कितना जानते हैं आप सेक्सुअल हैरेसमेंट के बारे में? (How Aware Are You About Sexual Harassment?)
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हाल से में तनुश्री दत्ता-नाना पाटेकर विवाद के बाद बॉलीवुड में मीटू कैंपेन की बाढ़ सी आ गई है. इस मीटू कैंपेन की शुरुआत तनुश्री दत्ता द्वारा नाना पाटेकर पर अपने हुए उत्पीडन (Harassment) का आरोप लगाने से हुई है. इसके बाद यह मामला पूरी तेज़ी से बॉलीवुड में फैल गया. केवल तनुश्री ही नहीं, सोनी महापात्रा, संध्या मृदुल और अनेक महिला पत्रकारों ने भीे फिल्म जगत के लोकप्रिय व मंजे हुए कलाकारों व डायरेक्टर्स में सेक्सुअल हैरेसमेंट का आरोप लगाया है. इस मीटू कैंपेन के तहत आइए जानते हैं क्या होता है सेक्सुअल हैरेसमेंट.क्या है सेक्सुअल हैरेसमेंट (Sexual Harassment)?
अधिकतर महिलाओं को इस बात का एहसास तक नहीं होता है कि उनका हैरेसमेंट हो रहा है. कोई व्यक्ति है, जो उनका वर्बली, नॉन वर्बली, फिज़िकली या मेंटली रूप से शोषण कर रहा है. और महिलाएं इसे मज़ाक या व्यंग्य (ताना) समझ कर छोड़ देती है. सेक्सुअल हैरेसमेंट का अर्थ केवल शारीरिक शोषण तो है ही, साथ में अगर किसी महिला के साथ वर्कप्लेस पर किसी भी तरह का भेदभाव, जो किसी पुरूष सहकर्मी द्वारा किया जाए या फिर वह पुरूष सहकर्मी जो आपको वर्बली या नॉन वर्बली तौर पर हानि पहुंचाएं, सिर्फ इसलिए की आप महिला है, तो यह शोषण/उत्पीडन (हैरेसमेंट) कहलाता है.
और भी पढ़ें: पुरुष होने के भी हैं साइड इफेक्ट्स(7 Side Effects Of Being Men)3 तरह का होता है सेक्सुअल हैरेसमेंट1. शारीरिक (फिजीकली): जबर्दस्ती छूना, गले लगाना, किस करना, चिकोटी काटना, फ्लर्ट करना, रास्ता रोकना, किसी के खिलाफ बोलना- ये सभी हरकतें शरीरिक उत्पीडन के अंतर्गत आती हैं.
2. मौखिक (वर्बल): महिलाओं के प्रति अभद्र भाषा का प्रयोग, गंदे कमेंट, अश्लील मज़ाक, डराना-धमकाना, बार-बार मिलने के ज़ोर डालना और उनके सामने शारीरिक संबंध बनाने का दबाव डालना- इस सभी बातें वर्बल हैरसमेंट के तहत आती हैं.
3. गैर-मौखिक (नॉन वर्बल): लगातार घूरना, अश्लील इशारे करना, सीटी बजाना, फोन या मेल पर अश्लील मैसेज, वीडियो या फिल्म भेजना- ये सभी लक्षण नॉन वर्बल हैरेसमेंट के लक्षण हैं.