मूवी रिव्यू- बधाई हो: सचमुच बधाई की पात्र है (Movie Review- Badhai Ho: A Well-Deserving And Applause-Worthy Film)
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पहली बार किसी अछूते विषय पर मनोरंजन से भरपूर फिल्म बनी है. इसके लिए फिल्म के निर्देशक अमित रविंद्रनाथ शर्मा बधाई के हक़दार है. कौशिक परिवार में तब भूकंप आ जाता है, जब दो युवा बच्चों की मां नीना गुप्ता के दोबारा मां बनने का पता चलता है. बड़ा बेटा नकुल यानी आयुष्मान खुराना अपनी गर्लफ्रेंड सान्या मल्होत्रा के साथ शादी करने की प्लानिंग कर रहा है, उस पर उसके लिए मां के मां बनने की ख़बर किसी सदमे से कम नहीं होती.
कौशिक परिवार के मुखिया गजराज राव ने लाजवाब अभिनय किया है. नीना गुप्ता के साथ उनकी जुगलबंदी देखते ही बनती है. नीनाजी की भाव-भंगिमाएं, प्रतिक्रियाएं, संवाद अदायगी दर्शकों को बांधे रखती है. आयुष्मान खुराना तो हमेशा की तरह ज़बर्दस्त व लाजवाब लगे हैं. इस तरह की भूमिकाओं के साथ वे पूरा न्याय करते हैं. उनकी दादी के रूप में बहुत समय बाद सुरेखा सिकरी को पर्दे पर देखना सुखद लगा. बेटे को लेकर शर्मिंदगी, समाज की आरोप-प्रत्यारोप का डर उन्हें हरदम परेशान करता रहता है. सान्या मल्होत्रा ख़ूबसूरत लगी हैं. कमोबेश हर कलाकार ने अपनी भूमिका को बेहतरीन तरी़के से निभाया है. मेरठ-दिल्लीवाला अंदाज़ फिल्म को और भी मजेदार बना देता है.
निर्माता अमित शर्मा, विनीत जैन, एलेया सेन, हेमंत भंडारी को बहुत-बहुत बधाई, जो उन्होंने इस तरह के अलग सब्जेक्ट पर फिल्म बनाने का निर्णय लिया. तनिष्क बागची, रोचक कोहली, सन्नी बावरा की म्यूज़िक दिल को गुदगुदाती और सुकून देती है. बधाइयां तेनू, मोरनी बनके, नैन ना जोडीं... गीतों को गुरु रंधावा, नेहा कक्कड़, आयुष्मान खुराना, बृजेश शंडल्लय, रोमी, जॉर्डन ने दमदार आवाज़ में अच्छा साथ दिया है. शांतनु श्रीवास्तव, ज्योति कपूर व अक्षत घिल्डियाल ने कहानी पर अच्छी मेहनत की है, जो फिल्म में दिखाई देती है. कह सकते हैं कि बहुत दिनों बाद मनोरंजन से भरपूर एक पारिवारिक फिल्म देखने को मिली.
नमस्ते इंग्लैंड- को दूर से ही सलाम
निर्माता-निर्देशन विपुल अमृतलाल शाह की फिल्म नमस्ते लंदन को दर्शकों ने बेहद पसंद किया था. लेकिन उसी का सीक्वल मानकर चल रहे नमस्ते इंग्लैंड में वो पैनापन देखने को नहीं मिला.
परिणीती चोपड़ा के बड़े ख़्वाब हैं. विदेश में जाकर कुछ करना और बनना चाहती है. अर्जुन कपूर से मुलाक़ात, प्यार, शादी पर बाद में नौकरी को लेकर परिवार का विरोध, परिणीती को विद्रोही बना देता है और वो झूठी शादी करके विदेश चली जाती है. अर्जुन कपूर का अवैध तरी़के से पत्नी को लेने इंग्लैंड जाना और वहां पर अति नाटकीयता का सिलसिला चलता रहता है.
अजुर्न-परिणीता ने अच्छा अभिनय किया है, पर कमज़ोर पटकथा, स्तरीय निर्देशन अधिक प्रभावित नहीं कर पाती है. अन्य कलाकारों में सतीश कौशिक, आदित्य सील, अलंकृता सहाय, अनिल मांगे, मनोज आनंद, अतुल शर्मा, हितेन पटेल, डिजाना डेजानोविक आदि ने अपनी-अपनी भूमिकाएं ठीक से निभाने की कोशिश की है. पंजाब व लंदन के लोकेशन ख़ूबसूरत हैं.
रितेश शाह व सुरेश नायर की कहानी में कोई नयापन नहीं है. इयानिस की सिनेमाट्रोग्राफी आकर्षक है. भरे बाज़ार, धूम धड़ाका, तेरे लिए... गाना पहले से ही सभी को पसंद आ रहे हैं. बादशाह, विशाल ददलानी, पायल देव, अंतरा मित्रा, शाहिद माल्या, आतिफ असलम, अकांखषा भंडारी की आवाज़ ने इन गानों को और भी सुमधुर बना दिया है. प्रोपर पटोला गाने का रिक्रिएशन बढ़िया है. बादशाह, ऋषि रिच, मैननान शाह का संगीत लुभाता है.