रेटिंग: ***
राजनीति के दांव-पेंच और कुर्सी की लालच नेताओं से क्या कुछ करा देती है इसका बढ़िया उदाहरण है गेम चेंजर. अभिनेता राम चरण अपने पूरे उफ़ान पर हैं. एक्शन हो, किराया आडवाणी के साथ रोमांटिक सीन हो या फिर इमोशनल हर जगह वे गहरी छाप छोड़ते हैं. उस पर दोहरी भूमिका मानो सोने पर सुहागा.
राम का अपने प्यार को पाने के लिए आईपीएस से आईएएस बनना, एक ईमानदार अधिकारी का बेईमान राजनेता के साथ क़ानूनी व राजनीति लड़ाई, संविधान से जुड़े पहलू, कई महत्वपूर्ण जानकारियां भी देती है गेम चेंजर, इसके लिए निर्देशक एस शंकर बधाई के पात्र हैं.
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मुख्यमंत्री बनने के दीवाने जे एस सूर्या के साथ राम का नहले पर दहला करना, ईंट का जवाब पत्थर से देने वाला अंदाज़ दर्शकों को लुभाता है. राजनीति किस कदर एक अच्छे-भले इंसान को हिंसक बना देती है, यह बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करता है.
राम चरण के साथ कियारा आडवाणी की केमिस्ट्री सु़दर है. उन पर फिल्माया गए गाने के लोकेशंस, फोटोग्राफी व कोरियोग्राफी लाजवाब है. फिल्म का एक्शन ज़बर्दस्त है. वीएफएक्स का बेहतरीन इस्तेमाल किया गया है और कई चीज़ें तो अविश्वसनीय सी लगती हैं.
मनोरंजन, मारधाड़ और राजनीति के उतार-चढ़ाव के साथ फिल्म में एक अच्छा मैसेज भी दिया गया है. जो लोग चुनाव में वोट नहीं देते उनको लेकर एक प्रेरणादाई संदेश है. कई ऐसे मुद्दे भी दिखाए गए हैं, जिस पर सरकार को भी गौर करना चाहिए. कह सकते हैं, राजनीति के काले कारनामे, भ्रष्टाचार व चुनाव जीतने को लेकर अति को बहुत ही गति के साथ दिखाया गया है.
राम चरण, एस जे सूर्या, कियारा आडवाणी, अंजलि, श्रीकांत, जयराम, सुनील व वेनेला किशोर हर किसी ने अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है. सिनेमैटोग्राफी जानदार है. कार्तिक सब्बराज की लेखनी और पटकथा प्रशंसनीय है. पैन इंडिया द्वारा रिलीज़ क़रीब पौने तीन घंटे की गेम चेंजर इंटरटेनमेंट करने के साथ बहुत कुछ दिखला और समझा जाती है.
- ऊषा गुप्ता
Photo Courtesy: Social Media
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