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प्रदोष पूजा का महत्व और विधि (Importance And Vidhi Of Pradosh Puja)

हिंदू धर्म में प्रदोष पूजा का महत्व बहुत अधिक है, विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए जो शनि, राहु और केतु के दोष से प्रभावित हैं.

प्रदोष पूजा हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण पूजा मानी जाती है, जो हर महीने की त्रयोदशी तिथि को होती है. यह पूजा विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना के लिए है, जिसे जीवन की बाधाओं को दूर करने और मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए किया जाता है. 28 नवम्बर 2024 को प्रदोष पूजा का समय शाम 5:36 बजे से 8:15 बजे तक रहेगा. इस समय में भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं और वह शांति और समृद्धि का अनुभव करता है.


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प्रदोष पूजा का महत्व
प्रदोष पूजा का महत्व बहुत अधिक है, विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए जो शनि, राहु और केतु के दोष से प्रभावित हैं. इस दिन भगवान शिव के पूजन से न केवल ग्रह दोष दूर होते हैं, बल्कि आर्थिक, मानसिक और पारिवारिक परेशानियों का भी निवारण होता है. प्रदोष पूजा से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है.

पूजा की विधि
प्रदोष पूजा के दिन सबसे पहले स्नान कर साफ़ कपड़े पहनें और घर के मंदिर में भगवान शिव का पूजन करें. पूजा का समय 28 नवम्बर को शाम 5:36 से 8:15 बजे तक रहेगा. इस दौरान भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें और शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र और फूल चढ़ाएं. दीपक जलाना और रात्रि में शिवजी का ध्यान करना विशेष रूप से शुभ होता है.

उपाय
इस दिन विशेष रूप से शनि दोष से मुक्ति के लिए तांबे के शंख में जल भरकर भगवान शिव को अर्पित करें और राहु-केतु के दोष से छुटकारा पाने के लिए काले तिल का दान करें.


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प्रदोष पूजा के माध्यम से जीवन में सुख-शांति और भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती है.

- ज्योतिषी ऋचा पाठक
वेबसाइट: www.jyotishdham.com

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