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प्रेरक प्रसंग- बात जो दिल को छू गई… (Inspirational Story- Baat Jo Dil Ko Chhoo Gayi…)

वह उनके लिए कुछ लाया था. उसने अपने शर्ट की ऊपर की जेब से कुछ निकाला और उन्हें दे दिया. वे बोले वह एक टॉफी थी और उसके बाद बच्चे ने कहा, "डोंट 'ईट' इट, इट विल फिनिश…" और अनुपमजी ने कहा कि वह टॉफी मेरे फ्रिज में पंद्रह साल तक रखी रही…

टीवी पर केबीसी का एक स्पेशल एपिसोड देख रहा था. अनुपम खेर आए हुए थे. उन्होंने अपने जीवन की एक रियल लाइफ स्टोरी शेयर की, जो दिल को छू गई.
उन्होंने बताया कि यह उन दिनों की बात है, जब वे मुंबई के जुहू के निकट दिव्यांग स्कूल में बच्चों को पढ़ाते थे. एक दिन एक बच्चे ने उनसे कहा, "आज क्लास के बाद मुझसे मिलना…" और जब क्लास ख़त्म हुई, तो वे उसके पास पहुंचे. वह उनके लिए कुछ लाया था. उसने अपने शर्ट की ऊपर की जेब से कुछ निकाला और उन्हें दे दिया. वे बोले वह एक टॉफी थी और उसके बाद बच्चे ने कहा, "डोंट 'ईट' इट, इट विल फिनिश…" (इसे न खाएं, यह ख़त्म हो जाएगा) और अनुपमजी कहा कि वह टॉफी मेरे फ्रिज में पंद्रह साल तक रखी रही…
ज़िंदगी में इस तरह के न जाने कितने तोहफ़े हैं, जो उम्रभर दिलोदिमाग़ में क़ैद रह जाते हैं. मुझे अपने दो दोस्तों के तोहफ़े आज तक याद हैं, जो मुझे अपने शादी के वक़्त मिले थे. मूल्य के हिसाब से महंगे नहीं, लेकिन क़ीमती इतने कि आज तक नाम के साथ याद हैं. मेरे एक मित्र ने मुझे पेन दिया था. सामान्य सा पेन कोई पारकर या बहुत महंगा नहीं था. और एक मित्र ने बेल्ट दी थी, यह लिख कर कि आनेवाले वक़्त में ज़िम्मेदारियां सम्हालने के लिए…
इसके अलावा तो ढेर सारे तोहफ़े थे, बहुत महंगे भी. श्रीमतीजी ने पूछा था, "यह क्या गिफ्ट है?" और मैंने मुस्कुराकर कहा था, "यह तुम नहीं समझोगी. यह मेरे ख़ास दोस्त हैं."
वे बोलीं, "जब ख़ास दोस्त हैं, तो उन्हें तो कुछ और देना चाहिए था. भला पेन और बेल्ट भी कोई देता है शादी के वक़्त…" मैंने कुछ नहीं कहा.
बात आई गई हो गई, लेकिन वे गिफ्ट इतने मूल्यवान हैं कि आज तक मेरी स्मृति में बसे हुए हैं. न जाने कितने महंगे तोहफ़े मैं भूल चुका हूं और इससे बड़ी बात यह है कि जब मेरी शादी हुई, तब मेरे वे दोनों मित्र कंपटीशन की तैयारी कर रहे थे. आप समझ सकते हैं कि जब व्यक्ति कुछ न कमाता हो, तब कोई गिफ्ट ख़रीदना और देना कितना कठिन काम है. और मज़ेदार बात यह कि आगे चल कर मेरे दोनों मित्र प्रशासनिक सेवा (PCS) में सलेक्ट हो गए. घटना तीस साल पुरानी है.

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ज़िंदगी में अगर ऐसी उपहार मिल जाए, जिसे कह सकें- डोंट 'ईट' इट.. इट विल फिनिश… तो उसकी क़ीमत का अंदाज़ा लगाया जा सकता है. गिफ्ट खाली महंगे सामान दे देने से क़ीमती नहीं हो जाती. गिफ्ट तो वह है, जो दिल को छू ले. भले ही वह किसी को लिखकर या बोलकर दिए गए दो शब्द ही क्यों न हों!
यक़ीन मानिए हम सुबह से शाम तक न जाने क्या-क्या एक-दूसरे से लेते-देते हैं. सिर्फ़ इतना-सा याद रहे कि जिसे कुछ दे रहे हैं, वह इस भाव में हो कि डोंट 'ईट' इट, इट विल फिनिश… तो विश्वास मानिए, भले एक दिन हम दुनिया छोड़ कर चले जाएंगे, लेकिन जिसे इतना सा कह देंगे, उसकी यादों में ज़िंदगीभर बसे रहेंगे…

मुरली मनोहर श्रीवास्तव

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