खाने को स्वादिष्ट बनाने के लिए हम तरह-तरह के मसालों के कई हेल्थ बेनीफिट्स (Health Benefits of Herbs and Spices) भी हैं. ये छोटी-मोटी हेल्थ प्रॉब्लम्स को मिनटों में दूर कर देते हैं और इनका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता.
धनिया
- शरीर के किसी भी हिस्से में सूजन या जलन हो, तो धनिया को सिरके में बारीक़ पीसकर लेप कर लें, तुरंत आराम मिलता है. - हरे धनिया का रस सूंघने तथा पत्तियों को पीसकर सिर पर लेप करने से नाक से बहने वाला खून (नकसीर फूटना) बंद हो जाता है. - हरा धनिया, कालीमिर्च, काला नमक तथा पिसा हुआ जीरा- सब को एक साथ मिलाकर चटनी बनाकर नियमित सेवन करने से कब्ज़ की शिकायत दूर हो जाती है. - पेट में दर्द अथवा जलन होने पर धनिया का चूर्ण 5 ग्राम लेकर मिश्री के साथ शर्बत बनाकर पीने से पेटदर्द से राहत मिलती है. - आंखों के रोगों में हरे धनिया को पीसकर रस निकालकर कपड़े से छान लें. फिर इस रस में शुद्ध देशी घी मिलाकर 2-2 बूंद आंखों में सुबह-शाम डालें. इससे दुखती आंखों में आराम मिलता है. आंखों की फुंसियां, फूली, पपड़ी आदि दूर हो जाती हैं.लहसुन
- सर्दियों और बारिश के मौसम में इसका प्रयोग विशेषतौर पर करना चाहिए. पैर का दर्द, पीठ की जकड़न, हिस्टीरिया, लकवा, वायु विकार आदि में लहसुन कारगर दवा है. - लहसुन और तुलसी की पत्ती का रस 5-5 मि.ली., सोंठ चूर्ण 2 ग्राम और कालीमिर्च चूर्ण 1 ग्राम- सबको एक साथ मिलाकर आधा लीटर गाय के दूध के साथ सुबह-शाम पीने से थोड़े ही दिनों में सर्दी-ज़ुकाम दूर हो जाता है. - लहसुन की 10-15 कलियों को दूध में पकाकार उसे छान लें. इसे बच्चों को सुबह-शाम पिलाने से काली खांसी (कुकुर खांसी) दूर हो जाती है. - लहसुन, शक्कर और सेंधा नमक- तीनों को समान मात्रा में लेकर चटनी की तरह पीस लें. इसमें घी मिलाकर चाटने से अजीर्ण, पेटदर्द, मंदाग्नि आदि पेट के रोगों से राहत मिलती है. - पहले दिन लहसुन की एक कली निगल जाइए, दूसरे दिन दो, इसी तरह प्रतिदिन एक-एक कली बढ़ाते हुए चालीसवें दिन चालीस कलियां निगलिए. फिर इसी तरह एक-एक कली कम करते हुए आख़िर में एक कली पर आ जाइए. लहसुन का इस क्रम से सेवन करने से अस्सी दिन में लकवा की शिकायत पूरी तरह से दूर हो जाती है. - लहसुन को पीसकर दूध में मिलाकर पीने से उच्च रक्तचाप में बहुत लाभ होता है. यह हाई ब्लडप्रेशर की रामबाण औषधि है. - घाव में कीड़े पड़ गए हों, तो लहसुन को पीसकर उसका लेप लगाएं, इससे कीड़े मर जाते हैं.हींग
- अधिकतर हींग को भूनकर या सेंककर ही उपयोग में लाना चाहिए. इसकी सेवन मात्रा 120 मि.ग्रा. से 500 मि.ग्रा. तक है. - दो चम्मच सरसों के तेल में 1 ग्राम हींग, 2 कली लहसुन और ज़रा-सा सेंधा नमक डालकर भून लें. जब हींग जल जाए, तो तेल को छानकर बोतल में रख लें. कान दर्द या कान में सांय-सांय की आवाज़ आने पर 2-2 बूंद इस तेल को रोज़ रात को कानों में डालें. दूसरे दिन ईयर बड्स से कान साफ़ करके फिर तेल डालें. प्रतिदिन एक सप्ताह तक ऐसा करने से कानदर्द, खुश्की और सांय-सांय की आवाज़ की शिकायत दूर हो जाती है. - शुद्ध हींग, नींबू सत्व और कालीमिर्च के चूर्ण को समान मात्रा में मिलाकर रख लें. इसे 1 से 2 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से अजीर्ण, मंदाग्नि, जी मिचलाना आदि शिकायतें दूर हो जाती हैं. - पेट में गैस, पेट फूलना, पेट दर्द आदि में नाभि के आसपास और पेट पर हींग का लेप करने से थोड़े समय में ही आराम हो जाता है. - हींग को पानी में उबालकर उस पानी से कुल्ला करने से दांत का दर्द दूर होता है. यदि दांत में कैविटी हो, तो उसमें हींग भरने से दांत के कीड़े मर जाते हैं और दांत का दर्द भी दूर होता है.लवंग
