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बच्चे को ज़रूर सिखाएं ये बातें (Important Things You Must Teach Your Child)

  हर पैरेंट्स (Parents) की चाह रहती है कि उनका बच्चा (Child) समझदार, आज्ञाकारी, ज़िम्मेदार व स्मार्ट बने. इसी वजह से वे उसे हर वो चीज़ बताने व सिखाने की कोशिश करते हैं, जो उसके लिए ज़रूरी होती है. फिर चाहे वो प्रेशर हैंडल करना हो, हाइजीन हो या फिर सिविक सेंस ही क्यों न हो.   Child Learning बच्चे कैसे सीखते हैं, कौन-सी चीज़ उन्हें अधिक प्रेरित करती है? इसका कोई निश्‍चित मापदंड नहीं है, पर पैरेंट्स व बड़ों के मार्गदर्शन व प्रोत्साहन से वे बहुत कुछ सीखते हैं. इस संदर्भ में फोर्टिस के एसएल रहेजा हॉस्पिटल की पीडियाट्रिशियन व नियोनैटोलॉजिस्ट कंसल्टेंट डॉ. अस्मिता महाजन ने उपयोगी जानकारियां दीं. सेल्फ कंट्रोल इन दिनों बच्चों में सहनशीलता की कमी आती जा रही है और इसका असर उनकी पर्सनैलिटी पर भी पड़ रहा है. ऐसे में धैर्य रखना, सब्र करना आदि के लिए सेल्फ कंट्रोल ज़रूरी है. * सायकोलॉजिस्ट के अनुसार, जो बच्चे पढ़ने में अच्छे नहीं होते या फिर कमज़ोर होते हैं, वे सोशली एक्टिव भी कम होते हैं. ऐसे बच्चों को सेल्फ कंट्रोल यानी आत्म केंद्रित होना सिखाना आसान नहीं होता. * बच्चों को सहनशीलता का पाठ बचपन से ही पढ़ाना चाहिए, जैसे- यदि वो किसी चीज़ की ज़िद करें, तो यह ज़रूरी नहीं कि आप उसे तुरंत पूरी कर दें. उन्हें धैर्य रखने के फ़ायदे बताएं. उन्हें समझाएं कि यह चीज़ सही व़क्त आने पर ज़रूर मिलेगी. * सेल्फ कंट्रोल के लिए बच्चों को ध्यान यानी मेडिटेशन सिखाएं. * यदि पैरेंट्स भी बच्चे के साथ मेडिटेशन करें, तो बच्चों को प्रोत्साहन मिलेगा. * मेडिटेशन करने से रिलैक्स होने के साथ-साथ बच्चों में पॉज़िटिवनेस भी बढ़ती है. परिस्थितियों के अनुसार ना कहना बच्चे मासूम होते हैं और इस उम्र में उनके लिए सही-ग़लत की पहचान करना भी आसान नहीं होता. ऐसे में उनकी सुरक्षा का बेहतरीन उपाय यह है कि वे ना कहना सीखें. किन परिस्थितियों में बच्चे ना कहें, इस बारे में पैरेंट्स उन्हें समय-समय पर बताते रहें. * यदि कोई अजनबी उन्हें छूने की कोशिश करे, तो उसे मना करें या उससे दूर हट जाएं. * बच्चों को गुड टच व बैड टच के बारे में अच्छी तरह समझाएं. साथ ही उन्हें बेसिक सेक्स एजुकेशन भी दें. * बच्चों को समझाएं कि अकेले होने पर कोई परिचित, पड़ोसी खिलौने, चॉकलेट या कोई तोह़फे आदि देने की कोशिश करे, तो मना कर दें. * स्कूल, क्लास आदि में आपको पहुंचने में देरी हो रही हो और उसी समय कोई अजनबी बच्चे को घर पहुंचाने के लिए लिफ्ट दे, तो उसे ना कहें. यह भी पढ़े: मदर्स गाइड- बच्चों के आम रोगों में उपयोगी घरेलू नुस्ख़े (Mother’s Guide- Home Remedies For Children’s Common Illnesses) हाइजीन बेहद ज़रूरी * बच्चों को समझाएं कि साफ़-सफ़ाई से रहने से हम हेल्दी रहते हैं और हमारा आत्मविश्‍वास भी बढ़ता है. उन्हें हाइजीन से जुड़ी हेल्दी हैबिट्स के बारे में बताएं. * रोज़ नहाना, साफ़-सुथरा रहना, खाने से पहले हाथ धोना, टॉयलेट हाइजीन, छींकते-खांसते समय नाक-मुंह पर रुमाल रखना आदि हाइजीन से जुड़ी बेसिक बातें बच्चों को बचपन से ही सिखानी चाहिए. * ओरल हाइजीन भी ज़रूरी है. इसके लिए सुबह और रात में ब्रश करना, दांतों व जीभ को अच्छी तरह से क्लीन करना सिखाएं, ताकि सांसों की बदबू व दांतों को ख़राब होने से बचाया जा सके. * हाथ-पैर के नाख़ून को साफ़ रखने और हफ़्ते