Close

कृतिका बनीं देश की पहली ब्लाइंड डॉक्टर (Kritika titled as India’s First Blind Doctor)

Blind Doctor

जज़्बे से रोशन हुआ जहां...

जीवन में असंभव को संभव करने या फिर नामुमकिन को मुमकिन बना देने के लिए इंसान की मेहनत-लगन, बुलंद इरादे और प्रतिबद्धता बेहद अहम् भूमिका निभाती है. कुछ ऐसा ही करिश्मा कर दिखाया नालासोपारा (मुंबई) की कृतिका पुरोहित ने भारत की पहली नेत्रहीन डॉक्टर बनने का गौरव हासिल करके.
* 21 वर्षीया कृतिका पुरोहित सरकार द्वारा प्रमाणित देश की पहली ब्लाइंड डॉक्टर हैं. * उन्होंने अपना फिज़ियोथेरेपी में डिग्री कोर्स केईम हॉस्पिटल (मुंबई) से कंप्लीट किया. * इसके अलावा उनको महाराष्ट्र काउंसिल फॉर ऑक्यूपेशनल थेरेपी एंड फिज़ियोथेरेपी सर्टिफिकेट भी प्राप्त है. * डॉक्टर बनने का ख़्वाब कृतिका बचपन से ही देखती रही थीं. * लेकिन जब वे आठ साल की थीं, तब आंखों की ऑप्टिकल नस में कुछ कॉम्प्लीकेशन आ जाने से उनकी दोनों आंखों की रोशनी चली गई. * करियर की राह में उन्हें जाने कितने उतार-चढ़ाव से गुज़रना पड़ा. * कोर्स के दरमियान प्रैक्टिकल करते समय ऑब्जेक्ट को न देख पाने पर वे डेड बॉडी को छूकर मानव शरीर के विभिन्न हिस्सों की बारीक़ियों के बारे में जानने की प्रैक्टिस करती थीं. * फिज़ियोथेरेपी में डिग्री कोर्स के लिए उन्हें क़ानूनी लड़ाई भी लड़नी पड़ीं, क्योंकि हमारे देश में ब्लाइंड के लिए इस फैकेल्टी में डिप्लोमा व सर्टिफिकेट कोर्स तो है, पर डिग्री कोर्स नहीं है. * फ़िलहाल वे प्राइवेटली प्रैक्टिस कर रही हैं. * उनकी महत्वाकांक्षा है विदेश जाकर इसी फील्ड में आगे की पढ़ाई करने की. * बकौल कृतिका ज़िंदगी में आप कुछ भी कर सकते हैं, बस इसके लिए आपको चुनौतियों को स्वीकार करने का साहस और दृढ़ इच्छाशक्ति होनी चाहिए.
 
नेत्रहीनता से जुड़े कुछ पहलू ऐसे भी...
* इंग्लैंड के लिंकलोन यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट ऐसे मोबाइल टेक्नोलॉजी डेवलप कर रहे हैं, जिसके ज़रिए ब्लाइंड व्यक्ति स्मार्टफोन व टैबलेट के सहारे आसपास की चीज़ों को महसूस व पहचान सकेंगे.
* फेसबुक ने ख़ास नेत्रहीनों के लिए ऑटोमैटिक अल्टरनेटिव टेक्स्ट फीचर दिया है, जिससे वे अपने वॉल पर डाले गए फोटोग्राफ्स को महसूस कर सकते हैं.
* जन्म से ब्लाइंड व्यक्ति सपनों में आवाज़ों को सुनता है, जबकि किसी दुर्घटनावश नेत्रहीन हुआ शख़्स अपने ख़्वाबों में अपने अतीत के ख़ुशनुमा लम्हों को देखता है.
* यदि कोई सात साल की उम्र के बाद अपनी आंखों की रोशनी खो बैठता है, तो वो भी आम व्यक्ति की तरह ही सपने देखता है.
- ऊषा गुप्ता

Share this article