कलाकारः अनुपम खेर, अक्षय खन्ना, सुजैन बर्नर्ट, अर्जुन माथुर, आहना कुमरा
निर्देशकः विजय रत्नाकर गुट्टे
स्टारः 2.3
कहानी
फिल्म की कहानी पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार संजय बारू की किताब 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' पर आधारित है. मूवी की शुरुआत होती है साल 2004 से. इसी साल एनडीए को हराकर कांग्रेस की गठबंधन सरकार यूपीए ने आम चुनाव जीता था. चुनाव के बाद तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (सुजैन बर्नेट) पीएम बनने से इंकार कर देती हैं और पूर्व वित्त मंत्री मनमोहन सिंह (अनुपम खेर) को पीएम बनाती हैं. फिल्म का पहला हाफ काफ़ी दिलचस्प है. इसमें दिखाया गया है कि कैसे कोमल स्वभाव के पीएम कैसे सभी चीज़ें कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं. इसमें उनका साथ देते हैं मीडिया एडवाइजर और पत्रकार संजय बारू (अक्षय खन्ना). बारू पीएम के भाषण लिखते हैं. इसके बाद पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू बुश के साथ न्यूक्लियर डील की बातचीत. इसके बाद लेफ्ट पार्टी का सरकार से से सपोर्ट खींचना, पीएम को कटघरे में खड़े किए जाना. इसके अलावा पार्टी हाईकमान की तरफ से लगातार आता प्रेशर. ये सभी फिल्म का एक अहम् हिस्सा हैं. फिल्म में दिखाया गया है कि सोनिया गांधी और उनके चहेते सपोर्टर्स द्वारा 10 साल के UPA सरकार में मनमोहन सिंह को हर वक़्त नीचा दिखाया जाता है.
क्या देखें?
निर्देशक विजय रत्नाकार गुट्टे की फिल्म उस ख़ास दर्शक वर्ग के लिए है, जो राजनीति में गहरी रुचि रखता है. आम लोगों के लिए इसे समझना काफ़ी मुश्क़िल है. फिल्म में दर्शाए गए रेफरेंस को ध्यान से देखने की ज़रूरत है. दर्शकों को वे पीएमओ की ऐसी दुनिया में ले जाते हैं, जिसका उसे अंदाजा तो है, मगर वह उससे परिचित नहीं है. फिल्म की कहानी बहुत ही सपाट है. रोमांचक टर्न्स एंड ट्विस्ट की कमी खलती है. मुख्य कलाकारों को छोड़कर सहयोगी चरित्रों का समुचित विकास नहीं किया गया है. कई जगहों पर फिल्म एक ही सेट अप के कारण बोर करने लगती है, मगर डार्क ह्यूमर आपका मनोरंजन भी करता है.
एक्टिंग
अक्षय खन्ना ने अपनी एक्टिंग से साबित कर दिया है कि क्यों वह इस रोल के लिए परफेक्ट हैं. वहीं, दूसरी तरफ अनुपम खेर भी किरदार में इस कदर रम गए हैं कि एक वक्त के बाद आप एक्टर नही किरदार को ही देखेंगे.जर्मन ऐक्ट्रेस सुजैन बर्नर्ट ने सोनिया गांधी के लुक को अच्छी तरह अपनाया है. वहीं, प्रियंका गांधी के रोल में अहाना कुमरा और राहुल गांधी के रोल में अर्जुन माथुर को ज़्यादा सीन्स नहीं मिले हैं. इसके अलावा महत्वपूर्ण सीन्स में असल फुटेज का इस्तेमाल किया गया है.
निर्देशन
विजय रत्नाकार गुट्टे का निर्देशन ढीला-ढाला है. कैमरा वर्क कुछ नया ऑफर नहीं करता, बल्कि एडिटिंग कहीं-कहीं भटकी हुई भी नज़र आती है. वहीं फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक भी बेकार है जो नैरेटिव को फीका कर देता है.
एक्सी़डेंटल प्राइम मिनिस्टर के अलावा इस हफ़्ते बटालियन 609, रंगीला राजा, फलसफा और 706 रिलीज़ हुई हैं.
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