मेंटल डिटॉक्स यानी हमारे दिमाग़ में जमा ऐसा कचरा, जो हमारे मन-मस्तिष्क की शांति को भंग कर रहा हो, उस कचरे को अपने दिमाग़ से निकालना. इसलिए स्ट्रेस फ्री लाइफ जीने के लिए आवश्यक है कि तन के साथ-साथ दिमाग़ को भी
डिटॉक्स करें.
यदि हम अपने चारों तरफ़ नज़र दौड़ाएं, तो पाएंगे कि आज हर एक व्यक्ति दिमाग़ी और भावनात्मक रूप से दुखी और परेशान है. इस परेशानी से बाहर निकलने के लिए ज़रूरत है मेंटल डिटॉक्स की. समय-समय पर हमारे दिमाग को इस मेंटल डिटॉक्सिफिकेशन की आवश्यकता पड़ती है. इन संकेतों से जानें क्यों जरूरत है मेंटल डिटॉक्स की?

- दिमाग़ी थकान को दूर करने के लिए.
- बहुत ज़्यादा नेगेटिविटी बढ़ जाए तो.
- लंबे समय तक दुखी और उदास रहने पर.
- बहुत अकेलापन महसूस करने पर.
- छोटी-छोटी बात पर गुस्सा और चिड़चिड़ा होने पर.
- किसी लंबी बीमारी, आर्थिक परेशानी या अन्य कारण से होने वाले तनाव की वजह से.
मेंटल डिटॉक्सिफिकेशन करने के तरी़के मेडिटेशन करें
एकांत में बैठकर नियमित रूप से मेडिटेशन करें. रोज़ाना मेडिटेशन करने से एकाग्रता तो बढ़ती ही है, साथ ही बाहरी दुनिया से ब्रेक लेकर अपने अंदर झांकने का मौका भी मिलता है. आप चाहे कितने भी व्यस्त क्यों न हों, सुबह के वक्त मेडिटेशन के लिए थोड़ा समय जरूर निकालें. मेडिटेशन के लिए किसी शांत जगह पर बैठकर, आंखों को बंद करके लंबी और गहरी सांसें लें. दिमाग को शांत करने पर फोकस करें. ध्यान रखें, मेडिटेशन का लाभ एक दिन में नहीं दिखेगा, इसके लिए नियमित अभ्यास की ज़रूरत होती है.
मॉर्निंग एक्सरसाइज़
सुबह उठने के बाद 30-45 मिनट की एक्सरसाइज़ करें या जिम जाएं. एक्सरसाइज़ करने से हमारे बॉडी में सेरेटोनिन नामक हैप्पी हॉर्मोन रिलीज़ होता है, जिससे दिमाग़ फ्रेश और रिलैक्स फील करता है.

अच्छी नींद लें
अच्छी दिमाग़ी सेहत के लिए अच्छी नींद बेहद ज़रूरी है. मेंटल डिटॉक्स तकनीक का नियमित अभ्यास करके अच्छी नींद ले सकते हैं. इस तकनीक को अपनाने से मन शांत होता है, बार-बार नींद का टूटना, तनाव और एंग्जायटी कम होती है,
साथ ही दिमाग़ी और भावनात्मक सेहत में भी सुधार होता है. विचारों में क्लैरिटी आने के साथ-साथ माइंड और बॉडी के बीच संतुलन बनता है.
पजल्स चैलेंज
सुडोकू, क्रॉसवर्ड, वर्ग पहेलियां जैसे ब्रेन गेम्स से अपने दिमाग़ को चुनौती दें. इन गतिविधियों में व्यस्त रहकर माइंड एक्टिव होता है. परेशान दिमाग़ को तनाव से मुक्ति मिलती है और मस्तिष्क की एक्सरसाइज़ भी होती है.
