फिल्में मनोरंजन के साथ-साथ प्रेरणा और संदेश भी ख़ूब देती हैं, इसी की मिसाल प्रस्तुत करती है अनुपम खेर, ईशा देओल, अदा शर्मा व इश्वाक सिंह स्टारर ‘तुमको मेरी क़सम’. विक्रम भट्ट के सशक्त निर्देशन में बनी यह फिल्म सच्ची घटना पर आधारित है. इंदिरा आईवीएफ के संस्थापक रहे डॉ. अजय मुर्डिया के जीवन पर बेस्ड है मूवी.
फिल्म में अनुपम खेर ने डॉ. अजय की भूमिका को शिद्दत से जिया है. यह और बात है कि डॉ. के युवावस्था का क़िरदार इश्वाक सिंह ने भी निभाया है. इनका बख़ूबी साथ दिया पत्नी इंदिरा बनी अदा शर्मा ने. साथ ही कोर्ट रूम के दांव-पेंच के साथ बेहद प्रभावित करती हैं एडवोकेट के रूप में ईशा देओल.

देश में आईवीएफ को ऊंचाई और पहचान देने के लिए राजस्थान के डॉ. अजय मुर्डिया को सभी प्रेरणास्त्रोत के रूप में देखते हैं. लेकिन एक ऐसा भी समय उनकी ज़िंदगी में आया था जब उन्हें अपने नाम और काम की साख बचाने के लिए लंबी क़ानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी थी. उनकी पत्नी के नाम पर जब उन्होंने इंदिरा आईवीएफ की शुरुआत की थी तब उन्हें अच्छा प्रतिसाद मिला था. लेकिन अपने ही पूर्व सहयोगी राजीव खोसला के विश्वासघात से उनका क्लिनिक न केवल ख़तरे में पड़ जाता है, बल्कि उन पर हत्या का इल्ज़ाम भी लग जाता है. क्या डॉ. अजय ख़ुद को निर्दोष साबित कर पाते हैं? क़ानूनी मकड़जाल से निकलते हैं? कैसे..? ये सब जानने के लिए फिल्म देखनी पड़ेगी.

विक्रम भट्ट रोमांटिक, डरावनी, सस्पेंस, मर्डर मिस्ट्री जैसी फिल्में बनाने के लिए मशहूर हैं. लेकिन इस बार उन्होंने ख़ुद को लेकर नया प्रयोग किया. सच्ची घटना पर आधारित डॉ. अजय के नेक काम, दर्द और संघर्ष को साफ़-सुथरे ढंग से बड़े पर्दे पर दिखाने की सराहनीय कोशिश की और यक़ीनन वे इसमें कामयाब भी हुए.
दरअसल, डॉ. अजय निःसंतान दंपतियों के लिए उम्मीद की किरण बनकर आए थे. जो कपल्स पैरेंट्स नहीं बन पा रहे थे. उनकी आईवीएफ तकनीक के ज़रिए बच्चे का सुख प्राप्त करने लगे थे.

उदयपुर में छोटे से क्लिनिक से उनकी यह सार्थक पहल धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगी और फलने-फूलने लगी. मां नहीं बन पा रही महिलाओं के लिए उनकी यह तकनीक संजीवनी साबित हुई. लेकिन उनके नाम, शौहरत पर तब धक्का लगा, जब उनके फर्टिलिटी क्लिनिक इंदिरा आईवीएफ को सेक्स क्लिनिक कह दुष्प्रचार किया जाने लगा. उनकी ज़िंदगी के विभिन्न पहलुओं को बेहतरीन अंदाज़ में दिखाया गया है.

अनुपम खेर से लेकर ईशा देओल तक सभी कलाकारों ने लाजवाब अभिनय किया है. सुशांत सिंह, शुभंकर दास, दुर्गेश कुमार, मेहरान माजदा, मनमीत सिंह साहनी व नाज़िया सैयद हसन ने भी अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है.
इंदिरा एंटरटेनमेंट के बैनर तले बनी ‘क़रीब पौने तीन घंटे की ‘तुमको मेरी क़सम’ थोड़ी बड़ी बन गई, जिसे एडिट किया जा सकता था. लेकिन फिर भी फिल्म बांधे रखती है, ख़ासकर कोर्ट के दृश्य.
प्रतीक वालिया का संगीत सुमधुर है. नीति मोहन-प्रतीक वालिया की आवाज़ में इश्क़ा इश्क़ा... और तेरे दम से... गाने अच्छे बन पड़े है. नरेन ए गेडिया का छायांकन बढ़िया है. अच्छी और सच्ची फिल्म देखनेवालों को इसे ज़रूर देखना चाहिए.
- ऊषा गुप्ता
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