अक्सर देखा गया है कि जो महिलाएं पहली बार मां बनती हैं, वे कई बातों को लेकर परेशान या दुविधा में रहती हैं, ख़ासकर जब बच्चा पैदा होता है. जैसे-जैसे शिशु बढ़ता है उसकी खानपान, उसमें होनेवाले परिवर्तन को लेकर भी कई तरह की बातें नई-नई बनी मां के दिमाग़ में चलती रहती हैं.
डॉ. ज्योत्सना भगत के अनुसार, बच्चे के पैदा होने से लेकर सालभर तक का समय बहुत महत्वपूर्ण होता है. यहां पर हम कुछ छोटी-छोटी बातें बता रहे हैं, जिससे आप जान सकेंगी कि आपके शिशु की परवरिश सही हो रही है. बस, आपको ध्यान देने और सावधानी बरतने की ज़रूरत है.
- मां का पहला दूध शिशु को देना बहुत ज़रूरी है, इसमें प्रचुर मात्रा में प्रोटीन एंटीबॉडीज होते हैं, जो बच्चे को पहले साल में इंफेक्शन से बचाते हैं.
- ध्यान रहे, हर रोज़ बच्चे के वज़न में 25 से 30 ग्राम की बढ़ोतरी होती है.
- बच्चे के पैदा होने पर दूध पिलाने को लेकर कोई ख़ास नियम नहीं है, विशेषकर शुरुआती कुछ दिन. जब बच्चा चाहे उसे दूध पिलाए यानी भूख लगने, रोने पर उसे तुरंत दूध पिलाएं. फिर चाहे वो आधा घंटा हो या एक-दो घंटा.
- यदि शिशु काफ़ी कमज़ोर पैदा हुआ है, तो उसे जगाकर भी दूध दिया जा सकता है.
- चार-पांच दिन बाद उसे दो घंटे में केवल मां का प्यार ही दूध दें. उसे ऊपर से ग्राइप वॉटर आदि ना दें.
- कुछ लोग शिशु की मालिश पैदा होने के अगले दिन से शुरू कर देते हैं, तो कुछ 4-5 दिन बाद में करते हैं.
- बच्चे के लिए मालिश बहुत ज़रूरी है. इससे रक्त का संचार बढ़ता है.
- शिशु की मालिश किसी भी बेबी ऑयल या फिर सौम्य तेल से करें.
- मां के लिए बच्चे को मसाज करना इसलिए भी ज़रूरी है, क्योंकि इससे शिशु-मां के बीच संवाद बनता है और बच्चे को भी मां का मालिश करना अच्छा लगता है.
- तेल मालिश के आधे घंटे बाद शिशु को स्नान ज़रूर कराएं, वरना उसके रोमछिद्र बंद हो जाएंगे.
- शुरुआती दिनों में शिशु अधिकतर सोते रहते हैं. उनकी नींद 16 से 20 घंटे तक भी हो सकती हैं.
- यदि बच्चा दूध पीने के बाद सो रहा है, तो इसका मतलब है वह अपना पूरा आहार ले रहा है.
- शिशु को सूती या नर्म-मुलायम कपड़े ही पहनाएं.
- नैपी बदलने का ध्यान रखें.
- उसके सारे कपड़े धोने के बाद थोड़ा-सा डेटॉल डालकर एक बार फिर से पानी से निकाल लें.
- शिशु के कपड़े धूप में सुखाएं.
- अक्सर मां को लगता है मेरा दूध बच्चे को पूरा नहीं होता, यह सोच सही नहीं. दरअसल हम यह नहीं देख सकते हैं कि बच्चे के पेट में कितना दूध जा रहा है. कुछ मिनट तक ब्रेस्ट फीडिंग यानी स्तनपान करने के बाद वो अलग हो जाता है. यदि वो दूध पीने के बाद सो रहा है, तो इसका मतलब है कि शिशु अपना पूरा आहार ले रहा है, क्योंकि गौर करनेवाली बात है कि भूखा बच्चा सोएगा नहीं.
- जो शिशु हल्के-फुल्के होते हैं, वे जल्दी बैठने लगते हैं, जबकि भारी शिशु थोड़ा देर से बैठते हैं.
- इस बात का ख़्याल रखे कि बच्चे का वज़न नहीं बढ़ रहा है, तो हो सकता है कि मां का दूध उसे पूरा नहीं पड़ रहा हो.
- वर्किंग मांएं चार महीने के बाद शिशु को ऊपरी भोजन शुरू कर सकती हैं.
- सबसे पहले उसे चावल का पानी देना शुरू करें, क्योंकि ये सुपाच्य होता है.
- इसके बाद चावल का दलिया, राइस फ्लेक्स पका कर दे सकते हैं.
- 15 से 20 दिन के अंदर दिन में दो बार चावल देना शुरू कर सकते हैं.
- कुछ दिनों बाद उसके भोजन में कोई फल भी देना शामिल कर सकते हैं.
- कुछ बच्चों की दांत चार-पांच महीने में आ जाते हैं, तो कुछ बच्चों के दांत आने में नौ महीने या सालभर भी लगता है.
- कम वज़नवाला बच्चा जल्दी चलता है, भारी वज़न के बच्चे देर से चलना शुरू करते हैं.
- सालभर के बच्चे को वो सब खाने को दें, जो घर में बनता है, जितनी कैलोरी बड़े लेते हैं, उससे आधी कैलोरी उसे दें.
- ऊषा गुप्ता
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