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मैरिज एंग्जायटीः कहीं आप भी तो शादी से नहीं डरते हैं? (Marriage Anxiety: Are You Also Afraid Of Marriage?)


  
ये साथ जो नज़दीकियों का एहसास कराते..
वे कुछ ख़्याल डर के साथ बेचैनी क्यों ले आते…

दो दिलों के जुड़ने का एक ख़ूबसूरत एहसास है शादी. कोई है, जो मेरा बेहद अपना और ख़ास है, यह ख़्याल भर रोमांचित कर देता है. लेकिन विवाह के बंधन में जुड़ने की जितनी अनकही सुखद अनुभूतियां हैं, तो उसी के साथ अचेतन मन में एक डर भी होता है. सब कुछ ठीक से होगा ना? शादी करने का फैसला सही है? अपनी ज़िम्मेदारियों को निभा पाऊंगा या नहीं? पार्टनर की उम्मीदों पर खरा उतर पाऊंगी या नहीं? न जाने ऐसी कितनी चिंताएं-परेशानियां कपल्स के मन में रहती हैं, और यही शंका-आशंकाएं मैरिज एंग्जायटी को जन्म देती हैं.

भावी जीवनसाथी को लेकर शादी के बाद ज़िंदगी में होने वाले बदलाव को सोच कर तनावग्रस्त होना, घबराना, शादी को लेकर कई सवाल और दुविधाओं को ही कहते हैं मैरिज एंग्जायटी. यूं एकबारगी देखें, तो अमूनन हर वो शख़्स जिसकी शादी होने वाली है, इस तरह की बेचैनी और तनाव से होकर गुज़रता ही है.

मनोवैज्ञानिक रेखा कुंदर का कहना है कि यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है कि उसका अपनी इंद्रियों, भावनाओं और परिस्थितियों पर कितना नियंत्रण है. जिस तरह परीक्षा देने से पहले कोई विद्यार्थी पूरी तैयारी होने पर निश्‍चिंत होकर एग्ज़ाम हॉल में बैठता है, तो कोई अपनी अधूरी पढ़ाई के कारण घबराहट और तनाव वाली स्थिति में होता है. ठीक इसी तरह जब शादी-ब्याह को लेकर तैयारियां और सब कुछ सुव्यवस्थित रहता है, तो किसी तरह की परेशानी नहीं होती. हर कोई रिलैक्स रहता है.

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चूंकि यहां पर हम विशेष तौर पर लड़के-लड़की यानी वर-वधू की बात कर रहे हैं, तो उनके जीवन का एक बहुत ही बड़ा दिन होता है वेडिंग डे, तो उसे लेकर थोड़ी-सी घबराहट या कह सकते हैं कि तनाव होना जायज़ है. परंतु आपसी सहयोग, काउंसलिंग, रिश्तों के अपनेपन के साथ-साथ टाइम मैनेजमेंट सही रहे, तो सब कुछ ख़ुशियों भरा हो जाता है और वेडिंग होती है हैप्पी वेडिंग!

एक मुलाक़ात है ज़रूरी
यदि अरेंज मैरिज है और आप अपने जीवनसाथी की अपेक्षाओं को लेकर थोड़े कशमकश में हैं, विवाह को लेकर क्या ठीक रहेगा, साथी को संतुष्ट कर पाएंगे या नहीं, वह मुझसे प्यार करेगा कि नहीं, भविष्य की प्लानिंग, क्या करना ज़रूरी है, आपकी मनःस्थिति आदि बातें दिलोदिमाग़ में उथल-पुथल मचा रही हों, तो बेहतर होगा कि शादी से पहले पार्टनर से मिलकर खुलकर बातचीत कर ली जाए. हो सकता है कि दूसरी तरफ़ भी कुछ इसी तरह की असमंजस वाली स्थिति हो. यक़ीन मानिए ऐसा करने से आपके रिश्ते और भी मज़बूत होंगे.

