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तलाक के बाद कैसे करें बच्चे की को-पैरेंटिंग? (How To Co-Parent Your Child After Divorce)

तलाक पति-पत्नी के बीच होता है और परिणाम बच्चे को भुगतना पड़ता है. लेकिन समय के साथ पैरेंटिंग के तरीके बदल गए हैं. को-पैरेंटिंग के चलते अलग रह रहे माता-पिता अपने बच्चे की बेहतर और अच्छी परवरिश कर न स़िर्फ उसको अच्छा माहौल दे सकते हैं, बल्कि बच्चे का भविष्य भी सुरक्षित कर सकते हैं.

क्या होती है को-पैरेंटिंग?

पैरेंटिंग का ही एक तरीका है को-पैरेंटिंग, जिसमें तलाक होने के बाद भी माता- पिता अपने बच्चे की परवरिश एक साथ मिलकर करते हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो पति-पत्नी कानूनी तौर पर अलग रहते हैं, लेकिन जब बात बच्चे के बेहतर भविष्य, उसकी ज़िम्मेदारी और ज़रूरतों की आती है, तो दोनों मिलकर इस ज़िम्मेदारी को उठाते हैं. पैरेंटिंग के इस तरीके से बच्चा तलाक के तनावपूर्ण माहौल से बचा रहता है और उसे शांतिपूर्ण माहौल मिलता है. तलाक का बच्चे पर पड़ता है ये असर

- तलाक का सीधा असर बच्चे के भावनात्मक और मानसिक विकास पर पड़ता है.

- असुरक्षा की भावना पैदा होती है.

- माता-पिता के अलग होने पर बच्चा अकेलापन महसूस करता है.

- बच्चा उदासी, एन्जाइटी और डिप्रेशन में जाने लगता है.

- उसके आत्मविश्‍वास में कमी आने लगती है.

- बच्चे की परफॉर्मेंस में कमी आने लगती है.

- स्कूल और पब्लिक प्लेस पर बच्चे को सोशल स्ट्रेस का सामना करता है.

बच्चे की को-पैरेंटिंग करने के फ़ायदे

भावनात्मक स्थिरता आती है: तलाक के बाद बच्चे मानसिक और भावनात्मक स्तर पर बुरी तरह से टूट जाते हैं. ऐसे में बच्चे को मानसिक और भावनात्मक सपोर्ट की ज़रूरत होती है. तलाक के बाद बच्चे की को-पैरेंटिंग करने से उसे माता-पिता दोनों का प्यार और सपोर्ट मिलता है, जिससे वह मानसिक और भावनात्मक स्तर पर मज़बूत बनता है. बच्चे को भी ये विश्‍वास रहता है कि अलग रहने के बाद भी उसके पैरेंट्स एक साथ मिलकर उसकी परवरिश कर रहे हैं. इससे बच्चे का आत्मविश्‍वस, भावनात्मक स्तर और मानसिक स्वास्थ्य मजबूत होता है.

सकारात्मक व्यवहार

तलाक के बाद बच्चे बहुत अकेलापन और नकारात्मक महसूस करते हैं. पैरेंट्स द्वारा बच्चे की को-पैरेंटिंग करने पर उसमें सकारात्मक और सहयोगात्मक व्यवहार विकसित होता है. को-पैरेंटिंग के दौरान बच्चे पैरेंट्स को एक-दूसरे का सम्मान, आदर और एक-दूसरे को सहयोग करते हुए देखते हैं, तो उनमें सुरक्षा का एहसास आता है और वह भी वैसा ही व्यवहार करना सीखता है. बच्चे में सकारात्मक सोच, सकारात्मक व्यवहार और सोशल स्किल डेवलप होता है और बच्चा बाहरी वातावरण के साथ तालमेल बिठाना सीखता है.

