Close

कविता- वक़्त और लम्हे… (Kavita- Waqt Aur Lamhe…)

वक़्त से लम्हों को
ख़रीदने की कोशिश की
वह मुस्कुराया
बोला
क्या क़ीमत दे सकोगे
मैं बोला
अपने जज़्बात दे देता हूं
तुम मुझे लम्हे दे दो
वह बोला कम हैं
इस मोल न ख़रीद सकोगे
मैं बोला जीवन ले लो
वह बोला
वह तो महबूब के हाथों
गिरवी रख चुके हो
और उस उधार को चुका कर
तुम्हारे महबूब से
तुम्हारी ज़िंदगी ले पाने की
औकात मेरी नहीं है
मैं बोला तुम क़ीमत बता तो
ऐ वक़्त
बिना लम्हों के
ज़िंदा कैसे रहूंगा
सुनो मुझ से मेरी यादें ले लो
बड़ी क़ीमती है
वह हंसा
एक तरफ़ मुझ से लम्हों की क़ीमत पूछते हो
और दूसरी तरफ़ मोलभाव कर
ऑफर देते हो
इंसान हो
अपनी फ़ितरत से
नहीं बाज आओगे
चलो मैं बता देता हूं
अपने दिल को
शीशा कर लो
कुछ ओस की बूंदें
भर लो
देख लो आर-पार ज़िंदगी के
अपनी मुट्ठी खोल लो
अपनी आंखों को ऊपर कर लो
तुम इंसान सिर्फ़
ख़रीदना और बेचना जानते हो
यहां तक कि
प्यार भी
लम्हे ख़रीद पाना
तुम्हारी औकात के बाहर है
कोई दौलत दे कर
न ख़रीद पाओगे
हां वक़्त के कदमों में झुक सको
तो हाथ ऊपर कर अजान दे दुआ मांगना
हो सकता है
उसकी रहमत से
कुछ लम्हे
तुम्हारी झोली में
आ गिरे
आमीन…

मुरली मनोहर श्रीवास्तव

Kavita

यह भी पढ़े: Shayeri

Share this article

https://www.perkemi.org/ Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Situs Slot Resmi https://htp.ac.id/ Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor https://pertanian.hsu.go.id/vendor/ https://onlineradio.jatengprov.go.id/media/ slot 777 Gacor https://www.opdagverden.dk/ https://perpustakaan.unhasa.ac.id/info/ https://perpustakaan.unhasa.ac.id/vendor/ https://www.unhasa.ac.id/demoslt/ https://mariposa.tw/ https://archvizone.com/