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पहचानें स्ट्रोक के 10 संकेतों को (Learn To Recognize The 10 Signs Of A Stroke)
सही समय पर स्ट्रोक (Stroke) के संकेतों (Signals) को पहचानकर मरीज़ को अपाहिज होने से बचाया जा सकता है. जानिए क्या हैं ये संकेत?
स्ट्रोक आने की स्थिति में सही समय में मदद मिलना बहुत ज़रूरी होता है. इससे मरीज़ की जान बचाई जा सकती है. द नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स एंड स्ट्रोक के अनुसार, स्ट्रोक आने की स्थिति में मरीज़ को एक घंटे के अंदर मदद मिलना बहुत ज़रूरी होता है. लेकिन दुख की बात है कि बहुत से स्ट्रोक पीड़ितों को समय रहते आपात कालीन इलाज नहीं मिल पाता है, क्योंकि ज़्यादातर लोगों को स्ट्रोक के लक्षण के बारे में जानकारी नहीं होती है.
द नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स एंड स्ट्रोक के अनुसार, जिन लोगों को स्ट्रोक का पता चलते ही तीन घंटे के अंदर क्लॉट डिजॉल्व करनेवाली दवा मिल जाती है, उन्हें किसी तरह की डिसएबिलिटी (अपंगता) नहीं होने का ख़तरा अन्य लोगों की तुलना में 30 प्रतिशत ज़्यादा होता है.
स्ट्रोक क्या है?
जब मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त संचार बाधित हो जाता है या मस्तिष्क की रक्त कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं तो स्ट्रोक आता है. आपको बता दें कि जब ब्रेन की कोशिकाएं निर्जीव हो जाती हैं तो उन्हें रक्त से पोषक तत्व व ऑक्सिजन मिलना बंद हो जाता है. अचानक मस्तिष्क में ब्लीडिंग होने पर भी स्ट्रोक आने का ख़तरा होता है.
जल्दी ऐक्शन लें
हर किसी को स्ट्रोक के संकेतों के बारे में पता होना चाहिए, क्योंकि आपका यह ज्ञान आपातकाल में किसी की जान बचा जा सकता है. द नैशनल स्ट्रोक एसोसिएशन ने स्ट्रोक के संकेतों को समझने के लिए ऋअडढ शब्द का निजात किया है.
F का अर्थ है फेसः आपको उस व्यक्ति की मुस्कान या चेहरा टेढ़ा नज़र आ सकता है.
A का अर्थ है आर्म्सः उसकी बांहें या भुजाएं कमज़ोर या बेजान हो सकती हैं. अगर आपको स्ट्रोक की शंका हो तो उस व्यक्ति को हाथ उठाने के लिए कहें. यदि वो हाथ न उठा पाए या उसकी हाथों में कपकपाहट हो तो समझ लीजिए कि उसे स्ट्रोक आ सकता है.
S का अर्थ है स्पीचः लड़खड़ाती हुई जुबान भी स्ट्रोक की ओर इशारा करती है. इसका पता लगाने के लिए आप उस व्यक्ति को कुछ बोलने के लिए कहें. इससे आप उसकी जुबान का अंदाज़ा लगा सकते हैं.
T का अर्थ है टाइमः इसका अर्थ है कि आप समय रहते-रहते जल्द ऐक्शन लेकर मरीज़ को डॉक्टर के पास ले जाएं. उपरोक्त संकेतों के अलावा स्ट्रोक से पीड़ित व्यक्ति को निम्न संकेत दिखाई देते हैं.
थकान
काम करने पर हम सभी को थकान महसूस होती है, लेकिन स्ट्रोक होने की स्थिति में व्यक्ति ऊर्जाविहीन महसूस करता है. छोटे-छोटे काम, जैसे-घर के अंदर घूमना भी मैराथन दौड़ने जैसा लगता है. अगर थकान के कारण आपको रोज़मर्रा के कार्य करने में मुश्क़िल हो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें, क्योंकि यह स्ट्रोक का संकेत हो
सकता है.
बेजान अंग (ख़ासतौर पर शरीर का एक हिस्सा)
अगर किसी व्यक्ति की एक बांह या एक पैर बेजान हो जाए तो समझ लीजिए कि उस व्यक्ति को स्ट्रोक आ सकता है. बेहतर होगा कि डॉक्टर के पास तुरंत पहुंचाया जाए, ताकि सही स्थिति का अंदाज़ा लग सके.