परफॉर्मेंस में सुधार

तलाक के बाद जो कपल अपने बच्चे की को-पैरेंटिंग करते हैं, उनके बच्चे स्कूल में अच्छा परफॉर्म करते हैं, क्योंकि को-पैरेंटिंग करने से बच्चे भावनात्मक और मानसिक रूप से स्थिर और मज़बूत होते हैं, जिसकी वजह से वे अपनी पढ़ाई पर ज़्यादा फोकस कर पाते हैं.

बेहतर शारीरिक और मानसिक सेहत

बच्चे की को-पैरेंटिंग करने से उसकी शारीरिक और मानसिक सेहत बेहतर होती है. को-पैरेंटिंग के जरिए बच्चे को माता और पिता दोनों का प्यार, केयर और अटेंशन मिलता है, जिससे बच्चे की शारीरिक और मानसिक सेहत संबंधी ज़रूरतें पूरी होती हैं. को-पैरेंटिंग के जरिए बच्चा स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की दिशा में प्रेरित होता है.

रिश्तों में सुधार

बच्चे की को-पैरेंटिंग करने से माता-पिता के बीच ख़राब हुए रिश्तों में सुधार आता है, क्योंकि को-पैरेंटिंग के दौरान माता-पिता बच्चे के साथ एक टीम के तौर पर काम करते हैं, जिससे माता-पिता के बीच में बेहतर कम्युनिकेशन और कोऑर्डिनेशन होता है. परिवार के सभी सदस्यों के बीच सकारात्मक माहौल बनता है.

क्वालिटी टाइम बिताएं

तलाक होने के बाद पति-पत्नी बच्चे के समय ज़रूर निकालें. अलगाव से जितने दुखी पति-पत्नी होते हैं, उतना ही दुख बच्चे को भी होता है. कुछ बच्चे तो तलाक की ख़बर सुनकर बुरी तरह से टूट जाते हैं. ऐसी स्थिति में बच्चे को भी मानसिक संबल की ज़रूरत होती है. इसलिए बच्चे के साथ न सिर्फ क्वालिटी टाइम बिताएं, बल्कि उसकी ज़रूरतों को जानें, समझें और उन्हें महत्व दें.

शेयर करें हर बात

तलाक होने के बाद भी पति-पत्नी रोज़ की तरह रूटीन फॉलो करें. जैसे पहले वे बच्चे से हर बात शेयर करते थे, उसे बताते थे, को-पैरेंटिंग के दौरान भी बच्चे को हर बात स्पष्ट रूप से बताएं. माता-पिता के ऐसे व्यवहार से उन्हें सामान्य महसूस होगा. वे खुद को तनाव रहित महसूस करेंगे.

को-पैरेंटिंग के दौरान अपने माता-पिता से ये उम्मीद रखता है बच्चा

- बच्चे को माता-पिता दोनों की आवश्यकता होती है? वह चाहता है वे लोग उसके

आसपास रहें. उसे कॉल, मैसेज और चैट करें. उससे उसके बारे में सवाल करें.

- उसे ये एहसास न होने दें कि माता-पिता अलग हो गए हैं, तो वह भी उन दोनों से दूर हो गया है.

- को-पैरेंटिंग के दौरान भी माता-पिता बच्चे को स्पेशल फील कराएं. उसे ये एहसास कराएं कि अलग होने के बाद मम्मी-पापा उससे बेहद प्यार करते हैं.

- माता-पिता का लड़ना उसे अच्छा नहीं लगता है, क्योंकि जब बच्चा माता-पिता को लड़ते हुए देखता है, तो ख़ुद को दोषी महसूस करता है. बेहतर होगा कि बच्चे के सामने माता-पिता प्यार से रहें.

- इस दौरान बच्चा माता-पिता का प्यार, साथ और सपोर्ट चाहता है, इसलिए माता-पिता बच्चे के सामने एक-दूसरे से बुरा व्यवहार न करें

- बच्चे के सामने माता-पिता एक-दूसरे से तमीज़ से बात करें.

- को-पैरेंटिंग के दौरान बच्चा चाहता है कि जब भी उसे माता-पिता की मदद की ज़रूरत हो, तो वे उसके साथ खड़े रहें.

- पूनम नागेंद्र शर्मा

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