
यह ज़रूरी नहीं की नाम पर ही फिल्में सफल हो जाए, ऐसा ही हुआ है सलमान खान की फिल्म 'सिकंदर' के साथ. एआर मुरुगादॉस के निर्देशन में एक और फ्लाप फिल्म. इसके टीजर और ट्रेलर से तो फैंस ने काफ़ी मंसूबे पाल रखे थे, लेकिन रिलीज़ होने पर वही ढाक के तीन पात.

सलमान राजकोट के राजा हैं और इतने अधिक उदार की एक नारी की मदद की ख़ातिर ख़ुद से तीस साल से भी अधिक छोटी से शादी कर लेते हैं. वैसे हक़ीक़त में भी रश्मिका मंदाना के साथ उनकी जोड़ी को लेकर इसी पर काफ़ी कमेंट्स किए जा रहे हैं.
उनके दुश्मन बने हैं सत्यराज और उनका बेटा प्रतीक बब्बर. उनके अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिए उनसे सलमान पंगा ले लेते हैं. और आमतौर जैसे की उनकी फिल्मों में होता है मारधाड़-एक्शन, लेकिन वो भी इस फिल्म में चल नहीं पाया. तीन-तीन एक्शन डायरेक्टर होने के बावजूद एक्शन में वो दमखम नहीं दिखाई दिया. समीर के गीत और प्रीतम के संगीत भी अपना जादू नहीं चला पाए. साजिद नाडियाडवाला के ग्रैंडसन नडियाडवाला एंटरटेनमेंट के बैनर तले बनी 'सिकंदर' फिल्म के मुकद्दर का सिकंदर साबित नहीं हो पाई.

अभिनय की बात करें तो सलमान खान, रश्मिका मंदाना से लेकर काजल अग्रवाल, शरमन जोशी, सत्यराज तक कोई कमाल नहीं कर पाए. एक्टिंग जब ओवरएक्टिंग होने लगती है तब कोफ़्त सी होने लगती है. शुरुआत में धीमी और बाद मे कशमकश वाली स्थिति फिल्म, कलाकार और उनके अभिनय के साथ रही. अफ़सोस ईद पर फिल्म के रूप में ईदी देनेवाले सलमान खान ने अपने प्रशंसकों को निराश ही किया.

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