धुंधली नज़र
आमतौर पर लोगों को लगता है कि जिन लोगों को स्ट्रोक का अटैक आता है, उनकी आंखों की रौशनी चली जाती है, लेकिन ऐसा नहीं होता. बल्कि एक आंख की रौशनी पूरी तरह जाने की बजाय दोनों आंखों की रौशनी कम हो जाती है.
चक्कर आना
मस्तिष्क में स्ट्रोक होने की स्थिति होने पर चक्कर या वर्टिगो, यहां तक कि असंतुलन जैसी समस्याएं होती हैं. स्ट्रोक आने पर मरीज़ काफ़ी कोशिश करने के बावजूद सही तरी़के से चलने में असमर्थ होता है. द अमेरिकन स्ट्रोक
एसोसिएशन के अनुसार, स़िर्फ चक्कर आना स्ट्रोक का संकेत नहीं होता, लेकिन अन्य लक्षणों के साथ चक्कर आए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
संतुलन करने और चलने में परेशानी
स्ट्रोक आने की स्थिति में मरीज़ को सीधे चलने में परेशानी होती है, ख़ासतौर जब मरीज़ का एक पैर सुन्न पड़ गया हो. ऐसा होने पर ज़रूरी नहीं है कि व्यक्ति को साथ में चक्कर भी आए. अगर आपको चलने-फिरने से तकलीफ़ हो या आपके पैर जम जाए तो समझ लीजिए कि कुछ गड़बड़ है.
भयंकर सिरदर्द
यह सामान्य सिरदर्द की तरह नहीं होता. अगर आपको माइग्रेन है तो ज़रूरी नहीं है कि आपको स्ट्रोक हो, लेकिन सिरदर्द के साथ स्ट्रोक के अन्य लक्षण भी नज़र आएं तो सावधानी बरतते हुए डॉक्टर से संपर्क करने में ही भलाई है.
दुविधा
दुविधा राइट ब्रेन में स्ट्रोक का संकेत हो सकता है. यदि आपको या आपके परिवार में किसी को अचानक हर बात में दुविधा होने लगे या वह चीज़ें मिक्स करने लगे तो यह स्ट्रोक का संकेत हो सकता है. ऐसा होने पर किसी समस्या को हल करने की क्षमता कम हो जाती है. स्ट्रोक होने की स्थिति में अजीब सा व्यवहार करने लगते हैं.
असंतुलित आई मूवमेंट्स
स्ट्रोक के दौरान और स्ट्रोक के बाद आंखों का मूवमेंट असंतुलित हो जाता है और देखने पर परेशानी होती है. शेफील्ड टीचिंग हॉस्पिटल के नेत्र विज्ञान डिपार्टमेंट के अनुसार, स्ट्रोक से पीड़ित कम से कम 68 फ़ीसदी लोगों को आंखों से संबंधित समस्या होती है, यहां तक कि आंखों का अलाइंमेंट भी बिगड़ जाता है, आंखें एक तरफ़ झुक जाती हैं या फिर आइलिड संबंधी समस्या होती है.
घोंटने में समस्या
स्ट्रोक के बाद घोंटने में समस्या बेहद सामान्य है. यह इस बात का संकेत है कि स्ट्रोक आ चुका है और मरीज़ को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए. ऐसा होने पर पानी पीने, खाना खाने, यहां तक कि दवा लेने में भी परेशानी होती है. इतना ही नहीं, सांस लेना भी मुश्क़िल हो जाता है. अच्छी बात यह है कि स्ट्रोक से उबरने के बाद यह लक्षण धीरे-धीरे कम हो जाता है.
मांसपेशियों में अकड़न
अगर आपके शरीर का एक हिस्सा सुन्न पड़ जाए और साथ में मांसपेशियों में अकड़न महसूस हो तो यह स्ट्रोक का संकेत हो सकता है. स्ट्रोक मस्तिष्क को क्षतिग्रस्त कर देता है, जिससे शरीर के अंगों और मस्तिष्क के बीच सिग्नल समाप्त हो जाता है. स्ट्रोक के बाद
रिकवरी में बहुत समय लगता है. जिस दौरान मरीज़ के पैर मुड़ सकते हैं या उसे
चलने-फिरने में भी तकलीफ हो सकती है.