- लवंग को पानी के साथ पीसकर उसमें मिश्री मिलाकर 200 मि.ली. पानी में घोलकर पीने से हृदय की जलन शांत होती है. - लवंग और हरड़ का काढ़ा बनाकर उसमें थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर पीने से अजीर्ण रोग दूर होता है. - लवंग को चूसने से सर्दी से हुई गले की तकलीफ़ ठीक हो जाती है और मुख की दुर्गंध भी ठीक होती है. - लवंग को पीसकर उसे थोड़ा गर्म करके सिर पर लेप करने से सिरदर्द से राहत मिलती है. - लवंग को पीसकर पानी में डालकर पकाएं. आठवां हिस्सा पानी रह जाने पर उसे उतार-छानकर पीने से पेट का दर्द, गैस व अजीर्ण आदि में आराम मिलता है.सौंफ
- सौंफ व सोंठ को समान मात्रा में लेकर घी में भूनें. फिर इसका कपड़छान चूर्ण बनाकर रख लें. इसे 5 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पानी के साथ लें. यह आमातिसार (पेचिश) में लाभकारी होता है. - सौंफ को भूनकर उसमें आवश्यकतानुसार सेंधा नमक व नींबू का रस मिलाकर सुखा लें और बोतल में भरकर रख लें. खाना खाने के बाद इसका प्रयोग करें. यह खाना पचाता है और मुंह की दुर्गंध भी दूर करता है. - कब्ज़ की शिकायत हो, तो रात में सोते समय गुनगुने पानी के साथ सौंफ का चूर्ण लें. - गले में ख़राश होने पर सुबह सौंफ चबाकर खाने से बंद गला खुल जाता है. - पेट में दर्द होने पर भुनी हुई सौंफ चबाइए, तुरंत आराम मिलेगा. - सौंफ रक्त शुद्धि के लिए और त्वचा रोग में लाभदायक है. रोज़ाना सुबह-शाम 10 ग्राम सौंफ बिना मीठा मिलाए चबा-चबाकर कुछ दिनों तक खाने से रक्त शुद्ध होता है और त्वचा का रंग निखरता है.कालीमिर्च
- आधा चम्मच कालीमिर्च का चूर्ण और आधा चम्मच शहद मिलाकर दिन में 3-4 बार चाटें. इससे खांसी ठीक हो जाती है. - पेट में गैस की शिकायत होने पर एक कप पानी में आधे नींबू का रस, आधा चम्मच कालीमिर्च का चूर्ण एवं आधा चम्मच काला नमक मिलाकर कुछ दिनों तक लेने से गैस की समस्या दूर हो जाती है. - कालीमिर्च को घी में बारीक़ पीसकर लेप करने से दाद, खाज, फोड़े-फुंसी आदि त्वचा रोग दूर हो जाते हैं. छोटी फुंसियां दिन में दो बार लेप करने से तुरंत बैठ जाती हैं. - आधा चम्मच घी, आधा चम्मच कालीमिर्च पाउडर और आधा चम्मच मिश्री- तीनों को मिलाकार नियमित सुबह चाटने से नज़र की कमज़ोरी दूर होती है और आंखों की रौशनी बढ़ती है. - पाचन क्रिया ठीक करने के लिए कालीमिर्च और सेंधा नमक पीसकर भुनी अदरक के बारीक़ टुकड़ों के साथ मिलाकर खाएं. - कालीमिर्च का बारीक चूर्ण शहद के साथ चाटकर ऊपर से छाछ पीने से पुराना पेचिश रोग (डिसेंट्री) दूर हो जाता है. नुस्ख़े का सेवन दिन में तीन बार करें.इलायची
- इलायची चूर्ण व सोंठ चूर्ण प्रत्येक आधा-आधा ग्राम शहद में मिलाकर चाटने से कफजन्य खांसी दूर हो जाती है. - इलायची चूर्ण 1-2 ग्राम अनार के शर्बत में मिलाकर पीने से उल्टी दूर हो जाती है. - इलायची और आंवले के चूर्ण को समान मात्रा में मिलाकर रख लें. इसे 2-3 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से पेशाब की जलन दूर होती है. इस नुस्ख़े से शरीर व हाथ-पैर की जलन से भी छुटकारा मिलता है.
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