कोरोना की दूसरी लहर आम आदमी से लेकर बड़े-बड़े सेलेब्स को अपनी चपेट में ले रही है. दिन-प्रतिदिन कोरोना का संक्रमण तेज़ी से फैलता जा रहा है. गंभीर मामला गंभीर होने पर रोगी को अस्पताल में भर्ती करना पड़ता हैं, लेकिन यदि कोरोना के लक्षण हलके-फुल्के हैं, तो घर पर रहकर उसका इलाज़ किया जा सकता है यानी मरीज़ खुद को होम आइसोलेशन करके कोरोना से जंग जीत सकता है.
ज़रा सी सर्दी-ज़ुकाम, खांसी, बदन दर्द, गले में संक्रमण होने पर सीधा अस्पताल जाने की आवश्यकता नहीं है. बार-बार घर से बाहर निकलने पर आप कोरोना से ग्रस्त हो सकते हैं, इसलिए जल्दबाजी में अस्पताल में जाने की भूल नहीं करें, बल्कि घर में ही रहकर खुद को जल्द से जल्द रिकवर करने की कोशिश करें. आइए जानते है कैसे?
पहचानें इन लक्षणों को?
सबसे पहले तो यह जानना जरुरी है कि क्या मरीज़ में कोरोना के लक्षण दिखाई दे रहे हैं. घर पर रहकर कैसे पता चलेगा कि मरीज़ कोविड-19 पॉजिटिव है? यदि-
- बार-बार बुखार आ रहा हो.
- लगातार खांसी हो
- सांस लेने में तकलीफ हो
- सिरदर्द और बदनदर्द
- थकान
- खाने में कोई टेस्ट नहीं आ रहा हो
- गले में खराश
अगर ये सभी लक्षण नज़र आएं, तो तुरंत मरीज़ को होम क्वारंटाइन करें और कोरोना की पुष्टि करने के लिए कोविड-19 टेस्ट जरूर कराएं.
घर पर रहकर कैसे मरीज़ का इलाज?
होम आइसोलेशन
जैसे ही मरीज़ में वायरस के लक्षण जैसे ही दिखें, सबसे पहले उसको घर का एक कमरा देकर अलग कर दें. कमरा हवादार होने चाहिए. जब तक कोई मेडिकल इमरजेंसी न हो तब तक मरीज़ को घर तो क्या, कमरे से भी बाहर न निकलने दें. इस दौरान मरीज़ को घर के बाकी सदस्यों से दूरी बनाकर रखने के लिए कहें. यहाँ एक अहम बात बता दें कि कोरोना संक्रमित किसी व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद 14 दिन का होम आइसोलेशन जरुरी हैं.
कैसा हो मरीज़ का कमरा?
जिस कमरे में मरीज़ को आइसोलेट कर रहे हैं, उसमें वेंटिलेशन की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए. ध्यान रखें, इस कमरे में मरीज़ को 14 दिन तक रहना है, इसलिए कमरा हवादार होना जरुरी है, ताकि वह रिलेक्स और अच्छा महसूस करें. इसके अलावा यह भी ध्यान रखें कि दवा और भोजन लेते समय घर के सदस्यों के संपर्क में ना आएं. मरीज़ के खाने-पीने के बर्तन, तौलिया और बिस्तर अलग ही रखें. किसी के साथ शेयर न करें. होम आइसोलेशन के दौरान घर के अंदर भी मास्क पहनें. बार-बार हाथ, नाक और मुंह साबुन से धोते रहें.
आइसोलेशन के दौरान
बेहतर होगा है कि मरीज़ उसके खाने को उसके कमरे में ही भोजन दें और उसके खाने के बर्तन भी उसी कमरे में ही रखें, जहां उसे आइसोलेट किया गया है. उसके बर्तनों को अलग लिक्विड सोप या गर्म पानी से धोएं. मरीज़ के कपड़ों, बेडशीट, पिलो और टॉवल आदि को भी अलग मशीन में या हाथ से धोएं। आखिर में कपड़ों को डेटॉल में भिगोकर धूप में सुखाएं.
बाथरूम का उपयोग
होम आइसोलेशन के समय कोरोना संक्रमित मरीज़ को अलग बाथरूम यूज करने के लिए दें. अगर घर में दूसरा कोई वॉशरूम नहीं है, तो मरीज़ द्वारा इस्तेमाल करने के बाद वॉशरूम को फिनायल या डेटोल से अच्छी तरह से साफ कर लें. कोशिश करें कि संक्रमित मरीज़ बाथरूम का उपयोग अंत में करें. ऐसा करने से बाकी सदस्यों में संक्रमण फैलने का खतरा कम हो जाता है.
टेम्प्रेचर नोट करें
आइसोलेशन में रहते हुए मरीज को दिन में दो बार अपना बुखार और ऑक्सीजन के स्तर की जांच करनी चाहिए. ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन का स्तर चेक करें ऑक्सीजन का लेवल SpO2 रेट 94 प्रतिशत से कम ना हो. अगर मरीज़ को बीपी, डायबिटीज़ आदि की बीमारी है, तो डॉक्टरी सलाह के अनुसार उन्हें भी ज़ारी रखें
खूब पानी पिएं
मरीज़ जब तक आइसोलेशन में हैं, तब तक उसे अपनी देखभाल खुद करनी होगी। इसलिए जरुरी है कि खुद को हाइड्रेट करने के लिए खूब पानी पीएं और लिक्विड फूड खाएं. जितना संभव हो गर्म पानी पीएं.
संपर्क कब करें डॉक्टर से?
होम आइसोलेशन के दौरान अगर मरीज़ की तबियत बिगड़ रही हो यानि तेज बुखार के साथ सांस लेने में तकलीफ हो, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। ताकि मरीज़ को तुरंत सही इलाज मिल सकें. इस बात का ख़ास ख्याल रखें कि कोरोना से छुटकारा पाने के लिए डॉक्टर की सलाह के बिना कोई दवा न लें.
डायट में खाएं?
मरीज़ को सिंपल और सादा खाना दें. विटामिन सी से भरपूर मौसमी, नारंगी और संतरा जैसे ताजे फल, दाल, बीन्स, हरी सब्ज़ियां दूध आदि खाएं.
- देवांश शर्मा