में एक बार नाख़ून काटने को कहें. * कुछ बच्चों को दांत से नाख़ून काटने की आदत होती है. उन्हें समझाएं कि दांतों से नाख़ून काटने से मैल व रोगाणु पेट में जाकर उन्हें बीमार बना सकते हैं. * बच्चों को बताएं कि नहाते समय नाक और अपने प्राइवेट पार्ट्स को भी क्लीन करें. * बच्चों को बताएं अगर वे हाइजीन का ख़्याल रखेंगे, तो उनका इम्यून सिस्टम स्ट्रॉन्ग होगा और वे बीमार नहीं पड़ेंगे. * स्कूल से आने, खेलकर आने आदि के बाद हाथों को अच्छी तरह से धोएं. * खाना खाने के पहले और बाद में हाथ ज़रूर धोएं. * फलों आदि को खाने से पहले उन्हें साफ़ पानी से धोकर खाएं. * छोटे बच्चों के लिए 8-10 घंटे की नींद बहुत ज़रूरी है. स्लीप हाइजीन में उन आदतों को शामिल किया जाता है, जो बच्चों को गहरी नींद सोने में सहायता करें. अगर बच्चे पूरी नींद नहीं लेंगे, तो उनका शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित होगा. * बच्चों के सोने व उठने का एक नियत समय बना दें, ताकि बचपन से ही उनका इंटरनल क्लॉक सेट हो जाए. लाइफ व रिलेशनशिप मैनेजमेंट लाइफ मैनेजमेंट और रिलेशनशिप मैनेजमेंट दोनों का ही एक-दूसरे से कनेक्शन है. यदि आपकी ज़िंदगी ख़ुशहाल व सुव्यवस्थित रहेगी, तो यक़ीनन आपके रिश्ते भी मधुर व मज़बूत होंगे. * बच्चों को अनुशासित रहना और हर काम समय पर करने की सीख बचपन से ही दें. * बच्चों को अपनी सभी चीज़ें, फिर चाहे वो स्कूल बैग, क़िताबें, खिलौने, अन्य ज़रूरी चीज़ें ही क्यों न हों, व्यवस्थित तरी़के से रखना सिखाएं. * छोटे बच्चे यानी 4-5 साल के बच्चों को अपने कपड़े सिलेक्ट करना, मम्मी-पापा की चीज़ों को पहचानना सिखाएं. इससे उनका कॉन्फिडेंस लेवल बढ़ता है. * उनमें बचपन से ही शेयरिंग की आदत डालें. * रिश्तेदारों के यहां जाएं, तो उनके साथ विनम्रता से पेश आएं. काम में उन्हें सहयोग दें. * बच्चों को दूसरों की ज़रूरतों को समझना सिखाना भी ज़रूरी है. * बच्चों को हर रोज़ रात को सोने से पहले कुछ अच्छी बातें बताएं या फिर पढ़कर सुनाएं. इससे उनमें अच्छी आदतें विकसित होती हैं. यह भी पढ़े: खेल-खेल में बच्चों से करवाएं एक्सरसाइज़ और ख़ुद भी रहें फिट (Indulge In Fitness With Your Children And Get In Shape) Child Care सिविक सेंस * जब कभी आप बस या ट्रेन में सफ़र कर रहे हों, तो इस दौरान कोई प्रेग्नेंट वुमन या बुज़ुर्ग खड़े हों, तो उसे अपनी सीट दें और फिर अपने बच्चों को भी बताएं कि आपने उसकी मदद क्यों की है. इससे बच्चों को दूसरों की मदद करने की प्रेरणा मिलेगी. * बच्चे को विनम्रता से बात करना सिखाएं और जब भी आप किसी से कुछ मांगें, तो ध्यान रहे कि ‘प्लीज़’ कहकर ही बात करें. * बच्चे को सिखाएं कि देश की सार्वजनिक संपत्ति, जैसे- सड़क, ट्रेन, गार्डन आदि को गंदा न करें और कूड़ा-कचरा डस्टबिन में ही फेंकें. * पौधे लगाएं. लोगों को पेड़ों को काटने से रोकें. * बच्चे को ईमानदार और सच के रास्ते पर चलना सिखाएं. * बच्चे को संविधान के नियमों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र गान का आदर करना सिखाएं. * बतौर ज़िम्मेदार अभिभावक बच्चे को समझाएं कि ख़ुद को साफ़-सुथरा रखने के साथ-साथ अपने घर, पास-पड़ोस, सोसाइटी, स्कूल, खेल का मैदान आदि को भी साफ़ रखना चाहिए. आमतौर पर हर बच्चा अपनी क्षमता व रुचि के अनुसार सीखता है, लेकिन हमें भी बच्चों को सीखने के लिए निरंतर प्रेरित करते रहना चाहिए.

- ऊषा पन्नालाल गुप्ता

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