निराश होकर रिमझिम अपने घर लौट आया. उसे देखकर उसकी मम्मी चिंतित हो उठीं. इतना उदास तो उन्होंने अपने बेटे को कभी नहीं देखा था. उन्होंने उसे अपनी गोद में बैठाया और उससे उसकी उदासी का कारण पूछा. मम्मी के प्यार भरे स्पर्श से रिमझिम की आंखें भर आईं.
नन्हा रिमझिम बादल सुबह सवेरे सैर के लिए निकला. इधर-उधर घ्ाूमते हुए उसकी नज़र कुछ बच्चों पर पड़ी, जो बगीचे में लुकाछिपी का खेल खेल रहे थे. रिमझिम को बच्चे बहुत प्यारे लगते थे. उनके पास जाकर वह उनके खेल का आनंद लेने लगा.
कुछ देर बाद बच्चे गर्मी के कारण पसीने से तरबतर हो गए. उन्होंने खेलना बंद कर दिया. तभी एक बच्चे की नज़र रिमझिम पर पड़ी.
वह ख़ुशी से बोला, “देखो, यह बादल हमारे कितना क़रीब है. आज ज़रूर बारिश होगी.”
तभी दूसरा बच्चा जो उन सबसे बड़ा था, बोला, “कोई बारिश नहीं होगी. ये बादल ऐसे ही हैं, बस आते हैं और बिना बरसे ही लौट जाते हैं. हमारे पेड़-पौधे कितने सूख रहे हैं. पहले बारिश पड़ती थी, तो कितना मज़ा आता था. छप-छप करके पानी में खेलते थे, नाव चलाते थे. अब तो पता ही नहीं चलता, बारिश का मौसम कब आता है, कब चला जाता है.”
बच्चों की बातें सुनकर रिमझिम परेशान हो उठा. जिन बच्चों को वह इतना प्यार करता है, वे तो उससे नाराज़ हैं.
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आज बरसकर वह इनकी सारी शिकायत दूर कर देगा… मन ही मन सोचते हुए रिमझिम जल्दी-जल्दी अपने घर की ओर चल पड़ा. घर पहुंचकर ज्योंहि उसने अपनी टंकी का ढक्कन उठाया, वह हैरान रह गया. टंकी खाली पड़ी थी. अब क्या करे वह? रिमझिम सोच में पड़ गया.
तभी उसे अपने दोस्त मेघू का ख़्याल आया, जो उसके पड़ोस में रहता था. रिमझिम मुस्कुरा दिया और जल्दी से मेघू के घर पहुंचकर बोला, “मेघू, क्या तुम मुझे थोड़ा सा पानी दे दोगे? मुझे बच्चों के लिए बारिश करनी है.”
मेघू ने उसे अपनी टंकी दिखाते हुए कहा, “देखो, मेरे पास कितना थोड़ा पानी है. इसे मैंने लोगों को सूखे से राहत देने के लिए रख छोड़ा है.”
रिमझिम को बहुत निराशा हुई. अब वह कहां से पानी लाए? तभी उसे अपने दोस्तों की याद आई, तो एक बार फिर से उसका चेहरा चमक उठा. उसके सभी दोस्त बहुत अच्छे हैं. वे उसे पानी अवश्य दे देंगे.
रिमझिम जल्दी-जल्दी कदम बढ़ाता हुआ बारी-बारी अपने दोस्तों जलद, घन और नीरद के घर गया और उनसे भी पानी मांगा. किंतु किसी के पास से उसे पानी नहीं मिला. सभी की टंकियां खाली थीं.
निराश होकर रिमझिम अपने घर लौट आया. उसे देखकर उसकी मम्मी चिंतित हो उठीं. इतना उदास तो उन्होंने अपने बेटे को कभी नहीं देखा था. उन्होंने उसे अपनी गोद में बैठाया और उससे उसकी उदासी का कारण पूछा. मम्मी के प्यार भरे स्पर्श से रिमझिम की आंखें भर आईं.
