मूवी रिव्यू- गोल्ड ने किया सबको बोल्ड (Movie Review- Gold- Awe- Inspiring And Power-Packed)
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अक्षय कुमार की गोल्ड हॉकी खेल में भारत के सुनहरे दौर की कहानी है. आज़ादी के बाद जब देश ने साल 1948 में अपना पहला ओलिंपिक गोल्ड लंदन के वेंबले स्टेडियम में जीता था. इसके पहले अंग्रेज़ों का देश पर राज था और हम उनके लिए खेलते थे. इसमें कोई दो राय नहीं कि फिल्म देश के गर्व से जुड़ी हुई है. किस तरह हॉकी टीम के कोच बने अक्षय और सभी खिलाड़ी अपने देश के लिए पहला स्वर्ण पदक जीतना चाहते हैं और उसके लिए सब एकजुट होकर संघर्ष करते हैं.
एक्सेल एंटरटेनमेंट के बैनर तले बनी गोल्ड मूवी इतिहास के पन्नों में दर्ज एक सच्ची घटना पर आधारित है. इसकी कहानी साल 1936 से लेकर 1948 के बीच की है.
रीमा कागती का बेहतरीन निर्देशन फिल्म को नई ऊंचाइयां देती है. अक्षय कुमार-मौनी रॉय के अलावा सभी कलाकारों ने लाजवाब अभिनय किया है.
अक्षय कुमार इसमें भारतीय हॉकी टीम के मैनेजर तपन दास की भूमिका में अपने शानदार अभिनय से हर किसी का दिल जीत लेते हैं. उनकी पत्नी की भूमिका में मौनी रॉय पहली बार टीवी से फिल्मों में पर्दापण कर रही हैं.
अमित साध, कुणाल कपूर, अंगद बेदी, विनीत कुमार सिंह, सन्नी कौशन, निकिता दत्ता, भावशील सिंह सहानी, जतीन सरना, अब्दुल कादिर अमिल भी अहम् भूमिका में है. हर किसी ने अपने क़िरदार के साथ न्याय किया है.
आज़ादी के बाद पहला गोल्ड मेडल जीतने के बाद सभी का जश्न मनाना, हर किसी के दिलोदिमाग़ में जीत के जज़्बे और देशभक्ति के भाव को रोमांच से भर देता है.
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गोल्ड के निर्माता रितेश सिधवानी और फरहान अख़्तर की यह पहल क़ाबिल-ए-तारीफ़ है. उस पर जावेद अख़्तर के प्रभावशाली संवाद फिल्म को और भी जानदार बनाते हैं. राजेश देवराज की पटकथा व कहानी फिल्म की जान हैै. संगीत का जादू सचिन-जिगर, तनिष्क बागची और आक्रो पार्वो मुखर्जी ने बिखेरा है.
स्वतंत्रता दिवस पर रिलीज़ आज़ादी के उमंग-उत्साह को दुगुना कर देती है यह फिल्म. जितने बाजू उतने सर देख ले दुश्मन जान के... हारेगा वो हर बाज़ी जब हम खेले जी जान से... इस गीत को सार्थक करती है फिल्म गोल्ड.