मैरिज काउंसलिंग से परहेज़ क्यों?
इसमें कोई दो राय नहीं कि पूर्व के अनुभव और भविष्य की अनिश्‍चिंतता भी डराती है. यदि पैरेंट्स का अलगाव हुआ हो, तो व्यक्ति के मन में रिश्तों को निभाने को लेकर भी एक फीयर फैक्टर बना रहता है. व्यक्तिगत तौर पर एक असुरक्षा हावी रहती है. ऐसे में ज़रूरी हो जाता है कि सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ा जाए. कड़वे अतीत को भुलाकर ही वर्तमान को बेहतर और भविष्य को ख़ुशहाल बनाया जा सकता है. यह ज़रूरी नहीं कि एक रिश्ते की असफलता ही दूसरे रिश्ते के पैमाने को तय करे. जब शादी और रिश्तों को लेकर अधिक जद्दोज़ेहद होने लगे, तब मैरिज काउंसलर की मदद महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. उनसे काउंसलिंग लेने में देर न लगाएं. अक्सर लड़के-लड़कियां इस तरह के सिचुएशन में काउंसलर की हेल्प लेने से कतराते हैं. अपने बेहतर कल के लिए इस हिचक को दरकिनार करते हुए मैरिज काउंसलर का मार्गदर्शन अवश्य लें.

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क़रीबी से शेयर करें
यदि आप अपने इस फोबिया या वेडिंग एंग्जायटी को समझ रहे हैं, तो अपने बेस्ट फ्रेंड, शुभचिंतक या क़रीबी से ज़रूर अपनी चिंता, सोच, मनोस्थिति को शेयर करें. हो सकता है कि वह भी इस स्थिति से गुज़र चुके हों और आपको ज़रूरी टिप्स दें. इससे आपको चीज़ों को बेहतर ढंग से समझने में सहायता मिलेगी. उनका सहयोग आपकी परेशानी को कम करने में मददगार सिद्ध होगा. ध्यान रहे, परिवार के आपके ख़ास भी आपकी उलझनों को सुलझाने में मेजर रोल अदा करते हैं बशर्ते कि उन्हें इसकी जानकारी हो, इस बात को भी ना भूलें.

मैरिज एंग्जायटी दूर करने के मास्टर स्ट्रोक्स

  • स्वयं की ख़ुशी व सेहत का ख़्याल रखें.
  • मॉर्निंग वॉक करें.
  • हर रोज़ अपने बिज़ी शेडयूल से थोड़ा समय निकालकर ध्यान, योग और वर्कआउट करें, जिससे मेंटल, इमोशनल और फिजिकल बैलेंस बना रहे और तनाव दूर रहे.
  • अपनी हॉबी में थोड़ा वक़्त गुज़ारें, फिर चाहे वो खेलना, पढ़ना, गाना, म्यूज़िक ही क्यों ना हो.
  • हेल्दी व न्यूट्रिशियस फूड लें.
  • टाइम मैनेजमेंट को अपनी ज़िंदगी का अभिन्न हिस्सा बनाएं.
  • पार्टनर से बात करें. उनकी और अपनी प्लानिंग को शेयर करें.
  • सबसे ज़रूरी है, अच्छी और पर्याप्त नींद लें.
  • कल की योजना बनाने की धुन में आज में जीना न भूलें. वर्तमान का भी भरपूर लुत्फ़ उठाएं.
  • शादी व रिश्तों में नरम-गरम, उतार-चढ़ाव भी होंगे. सब कुछ परफेक्ट नहीं होता. यथार्थवादी बनें और थोड़ा है, थोड़े की ज़रूरत है, का फंडा अपनाएं.

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अक्सर लोग गामोफोबिया को मैरिज एंग्जायटी समझ लेते हैं. दरअसल, गामोफोबिया ऐसी मानसिक स्थिति रहती है, जिसमें मैरिज के बारे में सोचने भर से धड़कनें तेज़ हो जाना, पसीना आना, सांस लेने में दिक़्क़त, बेचैनी, पैनिक अटैक आदि होते हैं. इसमें शादी के बाद आज़ादी ख़त्म हो जाने और कमिटमेंट का भय अधिक सताता है. ऐसे में थेरेपिस्ट की मदद लें.

- ऊषा गुप्ता

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