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पहला अफेयर- मेट्रो वाला प्यार… (Love Story- Metro Wala Pyar…)

सौम्य, सुसंस्कृत लडका रिया को पहली नज़र में ही भा गया. जब दोनो एक ही स्टेशन पर उतरे और एक ही कॉलेज में गए, तो रिया की धड़कनें तेज होने लगी. लेकिन दोनों ही एक-दूसरे से कुछ नही बोले.

मन की पगडंडियों पर कब प्रेम अंकुरित हो जाता है, पता ही नहीं चलता. प्रेम का अंकुरण मन की भूमि को न केवल नम करता है, बल्कि उसकी उर्वरा शक्ति भी बड़ा देता है. प्रेम.. उम्र, जाति सब बंधनों से मुक्त होता है. ऐसे ही प्रेम का अंकुरण रिया के जीवन में भी हुआ था.
गाजियाबाद में रहने वाली रिया ने दिल्ली के किसी अच्छे कॉलेज में बी.कॉम प्रथम वर्ष में प्रवेश लिया था. संपन्न घराने की रिया के पापा बहुत सख़्त मिज़ाज थे. उन्हें बेटियों का घर से बाहर ज़्यादा आना-जाना बिल्कुल पसंद नहीं था. रिया ने लड़-झगड़ कर ही दिल्ली के कॉलेज में प्रवेश लिया था. रिया मेट्रो से दिल्ली जाया करती थी. वह घर से अकेले कम ही बाहर गई थी, इसलिए कुछ सहमी सी रहती थी.

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एक दिन मेट्रो में उसकी मुलाक़ात उसके ही हमउम्र एक लड़के से हुई. सौम्य, सुसंस्कृत लडका रिया को पहली नज़र में ही भा गया. जब दोनो एक ही स्टेशन पर उतरे और एक ही कॉलेज में गए, तो रिया की धड़कनें तेज होने लगी. लेकिन दोनों ही एक-दूसरे से कुछ नही बोले. कुछ दिनों तक यही सिलसिला चलता रहा. रिया उसको देखकर एक अजीब सी कशिश महसूस करती थी. लेकिन दोनों में कोई बातचीत नहीं हुई और दोनों ने एक-दूसरे का नाम भी नहीं पूछा.
एक दिन मेट्रो में भीड़ होने के कारण लड़के ने रिया से कहा, "आप इधर आ जाओ." रिया उसके नज़दीक खड़ी हो गई. फिर दोनों का परिचय हुआ, तो लड़के ने मोहित नाम बताया अपना. धीरे-धीरे दोनों की नज़दीकी बढ़ने लगी और दोनों साथ आने-जाने लगे.
समय गुज़रता गया. दोनों की प्रगाढ़ता बढ़ने लगी और दोनों ने साथ जीवन बिताने का वादा कर लिया. रिया के घर में रिया के विवाह की चर्चा होने लगी. रिया तनाव में रहने लगी कि अपने पापा को कैसे बताएं? वह जानती थी कि उसके पापा उसकी शादी के लिए हरगिज़ तैयार नहीं होंगे, लेकिन वह किसी और के साथ जीवन जीने की कल्पना भी नहीं कर सकती थी. उसने हिम्मत जुटाकरअपनी मां को सारी बात बताई, लेकिन मां जानती थी कि उसके पापा तैयार नहीं होंगे. उन्होंने रिया को ही समझाया कि बेटा जहां पापा की इच्छा है, वहीं शादी कर ले.
 रिया ने अपने घरवालों को बहुत समझाया कि मैं कहीं और शादी नहीं करूंगी, लेकिन उसके पापा नहीं माने. एक बार जब कोई लड़के वाले उसको देखने आए, तो उसने उनसे कह दिया कि मैं किसी और को चाहती हूं और मैं आपसे शादी नहीं कर सकती. रिया के पापा को जब यह बात पता चली, तो वह बहुत नाराज़ हुए और उन्होंने रिया से बात की. रिया ने कहा, "पापा आप मेरी मोहित से ही शादी कर दो."

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रिया के पापा ने मोहित का पता निकलवाया, तो उनको पता चला कि मोहित संपन्न घराने का होनहार लड़का है. फिर भी उन्होंने रिया को समझाया, "बेटा जहां मैं कहता हूं… तुम वहां शादी कर लो."
लेकिन रिया नहीं मानी और उसने कहा, "आप तो मेरी मोहित से ही शादी कर दो "अंततः रिया के पापा, रिया और मोहित की शादी के लिए तैयार हो गए और धूमधाम से उन दोनों की शादी हुई.
धीरे-धीरे मोहित का व्यवसाय बढ़ने लग गया और मोहित ने सफलता की बुलंदियों को छुआ. वह एक उद्योगपति के रूप में स्थापित हो गया. आज मोहित एक बहुत बड़ी कंपनी के मालिक हैं. साथ ही फिल्ममेकर भी हैं. रिया और मोहित दोनों ख़ुशहाल ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं. पहले प्यार की अनुभूति अलग ही होती है. यदि वह हासिल हो जाए, तो पूरी ज़िंदगी ख़ुशनुमा हो जाती है.
रिया और मोहित का जीवन ताउम्र प्रेम की ध्वनि से त्वरित है. उनकी प्रेमिल बगिया पहले प्यार से गुलज़ार है.

- रश्मि वैभव गर्ग 

Photo Courtesy: Freepik

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