मोबाइल से बनाएं दूरी
सुबह उठते ही टाइम देखने के बहाने हमारा हाथ सीधे मोबाइल पर जाता है. समय देखने के साथ ही हम सोशल मीडिया खोलकर बैठ जाते हैं, जिसका सीधा असर हमारे दिमाग़ और आंखों पर प्रभाव पड़ता है. बेहतर होगा कि सुबह उठते ही मोबाइल चलाने से अच्छा है कि आप हेल्दी एक्टिविटीज़ को अपनी लाइफस्टइल का हिस्सा बनाएं.
डायरी लिखें
अपने ज़िंदगी के यादगार लम्हों को डायरी में लिखें. डायरी लिखने से दिमाग़ रिलैक्स और फ्रेश होता है. डायरी में अपने रोज़मर्रा के काम, आपका दिन कैसा रहा, खट्टे-मीठे अनुभव, भावनाएं और वे सभी बातें, जिन्हें आप किसी से कह नहीं सकते- वे सभी बातें खुलकर लिखें. लिखने पर आप अपने विचारों को अच्छे से व्यक्त कर पाते है.
आर्ट थेरेपी
आर्ट थेरेपी अपनी भावनाओं और विचारों को व्यक्त करने की एक प्रभावशाली एक्टिविटी है. इसके लिए आपका आर्टिस्ट होना ज़रूरी नहीं है, लेकिन इस थेरेपी से फोकस और रिलैक्सेशन फील होता है. मेंटल डिटॉक्स करने के लिए ड्रॉइंग, कलरिंग, पेंटिंग, स्कल्पचर या कोई भी आर्टिस्टिक एक्सप्रेशन बनाएं. जैसे-जैसे इन एक्टिविटीज़ में फोकस बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे परेशान दिमाग़ शांत होता जाता है और रोज़मर्रा के तनाव से राहत मिलती है.
डांस और म्यूज़िक थेरेपी
मेंटल हेल्थ में सुधार करने के लिए डांस और म्यूज़िक थेरेपी बेस्ट ऑप्शन है. डांस और म्यूज़िक थेरेपी स्ट्रेस को दूर कर दिमाग़ को डिटॉक्स करने में मदद करता है.
प्रकृति प्रेमी बनें
मेंटल डिटॉक्सिफिकेशन करने का सबसे प्रभावशाली तरीका है- प्रकृति के करीब जाएं. अपनी व्यस्त दिनचर्या में से थोड़ा-सा समय निकालकर बीच, पहाड़ों, जंगलों और पार्क में घूमने जाएं. अपने आसपास के दृश्यों, आवाज़ों और ख़ुशबू पर ध्यान केंद्रित करें. प्रकृति के इस रूप से दिमाग़ तरोताज़ा महसूस करता है. तनाव, चिंता और मानसिक थकान कम होती है.

डिजिटल डिटॉक्स डे तय करें
स्मार्टफोन की स्क्रीन पर चौबीसों घंटे नज़र गड़ाए रहने पर हमारा दिमाग़ भी फालतू बातों से भर जाता है. बेहतर होगा कि सप्ताह में एक दिन डिजिटल डिटॉक्स डे सेलिब्रेट करें यानी अपने स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से ब्रेक लें. सोशल मीडिया से दूर रहें. स़िर्फ ज़रूरी मेल्स ही देखें. डिजिटल डिटॉक्स डे के दौरान केवल रियल लाइफ एक्टिविटीज़ में इन्वॉल्व रहें, जैसे- रीडिंग, वॉकिंग, फैमिली के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं. ऐसा करने से आप अगले दिन ख़ुद को ज़्यादा एनर्जेटिक फील करेंगे.
मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल
उपरोक्त बताए गए इन तरीकों से राहत न मिले तो मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल की सलाह लें. वे आपकी मानसिक स्थिति को जानकर आपका सही मार्गदर्शन करेंगे.
