बच्चे का सम्पूर्ण विकास हो ये सभी पैरेंट्स चाहते हैं और इसी दिशा में एबॉट ने एक सर्वे किया जिसमें एक्सपर्ट्स ने बच्चों को हेल्दी लाइफ़स्टाइल अपनाने के लिए पैरेंट्स को सुझाव दिए कई सुझाव दिए हैं, जो बच्चों पर सकारात्मक प्रभाव डालेंगे.
यह सर्वे सात साल तक किया गया था जिसमें पूरे देश से मदर्स ने भाग लिया. यह सर्वे डायट हैबिट्स और फ़िज़िकल एक्टिविटीज़ में आए बदलाव की दिखाता है, ख़ासतौर से कोविड के बाद आए रूटीन में बदलाव के चलते भी बहुत कुछ बदला है.
• 68% लोगों ने बताया की भोजन की पसंद के मामले में उनके बच्चे ज्यादा मीन-मेख निकालने लगे हैं.
• 84% को लगता है कि वैश्विक महामारी के कारण शारीरिक गतिविधि में कमी आई है और डिजिटल टेक्नोलॉजी का प्रयोग बढ़ गया है.
• 70% उत्तरदाताओं को लगता है कि उनके बच्चे की इम्युनिटी उतनी मजबूत नहीं है कि वे बाहरी वातावरण में सुरक्षित रह सकें.
एबॉट ने इस संदर्भ में ग्रो राईट 2.0 चार्टर इस सर्वे के रिज़ल्ट को देखते हुए अपने एक्सपर्ट पैनल से कुछ सुझाव पैरेंट्स को दिए हैं. ग्रोथ के लिए सही एम-ई-ए-एन-एस को अपनाने की बुनियादी आवश्यकता है. एम-ई-ए-एन-एस का अर्थ है- एम- मेज़रिंग, ईटिंग, एक्टिविटी, नर्चरिंग और स्लीप यानी मापना, आहार, गति-विधि, पालन-पोषण और नींद.
दुनिया में हलचल फिर शुरू होने लगी है और स्कूलों व ऑफिस खुल चुके हैं. ऐसी स्थिति में पेरेंट्स और बच्चों, दोनों के लिए समान रूप से आइसोलेशन के दौरान बनी कुछ आदतों - जैसे कि निष्क्रियता यानी इनएक्टिविटी और बदली हुईं जीवन चर्या से छुटकारा पाना ज़रूरी है.
भारत में एबॉट के न्यूट्रीशन कारोबार की महाप्रबंधक, स्वाति दलाल ने कहा कि बच्चे के जीवन के शुरुआती वर्ष आधारभूत और आजीवन स्वास्थ्य तथा विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं. ऐसे में सही एम-ई-ए-एन-एस के साथ ग्रो राईट 2.0 चार्टर द्वारा पैरेंट्स अपने बच्चों के सम्पूर्ण विकास को सही दिशा दे सकेंगे.
एम-ई-ए-एन-एस गाइडलाइन्स में सोने की अनुशासित आदत, खाने का टाइम टेबल और फ़िज़िकल एक्टिविसटी का समय और मेंटल रिलैक्सेशन व चिंतन शामिल हैं.
• ग्रोथ को मेज़र करना और उस पर निगरानी : बच्चे की वृद्धि को समझने और मापने के लिए सही मेज़रमेंट ज़रूरी है. इससे वृद्धि में कमियों को समझने और उस आधार पर जल्द कदम उठाने और कारण के समाधान में पेरेंट्स को मदद भी मिल सकती है.
• सही ढंग से भोजन करना : सर्वांगीण विकास और इम्यून सिस्टम सपोर्ट के लिए पोषण का कोई विकल्प नहीं है. बच्चे के दैनिक आहार में पांच तरह के फ़ूड ग्रुप्स होने चाहिए - अनाज, दालें, दूध और मांस, फल और सब्जियां, फैट्स और शुगर. खाने में मीन-मेख निकालने वाले बच्चों के पेरेंट्स ओरल न्यूट्रीशन सप्लीमेंट्स की मदद से बच्चों का संतुलित पोषण सुनिश्चित कर सकते हैं.
• सक्रिय होकर खेलना : शारीरिक गतिविधि से बोन हेल्थ बेहतर करने में मदद मिलती है, नींद में सुधार होता है और समग्र शारीरिक स्वास्थ्य की वृद्धि होती है. यह बचपन में मोटापा सहित अन्य हेल्थ रिस्क को कम करने में भी मददगार है.
• पालन-पोषण और अनुशासित बनाना : पेरेंट्स बच्चों के प्रति संवेदना दिखा कर और उनकी भावनाओं को शेयर करके उनकी भावनात्मक सेहत यानी इमोशनल हेल्थ को बेहतर कर सकते हैं. विशेषज्ञ बच्चों को बार-बार सज़ा देने से मना करते हैं, बल्कि बदले में उनके व्यवहार को ठीक करने के लिए सोचने और उस दिशा में काम करने के लिए समय देने का सुझाव देते हैं.
• नींद लेने के लिए प्रोत्साहित करना : शुरुआती उम्र में सोने की हेल्दी आदतें बच्चों में शारीरिक और मानसिक परफॉरमेंस में वृद्धि के लिए ज़रूरी है. पेरेंट्स को सलाह दी जाती है कि वे बच्चों के लिए सोने का एक रूटीन तय करें और उसके समय का लगातार पालन करवाएं.
सुप्रसिद्ध बालरोग विशेषज्ञ और पीडियाट्रिक पल्मोनोलॉजिस्ट, डॉ. इंदु खोसला ने कहा कि आजीवन शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के बीज आरंभिक बाल्यावस्था में ही डाले जाते हैं. हेल्दी हैबिट्स और रूटीन बनाने से बच्चे का सही विकास और स्कूल में बच्चे केबेहतर परफ़ॉर्म करने की संभावना बढ़ती है. पेरेंट्स और केयर टेकर्स को अपने बच्चों से बातचीत करने और उदाहरण के द्वारा उन्हें सिखाने-समझाने के प्रभावकारी और रचनात्मक तरीके खोजने चाहिए.