत्य, अदाएं, शौखियां लुभाती हैं.

राजपाल यादव की कॉमेडी कभी हंसाती, तो कभी इमोशनल भी करती है. इसमें नाना पाटेकर से लेकर ख़ुशबू सुंदर, उत्कर्ष शर्मा, सिमरत कौर, राजपाल यादव, अश्विनी कलसेकर, परितोष त्रिपाठी, मनीष वाधवा व राजेश शर्मा सभी ने बढ़िया एक्टिंग की है.


फिल्मों में गानों का पिक्चराइजेशन बेहद उम्दा और आकर्षक रहा है, जो दर्शकों को झूमने से लेकर भावविभोर होने तक को मजबूर करता है. ज़ी म्यूज़िक तले लागा तुमसे मन ओ पिया… सईद कादरी के लिखे गीत के बोल सुंदर होने के साथ मिथुन, पलक मुच्छल और विशाल मिश्रा ने गाया भी क्या ख़ूब है. गीली माचिस… सॉन्ग भी मज़ेदार है. लेकिन सोनू निगम, श्रेया घोषाल, मिथुन का गाया यादों के झरोखे से… गीत भावविभोर कर देता है. जब-जब इसकी गुनगुनाहट स्क्रीन पर आती है, मन को भावनाओं से भर देती है. दिलचस्प पहलू यह भी है कि वनवास में नाना ने भी गाना गाया है.


यूं तो गदर: एक प्रेम कथा, द हीरो- लव स्टोरी ऑफ ए स्पाई, अपने, गदर २ जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों का निर्देशन कर चुके अनिल शर्मा बेमिसाल निर्देशक है इसमें कोई दो राय नहीं. लेकिन लेखक-निर्माता-निर्देशक के रूप में 'वनवास' उनकी अब तक की बेहतरीन फिल्म है. अंत में उन्होंने संकेत भी दिया और हमसे बात करते सहमत भी हुए की वनवास का सेकंड पार्ट भी बनेगा.
निर्माता सुमन शर्मा की वनवास की कहानी को अनिल ने सुनील सिरवैया व अमजद अली के साथ मिलकर लिखा है.

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सिनेमैटोग्राफर कबीर लाल ने दिल जीत लिया. बनारस के घाट, शिमला की वादियां, पालमपुर के मनभावन नज़ारों का छायांकन लाजवाब है. फिल्म में कई ज्वलंत विषयों को भी छुआ है, जैसे डॉक्टरों द्वारा धोखे से किडनी निकालना. वैसे कई जगहों पर अतिशयोक्ति भी है. अंत में नाना का बर्फ़ के गोले का पिंड बनाकर संस्कृत में मंत्रोच्चार करते हुए स्वयं का पिंडदान करना भावुक कर देता है. जी स्टूडियोज़ की वर्ल्डवाइड रिलीज़ 'वनवास' रिश्तों को लेकर ख़ासकर माता-पिता से जुड़ी हमारी भावनाओं को लेकर बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती है और दिल कह उठता है कि अपने ही अपनों को देते हैं ‘वनवास’…
- ऊषा गुप्ता

Photo Courtesy: Social Media

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