मनमुटाव तो शुरुआत से ही रहा
इसीलिए खींच दी गई
लक्ष्मण-रेखाएं
ईश्वर को ढूंढ़ा गया
उससे मिन्नतें-मनुहार की
फ़ैसला तब भी न हुआ
तब..
धर्मों को गढ़ा
जातियों को जन्म दिया
परंपराओं की दुहाई दी
बंटवारा किया गया सभ्यताओं का भी
और
मनुष्यता कटघरे में ही रही
आरोप-प्रत्यारोप किए
ईश्वर को दोषी करार दिया गया
कभी प्रश्न उठाए गए
उसके होने न होने पर भी
इसीलिए
स्वयं को भी ईश्वर घोषित किया
समस्याएं जस की तस
सुनो,
ईश्वर की खोज जारी है…
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