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Movie Review: एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा (Movie Review Of Ek Ladki Ko Dekha Toh Aisa Laga)
स्टार कास्ट: अनिल कपूर, जूही चावला, राजकुमार राव, सोनम कपूर, सीमा पाहवा, रेजिना कैसैंड्रा, बृजेंद्र काला, कंवलजीत आदि.
निर्देशक: शैली चोपड़ा
निर्माता: विधु विनोद चोपड़ा
स्टारः 3
यह फिल्म समलैंगिता जैसे संवेदनशील मुद्दे पर आधारित है. इस फिल्म में लेखक और निर्देशक ने ऐसे रिश्ते को कहानी में पिरोया है, जिसे कानून ने मान्यता तो दे दी है, मगर समाज अभी भी हेय दृष्टि से देखता है. समाज समलैंगिकता को कुदरती समझने के बजाय बीमारी की निगाह से देखता है.
कहानीः यह कहानी है मोगा में रहने वाले बलबीर चौधरी (अनिल कपूर) की जो अपनी बेटी स्वीटी (सोनम कपूर) की शादी के लिए लड़की ढूंढ रहा है और उसके लिए समाज की शादियां और शादी कराने वाली वेबसाइट का भी सहारा लिया जा रहा है. ऐसे में एक नाटककार साहिल मिर्जा (राजकुमार राव) को उससे प्यार हो जाता है और ढेर सारी घटनाओं के उतार-चढ़ाव के बाद साहिल को पता चलता है कि स्वीटी को कुहु (रेजिना कैसैंड्रा) से प्यार है. यहां वह जानता है कि स्वीटी समलैंगिक है. ऐसे में समाज और परिवार को समझाने में साहिल स्वीटी का मददगार बनता है.
एक्टिंगः फिल्म में सभी किरदारों ने अच्छा अभिनय किया है. फिल्म में अनिल कपूर की केमेस्ट्री सोनम कपूर और राजकुमार राव के साथ बहुत मजेदार है, लेकिन जब अनिल कपूर और जूही चावला साथ आते हैं तब एक अलग ही मोमेंट बन जाता है. जूही चावला अपनी कॉमिक टाइमिंग से फिल्म को राहत देती हैं. जूही और अनिल को लंबे अरसे बाद परदे पर देखना अच्छा लगता है. रेजिना का चरित्र उथला-उथला लगता है. सपॉर्टिंग कास्ट में मधुमालती कपूर, सीमा पाहवा, बृजेंद्र काला और अभिषेक दुहान ने अच्छा काम किया है.
निर्देशनः निर्देशक शैली धर चोपड़ा की यह पहली फिल्म है. जहां तक निर्देशन की बात है, तो फिल्म फर्स्ट हाफ में धीमी गति से आगे बढ़ती है, मगर सेकंड हाफ में जब यह मुद्दे पर आती है तो दिलचस्प होने के साथ-साथ संवेदनशील भी हो उठी है. फिल्म का स्क्रीनप्ले सुस्त है और क्लाइमैक्स फिल्मी होने के साथ-साथ प्रिडिक्टेबल भी. लेखक-निर्देशक सोनम-रेजीना की रिलेशनशिप ट्रैक को और गहराई देती, तो फिल्म आला दर्जे की बन सकती थी.
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