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मनाएं सेफ और हेल्दी दिवाली (Have A Safe And Healthy Diwali)

ख़ुशियों के रंग बिखरे रहें, रोशनी के दिए जलते रहें... हर शाम दिवाली हो हर दिल में, कुछ इस तरह से हम मिलते रहें... दिवाली का मतलब हम सभी के लिए होता है ढेर सारी ख़ुशियां, उत्सव और जश्‍न. लेकिन इन ख़ुशियों को सेलिब्रेट करने के जोश में हम यह भूल जाते हैं कि सेलिब्रेशन का मतलब स़िर्फ शोर-शराबा और हुड़दंग ही नहीं होता. सेलिब्रेशन जहां तक हो सके सेफ हो, ताकि आपकी ख़ुशियों को नज़र न लगे. किस तरह से मनाएं सेफ और हेल्दी दिवाली यह हमें ही तय करना होगा.

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हेल्थ को इग्नोर न करें - यह सच है कि दीवाली ख़ुशियों का त्योहार है, ऐसे में खाने-पीने का हिसाब-क़िताब हम आमतौर पर नहीं रखते और इसके चलते बहुत ज़्यादा मिठाई और तली हुई चीज़ें खा लेते हैं. ऐसा बिल्कुल भी न करें. - मिठाई व तली चीज़ें सेहत को नुक़सान पहुंचाती हैं. इसके अलावा इस सीज़न में नक़ली मिठाइयों का बाज़ार गर्म रहता है, जो गंभीर

नुक़सान पहुंचाती हैं - खोवे के मिठाइयां और सिल्वर फॉइल चढ़ी मिठाइयां न खाएं. सिल्वर फॉइल की जगह अक्सर एल्युमिनियम का प्रयोग होता है, जो शरीर और ख़ासतौर से मस्तिष्क पर बहुत बुरा असर डालता है. बेहतर होगा घर पर ही मिठाई तैयार करें. - जिन मिठाइयों में केमिकल प्रिज़र्वेटिव्स डाले जाते हैं, उनसे भी बचें, क्योंकि ये आपके लिवर, व किडनी को डैमेज कर सकती हैं. इनसे अस्थमा अटैक और कैंसर का ख़तरा भी हो सकता है. - दिवाली के दौरान वायु प्रदूषण ख़तरनाक स्तर तक बढ़ जाता है. बहुत अधिक धुएं वाले पटाखे न चलाएं. इससे सांस की बीमारी हो सकती है. जिन लोगों को सांस संबंधी समस्या है, उन्हें इस दौरान तकलीफ़ काफ़ी बढ़ जाती है. इसलिए सामाजिक तौर पर भी हमें इस बात का ख़्याल रखना चाहिए कि हम इस प्रदूषण को बढ़ने न दें. - न स़िर्फ वायु बल्कि ध्वनि प्रदूषण भी काफ़ी बढ़ जाता है, जिससे कान व मस्तिष्क संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. - बेहतर होगा कि पटाखे फोड़ते व़क्त ईयर प्लग्स पहनें, क्योंकि इनसे निकलनेवाली तेज़ आवाज़ आपके कानों को नुक़सान पहुंचा सकती है.

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सेफ्टी है सबसे ज़रूरी - पटाखे और फुलझड़ियां बच्चों को बहुत अट्रैक्ट करते हैं, लेकिन ये उतने ही ख़तरनाक साबित हो सकते हैं. - बच्चों को कभी भी ख़तरनाक बम-पटाखे न दें. - हल्के-फुल्के पटाखे चलाते समय भी यह ध्यान रखें कि आप उनके साथ हों. - ढीले-ढाले कपड़े पहनकर पटाखे न चलाएं. - सिंथेटिक व जल्दी आग पकड़नेवाले कपड़े न पहनें. - दीयों को ऐसी जगह रखें, जहां वे किसी को नुक़सान न पहुंचा पाएं. - कभी भी रोड़ साइड व भीड़भाड़ वाली जगह में पटाखे न फोड़ें. इससे आपके साथ-साथ दूसरों को भी नुक़सान हो सकता है. साथ ही आगज़नी आदि की घटनाएं भी हो सकती हैं. - जहां इलेक्ट्रिक तार हों, गैस सिलेंडर या कोई भी आग पकड़नेवाले सामान हों, वहां पटाखे न चलाएं. - बहुत ज़्यादा पटाखे न फोड़ें, इससे कचरा फैलता है और अगले दिन आप इसका नज़रा सड़कों पर देख सकते हैं. - तेज़ टिमटिमाती रौशनी मन को तो लुभाती है, लेकिन दिवाली के दौरान पावर कंज़म्शन बहुत अधिक बढ़ जाता है, जिससे हमारा ही नुक़सान होता है. - बेहतर होगा ईको फ्रेंडली दिवाली मनाएं. मिट्टी के दीयों का प्रयोग करें. - बच्चे पटाखों की ज़िद छोड़ नहीं पाते, ऐसे में बेहतर होगा उन्हें ईको फ्रेंडली पटाखे लाकर दें. इनमें शोर व धुआं कम होता, क्योंकि ये रिसाइकल्ड पेपर्स से बने होते हैं. - किसी को गिफ्ट भी दें, तो बेहतर होगा ड्राइ फ्रूट्स, फ्रेश फ्रूट्स व लो कैलोरी स्वीट्स ही दें. - दीवाली के दिन चैरिटी करके उत्सव मनाएं.  ग़रीब बच्चों को या किसी आश्रम में जाकर उनके बीच ख़ुशियां बांटें. इससे बच्चे शुरुआत से ही आपको ऐसा करते देख इसे ही जीवन में अपनाएंगे. - अगले दिन पटाखों के बिखरे कचरे की सफ़ाई के लिए ख़ुद को व अपने आसपास के लोगों को प्रोत्साहित करें.

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इस साल पटाखों को कहें ‘ना’ - सबसे पहले तो यह जान लें कि दिवाली रोशनी का पर्व है, शोर का नहीं. - पटाखों से न स़िर्फ हमें, बल्कि पशु-पक्षियों को भी तकलीफ़ होती है. - इस बात की तरफ़ शायद कम ही लोगों का ध्यान जाता है कि पटाखा बनाने के काम में अधकतर बच्चे यानी बालमज़दूर ही लगे होते हैं, जो बेहद ख़राब वातावरण में काम करते हैं. पटाखे ख़रीदकर आप एक तरह से बाल मज़दूरी को ही बढ़ावा दे रहे हैं. - पटाखों से बेहद ज़हरीली गैस रिलीज़ होती है, जैसे- सल्फर डायऑक्साइड और नाइट्रोजन डायऑक्साइड, जो वातावरण व सेहत दोनों ही के लिए बेहद ख़तरनाक होती हैं. - सबसे अंत में, पटाखे ख़तरनाक होने के साथ-साथ बेहद महंगे होते हैं, उन्हें जलाकर आप एक तरह से अपने ख़ून-पसीने की गाढ़ी कमाई ही फूंक रहे होते हैं. उन पैसों को किसी अच्छे काम में लगाएं, जिससे किसी और का थोड़ा भला हो सके और आपके मन को भी संतोष मिले.

- गीता शर्मा

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