रेटिंगः ***
अक्षय कुमार और टाइगर श्राफ की फिल्म बड़े मियां छोटे मियां को लेकर दर्शक ख़ासकर इनके फैंस बेहद उत्साहित थे. लेकिन मनोरंजन का भरपूर मसाला, ज़बर्दस्त एक्शन, सितारों की भरमार होने के बावजूद फिल्म उम्मीदों पर उतनी खरी नहीं उतरी, जितनी अपेक्षा की जा रही थी.
अक्षय व टाइगर दोनों आर्मी के जाबांज कैप्टन हैं. उन्होंने अपनी हिम्मत, ताक़त और देश के लिए अपनी जान तक ़कुर्बान कर देने का जज़्बा कई बार दिखाया. तभी तो कर्नल आज़ाद, रोनित बोस रॉय के आंखों के तारे हैं दोनों. वे कई बार दुश्मनों से देश की रक्षा करते हैं, आंतकवादियों के चुंगल से अपहरण किए गए लोगों को बचाते हैं. लेकिन एक बार की उनकी ग़लती उन्हें फौज से ही बाहर कर देती है. लेकिन जब एक बार फिर देश पर संकट के बादल मंडराते हैं, तब कर्नल आज़ाद को उनकी याद आती है. लेकिन क्या फ्रैडी, फिरोज बने अक्षय और रॉकी, राकेश यानी टाइगर श्रॉफ कभी दोस्त रहे, पर अब दुश्मन बन चुके कबीर, पृथ्वीराज सुकुमारन के दहशतभरे चुंगल से देश को बचा पाते हैं, ये कारनामे देखने काबिल हैं.
अक्षय कुमार और टाइगर श्रॉफ की जोड़ी दिलचस्प रही है. दोनों की मस्ती, चुटकुलों के साथ सेंस ऑफ ह्यूमर हंसाता भी है और गुदगुदाता भी है. फिल्म की जान इसके बेमिसाल एक्शन हैं. हमारे खिलाड़ी कुमार को तो इसमें महारत हासिल है और हमेशा की तरह वे फाइटिंग हो या फिर ख़तरनाक स्टंट उसमें उम्दा लगे हैं. टाइगर श्रॉफ ने अपने बॉडी, मारधाड़, मस्ती व शरारतों से आकर्षित किया है.
फ्रैडी व रॉकी की टयूनिंग देखते ही बनती है. वे जब-जब बड़े पर्दे पर आते हैं, तब-तब कहीं दिल को दहला देनेवाले एक्शन में नज़र आते हैं, तो कभी एक-दूसरे से दांव-पेंच लड़ाते. चाहे एक्शन हो या इमोशन दोनों ही हीरो ने अपनी हीरोगिरी ख़ूब दिखाई है.
मानुषी छिल्लर ने ख़ूबसूरती के साथ-साथ एक्शन में भी अपना लोहा मनवाया है. उनके सामने आलिया एफ. और सोनाक्षी सिन्हा दोनों ही फीके लगे हैं. आलिया की ज़रूरत से ज़्यादा तेजी और कहीं-कहीं ओवरएक्टिंग गले नहीं उतरती. सोनाक्षी सिन्हा भी प्रिया की छोटी सी भूमिका के साथ न्याय नहीं कर पाईं. उनके रोल को और विस्तार देने की ज़रूरत थी. कबीर के साथ उनका रिश्ता दोस्ती भरा था या कुछ और… असमंजस में डालता है. फ्रैडी के साथ सगाई होना और कोर्ट मार्शल होने पर रिश्ता टूटना भी गले नहीं उतरता.
खलनायक कबीर के रूप में पृथ्वीराज प्रभावशली रहे. उनका आइडिया, वैज्ञानिकों व एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के ज़रिए बनाया गया क्लोन, एडवांस टेक्नोलॉजी, दुश्मनों के साथ मिलकर अपना बदला लेना और भारत को बरबाद करने की योजना, करण कवच से देश को बचाना वाले फॉमूर्ला को उड़ाना ऐसे तमाम स्थिति-परिस्थिति में कबीर ने बढ़िया अदाकारी से अपना लोहा मनवाया है. उनकी बैट मैन वाली वेशभूषा और मास्क उनकी पर्सनैलिटी को औरों से अलग कर देता है.
आर्मी चीफ की भूमिका में रोनित रॉय ने बेहतरीन काम किया है. वैसी भी फौजियोवाला लुक उन पर ख़ूब जंचता है. कहानी की मांग, निर्देशक अब्बास अली जफ़र की आशाओं पर तो अन्य सहयोगी कलाकार खरे उतरे होंगे, ऐसा हम मान सकते हैं.
फिल्म में डेविड धवन की अमिताभ बच्चन और गोविंदा अभिनीत ‘बड़े मियां छोटे मियां’ को भी भुनाया गया है. यहां फ्रैडी-रॉकी का एक्शन चल रहा है, तो दूसरी तरफ़ अफगानिस्तान के क्रूर आतंकवादियों का जत्था इनकी फिल्म के टाइटल सॉन्ग का लुत्फ़ उठाने में व्यस्त रहता है.
फिल्म एक्शन व ड्रामे के साथ इतनी फास्ट चलती है कि कहीं भी कुछ भी सोचने का मौक़ा नहीं देती. मनोरंजन और धूम-धड़ाका के लिए ऑडियंस इसे पसंद करेंगे. हां, यदि कहानी, कुछ सीन्स, क़िरदारों को लेकर लॉजिक ढूंढ़ने की कोेशिश करेंगे, तो सिवाय निराशा के कुछ हाथ नहीं लगेगा. वैसे भी दुनियाभर की फिल्मों में जिस तरह की अतिशयोक्ति ख़ासकर कहानी, एक्शन, इमोशंस, ड्रामा आदि को लेकर दिखाई जाती है, वो कई बार लोगों को पसंद आती है, तो कितनी ही बार खारिज भी कर दी जाती है. यदि आप अक्षय कुमार और टाइगर श्रॉफ के प्रशंसक हैं, स्पेशल इफेक्ट्स की जादूगिरी देखनी है वो भी दिलोदिमाग़ को परे रखकर फिल्मों को एंजॉय करने की कुबूत रखते हैं, तो यक़ीनन यह फिल्म आपका भरपूर मनोरंजन करेगी.
विशाल मिश्रा का संगीत तेज है, जो कहीं दिल को मधुर लगता है, तो कहीं सिरदर्द सा हैै. हालांकि मस्त मलंग झूम… गाना और इसकी कोरियोग्राफी अच्छी बन पड़ी है. अबू धाबी व जॉर्डन में फिल्माए गए कई दृश्य लाजवाब हैं. इसमें सिनेमैटोग्राफर मार्सिन लस्काविएक का टैलेंट नज़र आता है.
कहानी की बात न ही करें, तो बेहतर है, फिर भी इस पर अपना कमाल दिखाने की पुरज़ोर कोशिश की है आदित्य बसु, सूरज गियानानी और अली अब्बास ने. निर्माताओं की बागडोर संभाली है वाशु भगनानी, जैकी भगनानी, हिमांशु किशन मेहरा, दीपिका देशमुख और अली अब्बास जफर ने. कुछ भी हो खिलाड़ी अक्षय कुमार और एक्शन हीरो टाइगर श्रॉफ का कमाल फिल्म में लुभाता है.
- ऊषा गुप्ता