उसने शुरू से उन्हें सारी बात बताकर कहा, “मम्मी, अब मैं क्या करूं? बच्चे बारिश का इंतज़ार कर रहे होंगे. क्या बादलों के पास कभी भी पानी नहीं होता है?
“ऐसा नहीं है. जानते हो रिमझिम, हमारे पूर्वज बादलों के पास बहुत पानी होता था,” बताते हुए मम्मी का चेहरा ख़ुशी से चमकने लगा.
वह बोलीं, “जब बरसात का मौसम आता था न, तो सारे बादल आकाश को ढक लेते थे. उन्हें देखकर जंगल में मोर ख़ुशी से नाचने लगते थे. कई-कई दिनों तक सूरज नहीं चमकता था. मूसलाधार बारिश पड़ती थी. बच्चे बारिश में ख़ूब नहाते थे. काग़ज़ की नाव बनाकर चलाते थे. खेतों में फसलें ख़ूब लहलहाती थीं. कभी कहीं सूखा नहीं पड़ता था.”
“फिर अब ऐसा क्या हो गया मम्मी, जो बादलों के पास पानी नहीं होता?” रिमझिम ने मचलते हुए पूछा.
उसकी बात पर मम्मी उदास हो उठीं, “इसमें इंसानों की ग़लती है.”
“इंसानों की ग़लती? वह कैसे?” रिमझिम चौंक उठा.
“हां बेटा, इंसान प्रकृति से खिलवाड़ कर रहा है. उसने अपने स्वार्थ के लिए पेड़, पौधे और जंगल काट दिए हैं और उनकी जगह बड़ी-बड़ी मिलें और ऊंची बिल्डिंगें खड़ी कर दी हैं, जिससे ग्लोबल वार्मिंग की समस्या पैदा हो गई है.”
“रुको मम्मी, यह ग्लोबल वार्मिंग क्या होता है?” रिमझिम की आंखों में जिज्ञासा जाग उठी.
मम्मी ने समझाया, “ग्लोबल वार्मिंग मतलब… पृथ्वी का तापमान बढ़ना. इससे पृथ्वी पर पानी की समस्या पैदा हो रही है. प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है. नदियां सूख रही हैं, जिससे ज़्यादा बादल नहीं बन पाते.‘’
“ओह, इसी वजह से हमारी टंकी में पानी नहीं है और हम चाहकर भी बारिश नहीं कर पाते.”
“हां रिमझिम, प्रकृति कभी ग़लत नहीं करती. इंसान ही प्रकृति को नष्ट करने पर तुला है.”
“अब यह समस्या कैसे दूर होगी?” रिमझिम ने पूछा.
मम्मी बोलीं, “अगर इंसान प्रकृति से छेड़छाड़ करना बंद कर दे, ख़ूब पेड़-पौधे लगाए. पानी बचाए, प्रदूषण को दूर करने का उपाय करे. पर्यावरण को संरक्षित रखें, तो यह समस्या दूर हो जाएगी.”
बादल कुछ देर सोचता रहा फिर बोला, “मम्मी, क्या मैं बच्चों के पास जाकर उन्हें समझाऊं कि वे जंगल नहीं काटेंगे. ख़ूब पेड़-पौधे लगाकर पृथ्वी को हराभरा रखेंगे, तो बादल बनेंगे, जो उन्हें बहुत सारा पानी देंगे.”
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“हां हां, क्यों नहीं?” मम्मी मुस्कुराईं और बोलीं, “मेरे पास जो थोड़ा पानी है, वह तुम बच्चों के लिए ले जाओ, ताकि वे तुमसे ख़ुश हो जाएं और तुम्हारी बात ध्यान से सुनें.”
रिमझिम एक नई उमंग से भर उठा और पानी लेकर चल दिया बच्चों के पास, उनसे बात करने. उसे पूरा विश्वास था कि बच्चे प्रकृति से प्यार करते हैं. उसकी बात वे ज़रूर मानेंगे और एक न एक दिन इस पृथ्वी को हरा-भरा ज़रूर कर देंगे.
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