कैसे ढूंढ़ें बच्चे में टैलेंट- 7 बेसिक गाइडलाइन्स (How To Find Your Child’s Talent- 7 Basic Guidelines)
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हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा बुद्धिमान हो और पढ़ाई में नाम कमाए, पर जब ऐसा नहीं होता, तो वे निराश हो जाते हैं. एक बात ध्यान में रखें कि हर बच्चे में कोई ना कोई टैलेंट अवश्य होता है. भले ही वह बहुत अद्भुत या विलक्षण ना हो. इसलिए यह आपकी ज़िम्मेदारी है कि आप उस टैलेंट को ढूंढ़ निकालें और उसे प्रोत्साहन दें. यहां हम आपकी मदद के लिए कुछ बेसिक गाइडलाइन्स दे रहे हैं.बच्चे की रुचि देखें, अपनी सहूलियत नहीं
यदि आप बच्चे को एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज़ के लिए किसी क्लास में डालना चाहते हैं, तो देखें कि बच्चे की उसमें रुचि है या नहीं, ना कि अपनी इच्छा या सहूलियत. राहुल के पापा अपने कॉलेज के क्रिकेट हीरो थे, सो उसे भी क्रिकेट कोचिंग कैंप में डाल दिया. राहुल वहां कुछ भी नहीं कर पाया, क्योंकि उसे क्रिकेट पसंद ही नहीं था. उसे क्रिकेट एक सज़ा की तरह लगता था. उसे अकेले खेले जानेवाले स्पोर्ट्स जैसे साइकिलिंग और स्क्वॉश पसंद था.
जब बच्चा शर्मीला होता है, तो कई बार पैरेंट्स उसे भीड़ भरे ग्रुप में डाल देते हैं कि सबसे घुलेगा-मिलेगा, तो उसका शर्मीलापन दूर हो जाएगा, पर यह भ्रम है. ऐसा नहीं होता. कई बार बच्चा और भी आत्मकेंद्रित हो जाता है.
बच्चे के क्रियाकलाप पर ग़ौर करें
जब बच्चा घर में खेल रहा होता है, तब उसकी गतिविधियों पर ग़ौर करें. क्या वह खेलने की बजाय एक किनारे में रहना पसंद करता है? क्या वह अक्सर दीवारों पर लिखता रहता है? सबसे पहले बच्चे की हॉबी ढूंढ़ें. यह पहला स्टेप है. फिर उसे हॉबी के साथ एंजॉय करने दें. बच्चों को क्या अच्छा लगता है? वे क्या चुनते हैं? वे दोस्तों के साथ किस तरह और कितना घुलते-मिलते हैं? इन सारी बातों से आप बच्चे की स्ट्रेन्थ जान पाएंगे.
एक्सपेरिमेंट करें
अपने बच्चे को कई चीज़ें, जैसे- बुक्स, इनसाइक्लोपीडिया, पज़ल्स आदि के बारे में बताएं. यदि वह कोई विशेष क्लास करना चाहता है, तो मना न करें. बड़े-बड़े शहरों में एक्टिविटी सेंटर होते हैं, जहां स्केटिंग से लेकर डांसिंग तक और गायन से लेकर पपेट मेकिंग तक, ढेर सारी चीज़ें सिखाई जाती हैं. उसे वहां अवश्य डालें, इससे आप उसकी रुचि जान पाएंगे.
समय दें
कुछ बच्चे ऐसे होते हैं, जिन्हें तुरंत ही सफलता चाहिए होती है. जैसे ही वे क्रिकेट बैट उठाते हैं. उन्हें तुरंत ‘तेंदुलकर’ बनना होता है. ध्यान रहे, हर टैलेंटेड व्यक्ति की सफलता के पीछे घंटों, महीनों और सालों की मेहनत होती है, इसलिए समय दें. यदि 5 या 6 महीने बाद भी बच्चा आगे नहीं बढ़ पाता या रुचि नहीं लेता, तो वहां से उसे निकालना ही बेहतर है.
