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छोटी-छोटी बात के लिए पति पर निर्भर रहना भारतीय महिलाएं अपने पति पर इस कदर निर्भर रहती हैं कि बैंक से लेकर, बच्चों के स्कूल, घर के सामान तक ख़रीदने जैसे कामों के लिए पति का ही इंतज़ार करती हैं. पढ़ी-लिखी वर्किंग महिलाएं ऑफिस में तो सारे काम कर लेती हैं, लेकिन घर के लिए कोई भी ़फैसला लेते समय उन्हें पति की सहायता चाहिए होती है. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि हमारे देश में हमेशा से सारे अधिकार पुरुषों को ही दिए गए हैं, ऐसे में महिलाएं कहीं न कहीं ये मान लेती हैं कि किचन के बाहर के काम उनके बस की बात नहीं है. ख़ासकर पेपरवर्क के मामले में महिलाएं हमेशा पति पर ही निर्भर रहती हैं. क्या करें? आपका छोटे-छोटे कामों के लिए पति पर निर्भर रहना ठीक नहीं है, इससे आपके पति को चिढ़ हो सकती है. जो काम आप पति के बिना कर सकती हैं, उन्हें करने की शुरुआत करें. इससे आपका कॉन्फिडेंस बढ़ेगा और आपके पति को राहत महसूस होगी. अपने खानपान पर ध्यान न देना हमारे देश की अधिकतर महिलाएं एनीमिया की शिकार पाई जाती हैं और इसकी सबसे बड़ी वजह है महिलाओं का अपने खानपान पर ध्यान न देना. गरीब घर की महिलाएं ही नहीं, अमीर परिवार की महिलाएं भी एनीमिया से ग्रस्त पाई जाती हैं. हमारे देश में महिलाओं को ये बचपन से सिखाया जाता है कि उन्हें पूरे परिवार को खिलाने के बाद ही भोजन करना चाहिए, तभी वो कुशल गृहिणी कहलाई जाएंगी. माता-पिता भी बेटे के खानपान पर बेटी से ज़्यादा ध्यान देते हैं. अपनी मां को ऐसा करते देख बेटी भी अपनी सेहत के प्रति लापरवाह हो जाती है. अगर परिवार को खाना खिलाने के बाद भोजन नहीं बचा, तो महिलाएं अपने लिए और बनाने की बजाय भूखी ही रह जाती हैं. पूरे परिवार को महिलाएं दूध, फल, मेवे आदि नियम से खिलाती हैं, लेकिन अपने लिए ऐसा नियम नहीं बनाती हैं. क्या करें? जब तक पति ऑफिस से घर नहीं आ जाते, तब तक भोजन न करना समझदारी नहीं है. इससे एक तो आपको एसिडिटी की शिकायत हो जाएगी और आपकी भूख भी मर जाएगी. संपन्न होते हुए भी कुपोषण का शिकार होना स़िर्फ लापरवाही है. आप हैं तो सबकुछ है, आपके बीमार होने से पूरा परिवार बिखर जाता है, इसलिए आपका स्वस्थ रहना बहुत ज़रूरी है. जिस तरह आप अपने परिवार का ध्यान रखती हैं, उसी तरह अपनी सेहत का भी ध्यान रखें. मन की बात न कहना महिलाएं घर में सभी को ख़ुश रखने के चक्कर में अक्सर अपनी ख़ुशियों को अनदेखा कर देती हैं. यदि उन्हें किसी की कोई बात बुरी लगती है, तो वो उसे मन में ही रखती हैं. उन्हें लगता है कि पलटकर जवाब देने से घर का माहौल बिगड़ जाएगा, सबकी ख़ुशी के लिए चुप रहना ही सही है. हर बात मन में रखने से कई महिलाओं को डिप्रेशन की शिकायत होने लगती है, उनका आत्मविश्वास कम होने लगता है, वो अपने में ही सिमट जाती हैं. क्या करें? मन की बात मन में रखने से मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है और रिश्तों में भी दूरियां आने लगती हैं. किसी की कोई बात बुरी लगने पर आप उसे जवाब भले ही न दें, लेकिन आपके मन में गांठ रह ही जाती है और आप फिर उस इंसान से पहले जैसी आत्मीयता से व्यवहार नहीं कर पातीं. अत: परिवार में किसी की कोई बात बुरी लगे, तो उसे मन में न रखें, बल्कि उस व्यक्ति से उस बारे में बात करें. ऐसा करने से आपका मन हल्का हो जाएगा और उस व्यक्ति को भी पता चल जाएगा कि उसकी कौन-सी बात आपको बुरी लग सकती है. वो फिर आपसे कभी ऐसी बात नहीं करेगा.यह भी पढ़ें: महिलाओं के लिए बेस्ट स्कूटर: क्या आप जानते हैं कैसे बने स्कूटर? (Best Scooter For Indian Women)
शर्म-हिचक हो सकती है जानलेवा महिलाएं अक्सर वेजाइनल प्रॉब्लम्स, ब्रेस्ट प्रॉब्लम्स आदि के बारे में बात करने से हिचकिचाती हैं, जिसके चलते समस्या गंभीर हो जाती है. महिलाओं की शर्म और हिचक उनके लिए जानलेवा साबित हो सकती है इसलिए सेहत के मामले में कभी भी शर्म ना करें और शरीर के किसी भी हिस्से में तकलीफ़ होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. - कमला बडोनीक्या होता है जब आप बच्चों को ज़रूरत से ज़्यादा आज़ादी देते हैं, देखें वीडियो:
https://youtu.be/4lodWM3EQws
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