
पानी की कमी (डिहाइड्रेशन)
शरीर में पानी की कमी को डिहाइड्रेशन कहते हैं. हमारे शरीर का लगभग 75% हिस्सा पानी से बना है. ऐसे में पानी की कमी कई अंगों की क्षमता को बुरी तरह प्रभावित करती है. पानी की कमी के कारण - बुख़ार, बहुत ज़्यादा एक्सरसाइज़, हीट एक्सपोज़र - डायबिटीज़ - स्किन डिसीज़ या इंफेक्शन्स क्या हैं सिग्नल्स? बार-बार प्यास लगना, ड्राय स्किन, मुंह से दुर्गंध, मुंह सूखना, मांसपेशियों में ऐंठन, सीने में जलन, चक्कर आना, कमज़ोरी महसूस होना, सिरदर्द, पसीना न आना, नियमित पेशाब न होना आदि. रिस्क फैक्टर्स थकान: पानी शरीर में मौजूद ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है. इसकी कमी का सीधा असर शारीरिक ऊर्जा पर पड़ता है, जिससे हमारी कार्यक्षमता प्रभावित होती है. हाइ ब्लड प्रेशर: खून में लगभग 92% हिस्सा पानी होता है और जब कोई व्यक्ति डिहाइड्रेशन का शिकार होता है, तब पानी की कमी से खून गाढ़ा होने लगता है, जो रक्तसंचार को प्रभावित करता है, नतीजतन हाइ ब्लड प्रेशर की समस्या शुरू हो जाती है. कब्ज़: शरीर में पानी की कमी का असर हमारी पाचनक्रिया पर भी पड़ता है, जिससे बड़ी आंत से निकलनेवाले वेस्ट की गति पहले के मुक़ाबले काफ़ी धीमी हो जाती है और कुछ गंभीर मामलों में रुक भी जाती है. अस्थमा और एलर्जी: सांस संबंधी समस्याओं का एक अहम् कारण डिहाइड्रेशन की समस्या है. जब शरीर में पानी की कमी होने लगती है, तब शरीर में हिस्टामाइन का स्तर बढ़ने लगता है, जिसका परिणाम अस्थमा व एलर्जी के रूप में दिखाई देता है. इसलिए एक्सपर्ट्स अस्थमा के मरीज़ों को पर्याप्त पानी पीने की सलाह देते हैं. स्किन प्रॉब्लम्स: पानी की कमी के कारण त्वचा से टॉक्सिन निकलने की क्रिया बाधित होती है, जिससे त्वचा संबंधी समस्याएं, जैसे- डर्माटाइटिस, सोरायसिस आदि हो सकती हैं. हाइ कोलेस्ट्रॉल: जब शरीर में पानी की कमी होने लगती है, तब शरीर सर्वाइवल के लिए कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ाने लगता है. परिणास्वरूप बैठे-बिठाए व्यक्ति हाइ कोलेस्ट्रॉल का शिकार हो जाता है. पाचनतंत्र में गड़बड़ी: भोजन को पचाने के लिए हमारे शरीर को पर्याप्त मात्रा में पाचक रस की आवश्यकता होती है, जो वह पानी की मदद से बनाता है. डिहाइड्रेशन और कैल्शियम-मैग्नेशियम जैसे क्षारीय तत्वों की कमी से पाचनतंत्र से जुड़ी समस्याएं, अल्सर, गैस्ट्रिटिक आदि समस्याएं हो सकती हैं. किडनी व ब्लैडर से जुड़ी समस्याएं: जब हम पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहते हैं, तो यूरिन और पसीने के ज़रिए शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकलते रहते हैं, लेकिन पानी की कमी के कारण जमा होने लगते हैं, जिसके परिणामस्वरूप किडनी व ब्लैडर में इंफेक्शन, जलन व दर्द जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं. जोड़ों में दर्द व अकड़न: हमारे शरीर के सभी जोड़ों में ल्युब्रिकेशन के लिए कार्टिलेज की पैडिंग होती है, जो पानी से बना होता है. डिहाइड्रेशन का असर इन कार्टिलेज पर भी होता है और नतीजतन जिन जोड़ों में ल्युब्रिकेशन कम हो जाता है, वहां दर्द शुरू हो जाता है. वज़न बढ़ना: डिहाइड्रेशन की स्थिति में ऐसा भी होता है कि पानी से मिलनेवाली ऊर्जा के कम हो जाने पर बॉडी सेल्स वह ऊर्जा भोजन से लेने लगते हैं और नतीजतन हम ज़्यादा खाने लगते हैं. शरीर का मेटाबॉलिज़्म भी धीमा हो जाता है, जिसके कारण फैट सेल्स शरीर से बाहर निकलने की बजाय जमा होने लगते हैं और वज़न बढ़ना शुरू हो जाता है यानी पानी की कमी हमें मोटापा भी दे सकती है. प्री-मैच्योर एजिंग: पानी की कमी के कारण त्वचा की उम्र तेज़ी से बढ़ने लगती है. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि लोगों को चेहरे की झुर्रियां व एजिंग लाइन्स तो दिखती हैं, पर उन्हें यह नहीं पता होता कि शरीर के अंदरूनी अंगों की भी उम्र तेज़ी से बढ़ती है. ऐसे में इस समस्या का सबसे आसान उपाय है, पर्याप्त मात्रा में पानी पीना. बचाव: रोज़ाना 8-10 ग्लास पानी पीएं. घर से बाहर निकलते व़क्त पानी की बॉटल साथ ले जाएं. प्यास लगने पर कोल्ड ड्रिंक्स की बजाय फ्रूट जूस, नारियल पानी, नींबू पानी, जलजीरा, छाछ आदि पीएं. ऑयोनाइज़्ड या अल्कलाइन वॉटर साधारण पानी के मुक़ाबले शरीर को 6 गुना अधिक तेज़ी से हाइड्रेट करता है, इसलिए कभी-कभी इसे भी इस्तेमाल करें.पानी की अधिकता (ओवरहाइड्रेशन)
ओवरहाइड्रेशन या वॉटर इंटॉक्सिकेशन ऐसी अवस्था है, जब शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स का स्तर बिगड़ जाता है. दरअसल, मस्तिष्क व मांसपेशियों को सही तरी़के से काम करने के लिए सोडियम व कैल्शियम जैसे तत्वों की ज़रूरत होती है, जो पानी की अधिकता के कारण घुलने लगते हैं, जिसके कारण मस्तिष्क व नर्वस सिस्टम से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं.
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