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‘चंदू चैंपियन’ के लिए मुरलीकांत पेटकर को अर्जुन पुरस्कार मिलने पर कार्तिक आर्यन और कबीर खान ने किया रिएक्ट, बोले- जर्नी पूरी हो गई है (Kartik Aaryan And Kabir Khan React To ‘Chandu Champion’ Murlikant Petkar’s Arjuna Award Honour)

फिल्म 'चंदू चैंपियन' (Chandu Champion) के डायरेक्टर कबीर खान (Ditrector Kabir Khan) और फिल्म में मुख्य किरदार निभाने वाले एक्टर कार्तिक आर्यन (Kartik Aaryan) युवा मामले और खेल मंत्रालय की तरफ से पैरा स्विमर मुरली कांत पेटकर को अर्जुन पुरस्कार (लाइफ टाइम) (Arjun Award -Life Time) के लिए चुने जाने पर बहुत खुश है. कबीर खान और कार्तिक आर्यन ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर कर उन्हें बधाई दी है.

मुरलीकांत पेटकर की कहानी को फिल्म 'चंदू चैंपियन' के रूप में बड़े पर्दे पर दिखाने वाले डायरेक्टर कबीर खान ने एएनआई से बात करते हुए कहा कि फिल्म के जरिए एथलीट को मिलने वाली पहचान से वे बहुत खुश है.

फिल्म डायरेक्टर कबीर खान और एक्टर कार्तिक आर्यन ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक ज्वाइंट पोस्ट शेयर किया है. इस पोस्ट में 'चंदू चैंपियन' एक्टर कार्तिक आर्यन और मुरलीकांत पेटकर की फोटो है. इस पोस्ट को शेयर करते हुए कबीर खान और कार्तिक आर्यन ने कैप्शन में पैरा स्विमर मुरलीकांत को बधाई देते हुए एक लंबा नोट लिखा है.

इस नोट में लिखा है- मुरलीकांत पेटकरजी को बहुत-बहुत बधाई. हमारी फिल्म 'चंदू चैंपियन' की शुरुआत अर्जुन अवॉर्ड पाने के लिए आपके फाइटिंग सीन से होती है. और अब असलियत में आपको देश का सबसे बड़ा खेल सम्मान मिलते हुए देखकर ऐसा लग रहा है कि यह जर्नी पूरी हो गई है. आपकी यह जीत व्यक्तिगत है सर. असली चैंपियन को बहुत-बहुत बधाई. इस इमोशन को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. आखिरकार आपको आपका हक मिल रहा है. हम सभी को आप पर गर्व है सर.

बता दें कि पैरा-एथलीट मुरलीकांत पेटकर को अर्जुन लाइफटाइम अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा. मुरलीकांत पेटकर की कहानी को फिल्म 'चंदू चैंपियन' के रूप में बड़े पर्दे पर दिखाने वाले डायरेक्टर कबीर खान ने एएनआई से बात करते हुए कहा कि फिल्म के जरिए एथलीट को मिलने वाले सम्मान से वे बहुत खुश है.

कबीर खान ने कहा - एक बात जो मुझे महसूस हुई और इसे मैंने फिल्म की शुरुआत में भी दिखाया था. वह बात यह कि देश ने उन्हें निराश किया है. जब मैं उनसे मिला तो वे मुझे शिकायत करने वाले व्यक्ति नहीं लगे. लेकिन आप समझ सकते हैं कि एक व्यक्ति ऐसा है जो ये महसूस कर रहा है कि मुझे वह पहचान क्यों नहीं मिली, जो मुझे मिलनी चाहिए थी? और मुझे बेहद खुशी है कि 50 से भी अधिक सालों के बाद उन्हें वह पहचान मिल रही है.

एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार - साल 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान मुरलीकांत पेटकर को नौ गोलियां लगीं. ठीक होने के बाद भी मुरलीकांत ने हार नहीं मानी.

उन्होंने स्विमिंग और अन्य खेलों में भाग लेना शुरू कर दिया. असफल होने के बावजूद मेहनत करते रहे. अंत में साल 1972 में उन्होंने भारत का पहला पैरालिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट बनकर इतिहास रच दिया.

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