सेक्स समस्याएं पुरुषों को न सिर्फ शारीरिक तकलीफ़ देती हैं, बल्कि उनका आत्मविश्वास भी कम करती हैं. सेक्स में परफॉर्म न कर पाना किसी भी पुरुष के लिए चिंता का विषय है. क्या हैं पुरुषों की 6 सेक्स समस्याएं और क्या हैं उनसे बचने के आसान घरेलू उपाय? आइए, जानते हैं.
1) नपुंसकता
पुरुष के मन में भी यदि सेक्स का विचार आता है, तो उसके लिंग में उत्तेजना आ जाती है और स्पर्श से भी पुरुष सेक्स के लिए उत्तेजित हो जाता है. ऐसी स्थिति में शरीर के साथ लिंग में भी खून का प्रवाह तेज हो जाता है, लेकिन उत्तेजना के लिए उचित हार्मोन का होना भी ज़रूरी है. जब ऐसा नहीं हो पाता, तो वो स्थिति नपुंसकता कहलाती है. हालांकि ज़्यादातर मामलों में लोग वहम के शिकार होते हैं कि उनमें नपुंसकता के लक्षण हैं.
- 15 ग्राम तुलसी के बीज और 30 ग्राम सफ़ेद मुसली का पाउडर तैयार करें. फिर इसमें 60 ग्राम मिश्री पीसकर मिला दें और बॉटल में भरकर रखें. इस पाउडर का 3 से 5 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करें.
- 10 से 20 मि.ली. सफ़ेद प्याज़ का रस, 5-10 ग्राम शहद और 1-3 मि.ली. अदरक का रस तथा 1 से 2 ग्राम घी लेकर सबको एक साथ मिलाकर 21 दिन तक लेने से नपुंसकता से मुक्ति मिल जाती है.
- 200 ग्राम लहसुन पीसकर उसमें 600 ग्राम शहद मिलाकर एक साफ़ शीशी में भरकर अच्छी तरह से ढक्कन बंद करके गेहूं की बोरी में रख दें. 31 दिनों बाद उसे बाहर निकालें. 10 ग्राम की मात्रा में 40 दिनों तक इसे लेने से नपुंसकता दूर होती है.
- बेल की 15 पत्तियां, 2 बादाम की गिरी और 150 ग्राम शक्कर तीनों को पीसकर उसमें पानी डालकर धीमी आंच पर पकाएं. एक चौथाई रह जाने पर उतार लें और ठंडा होने पर सेवन करें.
2) शीघ्रपतन
पुरुष की इच्छा के विरूद्ध उसका वीर्य अचानक स्खलित हो जाना शीघ्रपतन कहलाता है. शीघ्र पतन की सबसे खराब स्थिति यह होती है कि संभोग क्रिया शुरू होते ही या होने से पहले ही वीर्यपात हो जाता है.
- 2 ग्राम दालचीनी का पाउडर सुबह-शाम दूध के साथ सेवन से वीर्य में वृद्धि होती है और शीघ्रपतन ख़त्म होता है.
- इलायचीदाना, जावित्री, बादाम, गाय का मक्खन और शक्कर सभी को बराबर मात्रा में एक साथ मिलाकर रोज़ाना सुबह खाने से धातु पुष्ट होती है और शीघ्रपतन की शिकायत दूर हो जाती है.
3) धातु दुर्बलता
धातु दुर्बलता से कई पुरुष पीड़ित हैं. यह रोग अत्यधिक कामुक विचारों, अश्लील साहित्य, अश्लील फ़िल्में देखने आदि के कारण होता है. इस तरह के क्रियाकलापों के बाद व्यक्ति अधिक कामुक महसूस करता है तथा अपनी वासनाओं की पूर्ति के लिए अप्राकृतिक मैथुन आदि को अपनाता है. अप्राकृतिक मैथुन के कारण उसे अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिनमें से एक है धातु दुर्बलता. इसमें व्यक्ति का वीर्य पतला हो जाता है जिसके कारण संभोग के समय वह जल्दी स्खलित हो जाता है. पेशाब के साथ वीर्य की लार निकलना, लिंग में अपूर्ण उत्थान, उत्थान से पहले ही लिंग से धातु का गिरना शुरू होना आदि समस्याओं को धातु दुर्बलता कहा जाता है.