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तुलना ना करें
अक्सर पैरेंट्स को अपने बच्चे की तुलना दूसरे बच्चों से करने की आदत होती है. इससे बच्चा दुखी हो जाता है. ऐसा ना करें. बच्चे की छोटी से छोटी बात की तारीफ़ करें, उसे बढ़ावा दें. जितना आप बच्चे को सपोर्ट करेंगे, उतना उसका आत्मविश्वास, क्षमता और कार्य कुशलता बढ़ेगी.
पैरेंट्स पहले होमवर्क करें
बच्चे को किसी भी क्लास में डालने से पहले काफ़ी बातें सोचनी पड़ती हैं. बच्चे का क्लासेस में लगनेवाला समय, बच्चे की पढ़ाई और होमवर्क का समय, बच्चे को तरोताज़ा होने के लिए खेलने का समय, सब कुछ कैलकुलेट करें. हां, इंस्ट्रक्टर से ज़रूर बात करें और फिर निश्चित करें.
प्रोफेशनल हेल्प लें
बच्चा जब 9वीं क्लास में पहुंचे, तो किसी अच्छे इंस्टीट्यूट से उसका एप्टीट्यूड टेस्ट अवश्य करवाएं. इससे बच्चे की प्रतिभा का पता चलता है, साथ ही वह कौन-से क्षेत्र में बेहतर कर पाएगा, ये जानने में भी मदद मिलती है.
कुछ संभावनाएं
इंजीनियर: यदि बच्चा खिलौने में कार चलाना पसंद करता है, कार के या अन्य खिलौनों के पार्ट्स निकालना और उन्हें जोड़ना पसंद करता है, तो वह इंजीनियरिंग की योग्यता दर्शाता है.
आर्किटेक्ट: यदि बच्चा डिज़ाइन बनाने और ड्रॉइंग में रुचि लेता है, तो आर्किटेक्ट की योग्यता दर्शाता है.
फील्डर या स्पोर्ट्समैन: यदि बच्चा जंपिंग, क्लाइंबिंग और डांसिंग में रुचि रखता है और बिना थके उत्साह से यह सब करता है, तो ऐसे बच्चे स्पोर्ट्समैन, डांसर या अन्य फील्ड वर्क के काम में ख़ुश रहते हैं. ये डेस्क जॉब नहीं कर पाते.
साइंटिस्ट, टीचर, प्रोफेसर: यदि बच्चा ऑर्गेनाइज़्ड है, खिलौनों या चीज़ों को उनके आकार और रंगों के अनुसार क्रम से चुनता या लगाकर रखता है, जब तक उत्तर ना मिल जाए प्रश्न पूछता रहता है, ऐसे बच्चे मैथ्स या साइंस में अच्छा करते हैं.
क्रिएटिव लर्नर: ऐसे बच्चे जो दिन में सपने देखते हैं, अपनी कल्पना को कहानी में रंगकर बातें सुनाते हैं, लोगो ब्लॉक्स और पज़ल्स जोड़ने में ख़ुशी महसूस करते हैं, उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए. इससे क्रिएटिविटी बढ़ती है. ऐसे बच्चे आगे चलकर बहुत कुछ कर सकते हैं.
यह भी पढ़े: बच्चों में एकाग्रता बढ़ाने के लिए स्मार्ट एक्टिविटीज़उम्र के अनुसार एक्टिविटीज़
क्लास 1: बच्चे को एनर्जेटिक बनाने के लिए गेम्स खेलाएं. ध्यान रहे, दूसरे बच्चों से कॉम्पिटिटिव स्पोर्ट्स ना कराएं.
क्लास 2: बच्चे की रुचि देखकर निश्चित करें. उसे कुछ ‘अलोन टाइम’ भी दें.
क्लास 3: इस उम्र में बच्चों का आपस में घुलना-मिलना और सोशलाइज़ होना ज़रूरी है. टीम स्पोर्ट्स खेलाएं.
क्लास 4: इस उम्र के बच्चों का आत्मविश्वास एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज़ से बढ़ता है. पर कौन-सी एक्टिविटी करें, ये बच्चे को स्वयं निश्चित करने दें. होमवर्क को ध्यान में रखते हुए, बहुत ज़्यादा क्लासेस में ना डालें.
मिडिल स्कूल: गजेट की एक्टिविटीज़ चुनें. जैसे चेस क्लब या स्काउट प्रोग्राम.