ब्रीदिंग एक्सरसाइज़
डीप ब्रीथ लेने से मन शांत होता है और तनाव भी कम होता है. इसलिए मानसिक स्वास्थ्य के लिए 4-7-8 तकनीक अपनाएं. यानी चार सेकंड के लिए सांस लें, सात सेकंड के लिए रोकें और आठवें सेकंड में सांस छोड़ें. इसका नियमित अभ्यास करने
से आपके दिमाग़ शांत होता है
मेंटल डिटॉक्स के फ़ायदे
हेल्दी इमोशंस और पॉजिटिव सोच: मूड डिसऑर्डर, एंग्जायटी और डिप्रेशन के कारण हमारा दिमाग़ बेफिज़ूल की बातों और भावनाओं से भरा रहता है. मेंटल डिटॉक्स से मस्तिष्क में जमा नकारात्मक विचारों, भावनाओं और चिंताओं को
निकालने में मदद मिलती है. मस्तिष्क में नए और सकारात्मक विचारों का प्रोडक्शन बढ़ता है और हेल्दी इमोशंस क्रिएट होते हैं.
बेहतर होते रिश्ते: भावनात्मक बोझ और तनाव का सीधा असर रिश्तों पर पड़ता है. ख़राब हुए रिश्तों को सुधारने के लिए ज़रूरी है कि अपने दिमाग़ से व्यर्थ और बेकार की बातों को निकालें. एक-दूसरे से बातें करें. आपसी रिश्तों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए एक-दूसरे के प्रति दया का भाव रखें.
तनाव कम होता है: लंबे समय तक तनाव में रहने के कारण नकारात्मक विचार हावी होने लगते हैं, जिससे दिमाग़ी और शारीरिक सेहत पर बुरा असर पड़ता है. इसके लिए मेंटल डिटॉक्स टेक्नीक्स- माइंडफुलनेस, मेडिटेशन, रिलैक्सेशन
एक्सरसाइज़, स्ट्रेस लेवल को कम करने वाले और मन को बैलेंस करने वाले योगासन आदि अपनाएं. मेंटल डिटॉक्स टेक्नीक्स अपनाने से स्ट्रेस मैनेज करना सीखते हैं, जिससे ओवरऑल दिमाग़ी सेहत में सुधार होता है.
ओवरथिंकिंग: नियमित रूप से मेंटल डिटॉक्स टेक्नीक्स फॉलो करने से ओवरथिंकिंग कम होती है.
सेल्फ इम्प्रूवमेंट: समय-समय पर मेंटल डिटॉक्स करने पर अपने भीतर झांकने का मौका मिलता है, जिससे सेल्फ इम्प्रूवमेंट होता है.

क्रिएटिविटी बढ़ती है: परेशान-दुखी मन और उलझे हुए दिमाग़ के कारण रचनात्मक सोच कहीं-न-कहीं दब जाती है. मेंटल डिटॉक्स टेक्नीक्स फॉलो करने से बंद दिमाग़ की रचनात्मक सोच विकसित होती है और दिमाग़ में नए-नए विचार आते हैं और नई सोच डेवलप होती है.
एकाग्रता: बेकार और बेफिज़ूल की बातें जमा होने से दिमाग़ एकाग्र नहीं पाता है. ब्रेन को डिटॉक्सिफाई करने से हेल्दी सोच डेवलप होती है. एकाग्रता और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है.
शारीरिक स्वास्थ्य: क्रॉनिकल स्ट्रेस और भावनात्मक बोझ के कारण दिमाग़ी सेहत तो प्रभावित होती है, साथ ही शारीरिक स्वास्थ्य, जैसे- हाई ब्लड प्रेशर, डायजेस्टिव प्रॉब्लम्स और इम्यून सिस्टम का कमज़ोर होना जैसी तकलीफें भी होने लगती हैं. मेंटल डिटॉक्स स्ट्रेस के कारण प्रभावित होने वाली शारीरिक बीमारियों को कम करने में मदद करता है.
- देवांश शर्मा