- सुबह 2-3 खजूर को घी में भूनकर नियमित रूप से खाइए. ऊपर से इलायची, शक्कर और कौंच डालकर उबाला हुआ दूध पीएं. इससे धातु पुष्ट होती है.
- इलायचीदाना व जावित्री का चूर्ण, बादाम गिरी, गाय का मक्खन तथा शक्कर एक साथ मिलाकर खाने से धातु पुष्ट होती है और वीर्य गाढ़ा होता है
- 20 मि.ली. ताज़े आंवले का रस निकालकर उसमें शहद मिलाकर सेवन करने से धातु पुष्ट होती है.
4) धातु स्राव
कई पुरुषों को पेशाब करने से पहले या बाद में तथा शौच के लिए अधिक जोर लगाने पर धातु स्राव होने लगता है. धातु स्राव की यह समस्या पुरुषों को अधिक कामुकता और कामुक विचारों के कारण होती है. धातु स्राव की समस्या से निदान पाने के लिए पुरुष घरेलू उपचारों का प्रयोग कर सकते हैं.
- 20 ग्राम उड़द की दाल का आटा लेकर उसे गाय के दूध में उबालिए. फिर उसमें थोड़ा घी मिलाकर कुनकुना ही पीएं. इसका नियमित एक महीने तक सेवन करने से मूत्रमार्ग से होने वाला धातुस्राव बंद हो जाता है.
- इलायचीदाने और सेंकी हुई हींग का लगभग 3 रत्ती चूर्ण घी और दूध के साथ सेवन करने से पेशाब में धातु जाती हो तो उसमें लाभ होता है.
- 50 ग्राम इलायची, 10 ग्राम मिश्री और 15 तुलसी के पत्तों का क्वाथ बनाकर नियमित सेवन करें.
- तुलसी की जड़ सुखाकर चूर्ण बना लें. एक ग्राम यह चूर्ण और एक ग्राम अश्वगंधा का चूर्ण मिलाकर खाएं और ऊपर से गाय का दूध पीएं.
5) सिफिलिस
सिफिलिस एक ऐसा यौन संक्रामक रोग (एसटीडी) है जो ट्रिपोनीमा पैलीडियम नामक जीवाणु से होता है. सिफ़िलिस का इलाज आसानी से किया जा सकता है, लेकिन अधिकांश संक्रमित व्यक्तियों को पता नहीं चलता कि उन्हें सिफ़िलिस हो गया है. यदि आप सिफ़िलिस का इलाज नहीं कराते हैं तो आगे चलकर आप अंधे हो सकते हैं, दिमागी संतुलन बिगड़ सकता है अथवा मृत्यु भी हो सकती है. अतः सिफिलिस का इलाज अवश्य कराएं.
- मेहंदी के पत्तों का रस 40 मि.ली. निकालकर उसमें 20 ग्राम मिश्री मिलाकर पीने से सिफिलिस रोग ठीक होता है.
- पुराने सिफिलिस (उपदंश) रोग में छोटी अरणी के पत्तों का रस 15 मि.ग्रा. दिन में 2-3 बार सेवन करने से लाभ होता है.
- धतूरे की सूखी जड़ का चूर्ण बनाकर रख लें. इसे 2 चावल की मात्रा में पान में रखकर खाने से सिफिलिस रोग ठीक हो जाता है.
6) सूजाक
सूजाक एक संक्रामक यौन रोग है. ये नीसेरिया गानोरिआ नामक जीवाणु से होता है जो महिला तथा पुरुषों में प्रजनन मार्ग के गर्म तथा गीले क्षेत्र में आसानी और बड़ी तेजी से बढ़ता है. इसके जीवाणु मुंह, गला, आंख तथा गुदा में भी बढ़ते हैं. सूजाक उन स्त्री-पुरुषों को होता है जो इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति से यौन संपर्क करते हैं.
- चंदन का तेल सूजाक के लिए रामबाण औषधि है. इसे 4-6 बूंद बताशे में रखकर सुबह-शाम खाने से 5-6 दिन में सूजाक ठीक हो जाता है.
- गुलाब के पत्ते 5 ग्राम लेकर रात को 250 मि.ली. पानी में भिगो दें. सुबह उसे मसल-छानकर मिश्री मिलाकर पीएं.