चंद्रमा पर हुए अब तक के अधिकतर शोध बताते हैं कि यह किस तरह से हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है.
- अक्सर देखा गया है कि पूनम की रात में चांद किस तरह से समंदर को प्रभावित करता है. हाई टाइड उसका सबसे बड़ा प्रमाण है.
- इसकी बड़ी वजह है कि धरती पर पूर्णिमा और अमावस्या के समय धरती पर हवा के दबाव में काफ़ी बदलाव आता है.
- इस दौरान धरती पर दबाव सर्वाधिक होता है, जिससे हमारे हार्मोंस से लेकर सोचने-समझने की शक्ति तक प्रभावित होती है.
ये तमाम चीज़ें हमारे स्वास्थ्य को काफ़ी प्रभावित करती हैं.
किस तरह से? आइए जानते हैं कि इसका वैज्ञानिक पहलू क्या है और शोध क्या कहते हैं-
- स्विट्ज़रलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ बेसिल में हुए अनुसंधान में यह देखा गया कि पूर्णिमा की रात में अधिकांश लोगों की नींद डिस्टर्ब होती है. ख़ासतौर से गहरी नींद के साथ इसका संबंध है,
- दरअसल इस दौरान मेलाटोनिन हार्मोन में कमी हो जाती है, यह हार्मोन सोने और उठने के क्रम को संचालित व संतुलित करता है.
- यही नहीं, हमारे हृदय का भी चांद से गहरा संबंध है. दरअसल विदेशों और भारत में भी चंद्रमा व हृदय के बीच स्वास्थ्य संबंधों पर काफ़ी रिसर्च किया गया है, जिससे यह आश्चर्यजनक बात सामने आई है कि पूर्णिमा और अमावस्या के समय हृदय बेहतरीन ढंग से काम करता है.
- शोध बताते हैं कि मूड स्विंग्स और मनोवैज्ञानिक समस्याएं फुल मून में बढ़ जाती हैं, वैज्ञानिकों का कहना है कि मून का गुरुत्वाकर्षण मस्तिष्क के फ्लूइड को प्रभावित करता है, यही वहज है कि ब्रेन पर चंद्रमा का असर पड़ता है.
- जिस तरह हाई टाइड्स होती हैं, उसी प्रकार हमारे शरीर में भी 70% पानी ही है, यही कारण है कि चंद्रमा हम पर इतना असर डालता है.