Close

फिल्म समीक्षाः इमरजेंसी- निर्देशन के साथ इंदिरा के रूप में कंगना रनौत की बेमिसाल अदाकारी… (Movie Review: Emergency)

रेटिंग: ****

कहानी, निर्देशन के साथ-सास इंदिरा गांधी की भूमिका में कंगना रनौत ने अब तक की अपनी सबसे बेहतरीन अदाकारी प्रस्तुत की है. ‘इमरजेंसी’ फिल्म के ज़रिए कंगना ने विरोधियों को मुंह तोड़ जवाब दिया है कि एक अकेली नारी है सबसे भारी…
फिल्म की शुरुआत में इंदिरा के बचपन से जो उनके रिश्तों की उलझन शुरू होती है, वो ताउम्र बनी रहती है कभी बुआ-पिता के रूप में तो कभी पति-बेटे के रूप में. पहली बार भारत देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जीवन के कई अनछुए पहलुओं को उजागर करने प्रशंसनीय कोशिश की है अभिनेत्री कंगना रनौत ने. अपने इस प्रयास में वे काफ़ी हद तक सफल भी रही हैं.
किस तरह बारह साल की उम्र में ही संवेदनशील इंदु को बुआ विजय लक्ष्मी का मां के साथ उपेक्षित व्यवहार रास नही आता. पिता जवाहर लाल नेहरू से शिकायत करने पर भी अपेक्षित आश्‍वासन न मिलने पर दादाजी से जीवन का पाठ जानने-समझने मिलता है बालिका इंदिरा को.


देश के कई राजनीतिक घटनाक्रम के साथ पूरी फिल्म फ्लो में बहती चली जाती है. दर्शक गण मंत्रमुग्ध हो इतिहास के हर पन्ने को जीते हुए महसूस करते हैं. देश की आज़ादी से लेकर, चीन का असम पर कब्ज़ा करने की कोशिश, लाल बहादुर शास्त्री की आकस्मीक मृत्यु, इंदिरा गांधी की राजनीति की ऊंचाइयों को छूना, प्रधानमंत्री के रूप में कई कड़े फ़ैसले- फिर वोपाकिस्तान के साथ युद्ध कर बांग्लादेश को आज़ादी देना हो, ऑपरेशन ब्लू स्टार, आपातकाल हो या फिर आत्म ज्ञान के लिए जे. कृष्णमूर्ति की शरण में ही जाना क्यों ना हो.


फिल्म में पक्ष-विपक्ष के रिश्तों को भी बेहद ख़ूबसूरती से दर्शाया गया है. किस तरह संकट की घड़ी में इंदिरा जी का साथ अटल बिहारी वाजपेयी देते हैं, वो आज के नेताओं के लिए प्रेरणादायी है. अटलजी की भूमिका में श्रेयस तलपड़े जंचते हैं.


जयप्रकाश नारायण के क़िरदार को अनुपम खेर बख़ूबी जीते हैं. उनका अभिनय, संवाद अदायगी एक अलग स्तर पर ले जाता है. इंदिरा जी की क़रीबी पुपलु की रोल में महिमा चौधरी ने कमाल का अभिनय किया है. आर्मी चीफ सैम मानेक शॉ के छोटे से रोल में मिलिंद सोमन का आभामंडल प्रभावशाली है. जगजीवन राम जैसे दिग्गज नेता के प्रभाव को सतीश कौशिक ने प्रभावशाली ढंग से निभाया है. एक बेहतरीन कलाकार को हमने वक़्त से पहले खो दिया, इसका ग़म सदा रहेगा.


आज नेशनल सिनेमा डे का जश्‍न मनाते हुए फिल्म के टिकट की क़ीमत मात्र 99 रुपए रखी गई है, जिसका फ़ायदा उठाते हुए हर कोई फिल्म का भरपूर लुत्फ़ उठा सकता है.

यह भी पढ़ें: सैफ अली खान से पहले क्या निशाने पर थे शाहरुख खान? ‘मन्नत’ की हुई थी रेकी, लेकिन टाइट सिक्योरिटी की वजह से साजिश हो गई नाकाम (Was Shahrukh Khan Target Before Saif Ali Khan? Man tried to Enter in ‘Mannat’, But Conspiracy Failed Due to Tight Security)


तेत्सुओ नागाटा की सिनेमैटोग्राफी लाजवाब है. कास्टयूम डिज़ाइनर शीतल इकबाल शर्मा ने देश के उस दौर पर बारीकी से ध्यान देते हुए वेशभूषा रचना में अपनी प्रतिभा का भरपूर इस्तेमाल किया है. प्रोस्फेटिक डिज़ाइनर डेविड मैलिनोवस्की का काम काबिल-ए-तारीफ़ है. साउंड में निहार रंजन सामल बाजी मार ले जाते हैं. संगीत में संचित बल्हारा, अंकित बल्हारा, जी. वी. प्रकाश कुमार ने सुमधुर के साथ वीर रस से ओतप्रोत संगीत की बानगी पेश की है. कंगना रनौत, अक्षत रनौत, समीर खुराना, रेनू पिट्टी और उमेश बसंल की टीम ने देशवासियों को एक उत्कृष्ट फिल्म दी है इसमें कोई दो राय नहीं है.


इमरजेंसी रिलीज़ से पहले तमाम विवादों से होकर गुज़री, लोगों को भी ख़ूब इंतज़ार करवाया. लेकिन कहते हैं ना सब्र का फल मीठा होता है. आज जब फिल्म दर्शकों के बीच है तब हर कोई कह रहा है मानो इंडिया यानी इंदिरा… इंदिरा यानी इंडिया… कंगना रनौत बधाई की पात्र हैं, जो उन्होंने तमाम विरोध, अवरोध, प्रतिकार के बावजूद डटी रही अपने लक्ष्य पर. कंगना और इंदिरा को समझने के लिए इमरजेंसी ज़रूर देखनी चाहिए.

- ऊषा गुप्ता

Photo Courtesy: Social Media

अभी सबस्क्राइब करें मेरी सहेली का एक साल का डिजिटल एडिशन सिर्फ़ ₹599 और पाएं ₹1000 का गिफ्ट वाउचर.

Share this article