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फिल्म समीक्षा: सनी देओल की ‘जाट’ ने मचाया हर तरफ़ गदर… (Movie Review: Jaat)

सनी देओल की बुलंद आवाज़ और एक्शन के दीवानों के लिए बेहतरीन तोहफ़ा है जाट फिल्म. कैसे एक व्यक्ति अन्याय के ख़िलाफ़ अकेले ही सभी से टक्कर लेते चला जाता है, देखना दिलचस्प है. अपनी गदर 2 की धमाकेदार सफलता के बाद सनी देओल ने जाट के ज़रिए अपना लाजवाब दमखम दिखाया है.

मैं जाट हूं, सिर कटने के बाद भी हथियार नहीं छोड़ता... एक से एक प्रभावशाली संवाद जहां फिल्म को गति देते हैं, वहीं दर्शकों को भी रोमांचित करते हैं. भ्रष्टाचार मिटाने, अन्याय के ख़िलाफ़ लड़ने, महिलाओं-बुज़ुर्ग की मदद की ख़ातिर इस जाट ने हथियार उठाया है और हर किसी को इंसाफ़ दिलाने की जी तोड़ कोशिश भी करता है.

दक्षिण के निर्देशक गोपीचंद मलिनेनी ने फिल्म को धमाकेदार बनाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी. अच्छाई की बुराई पर जीत हमेशा से ही होती रही है, फिल्म का सार यही है.

कहानी साल 2009 से श्रीलंका के हिंसाग्रस्त जंगलों से होती हुई भारत पहुंचती है. राणातुंगा, रणदीप हुड्डा भाई सोमुलु, विनीत कुमार सिंह के साथ ईस्ट कोस्ट में सोने की तस्करी द्वारा अपराध की लंका बसा लेते हैं. रणदीप और विनीत दोनों ने बढ़िया खलनायकी दिखाई है. सनी के साथ उनकी जद्दोज़ेहद देखते ही बनती है. उस पर रेसिना कैसेंड्रा ने भी विलेन के रूप में अपनी अलग साख जमाई है. पुलिस की भूमिका में सैयामी खेर ने भी प्रभावित किया है.

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सनी देओल की ख़ास फैन फॉलोइंग है, जो उन्हें एक्शन में देखना विशेष तौर पर पसंद करती है. उनके लिए वही सब मसाला पूरी फिल्म में है. इसलिए तो तीन-तीन एक्शन डायरेक्टर को आज़माया गया है. उर्वशी रौतेला का आइटम सांग भी फिल्म का ख़ास आकर्षण है.

कहानी गोपीचंद मलिनेनी ने साई माधव बुर्रा व सौरभ गुप्ता के साथ मिलकर लिखी है. निर्माताओं की तो पूरी फौज है, जिसमें रवि शंकर, नवीन येरनेनी, यलंमचिल, टी जी विश्‍व प्रसाद व उमेश कुमार बंसल हैं.

मैत्री मूवी मेकर्स, पीपल मीडिया फैक्ट्री, जी स्टूडियोज़ के बैनर तले बनी जाट की ओपनिंग शानदार रही है.

फिल्म की जान सनी देओल हैं. अपने सशक्त अभिनय और एक्शन से वे हर सीन में जान फूंक देते हैं. अन्य कलाकार रेजिना कसांड्रा, रणदीप हुड्डा, विनीत कुमार सिंह, सैयामी खेर, अजय घोष, दयानंद शेट्टी, मुरली शर्मा, विशिका कोटा, जरीना वहाब, राम्या कृष्णन, जगपति बाबू, उपेंद्र लिमये, प्रणिता पटनायक, बबलू पृथ्वीराज, आयशा खान, बांधवी श्रीधर, दौलत सुल्ताना, प्रणिता पटनायक सभी ने अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया है. थमन एस का संगीत ठीक ठाक है.

फिल्म को रिस्पॉन्स अच्छा मिल रहा है. इसके बावजूद निर्माताओं ने सेफ गेम खेलते हुए इसके ओटीटी राइट्स नेटफ्लिक्स को दे चुके हैं.

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क़रीब पौने तीन घंटे की फिल्म यूं तो कहीं पर भी बोरियत का एहसास नहीं होने देती, फिर भी थोड़ी छोटी की जा सकती थी.

जाट सिस्टम के ख़िलाफ़ एक सीधे पर ज़बर्दस्त शख़्स की गदर की पैरवी करता है. इसमें कोई दो राय नहीं कि सनी के डायलॉग के साथ-साथ उनकी ख़ामोश आंखें भी ख़ूब बोलती हैं, जो सनी के फैंस को क्रेजी कर देंगी.

Photo Courtesy: Social Media

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