Close

सावधान: चुगलखोरी और जलन हैं आपकी बीमारियों का कारण (Gossip And Jealousy Are The Cause Of Your Diseases)

ये मेरे साथ ही क्यों हुआ, ये मुझसे नहीं होगा, क्या मैं ये कर पाऊंगा, उसे क्यों, मुझे क्यों नहीं? और वो तो उसी के लायक है? जैसी नकारात्मक बातें हमारे भीतर की नकारात्मक भावनाओं जैसे निराशा, हताशा, पश्‍चाताप, ग्लानि, डर, जलन, शंका, तनाव आदि को दर्शाती हैं. अगर लंबे समय तक ये भावनाएं बनी रहें, तो ये हमारी इमोशनल हेल्थ को नुक़सान पहुंचाती हैं, जिससे हम आसानी से बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं. कैसे ये नकारात्मक भावनाएं बनाती हैं हमें बीमार, आइए जानते हैं.

क्या हैं नकारात्मक भावनाएं?
नकारात्मक भावनाएं वो भावनाएं हैं, जिनके कारण आप न स़िर्फ ख़ुद से, बल्कि दूसरों से घृणा या नफ़रत करने लगते हैं. ये भावनाएं न स़िर्फ आपके आत्मविश्‍वास को कमज़ोर बनाती हैं, बल्कि आपके आत्मसम्मान को भी चोट पहुंचाती हैं.

क्यों होती हैं नकारात्मक भावनाएं?
नकारात्मक भावनाएं आने के कई कारण हैं, जैसे- हमेशा दूसरों से ख़ुद की तुलना करते रहना, छोटी-छोटी चीज़ों पर भी ज़रूरत से ज़्यादा सोचना, दिमाग़ में विचारों का बोझा जमा करते जाना, बेवजह की बातों में उलझे रहना और अपनी भावनाओं पर नियंत्रण न रख पाना आदि. इससे इतना समझ में आ ही गया होगा कि बहुत ज़्यादा सोचना और भावनाओं को दबाकर रखना जाने-अनजाने कई नकारात्मक भावनाओं को जन्म दे देती हैं, जिनका हमें अंदाज़ा भी नहीं होता और यही नकारात्मक भावनाएं हमारी शारीरिक तकलीफ़ों का कारण बनती हैं.


यह भी पढ़ें: बेहद इमोशनल होते हैं ये 5 राशिवाले (These 5 Zodiac Signs Are Very Emotional)

कौन-कौन सी हैं नकारात्मक भावनाएं?
चिंता, जलन, दुख, निराशा, हताशा, डर, अपराधबोध, घृणा और शंका जैसी नकारात्मक भावनाएं हमारे शरीर के अलग-अलग हिस्से को अलग-अलग तरी़के से प्रभावित करती हैं. कौन-सी नकारात्मक भावना हमारे शरीर को किस तरह प्रभावित करती है, आइए जानते हैं.

ईर्ष्या या जलन
स्त्री सुलभ ईर्ष्या के बारे में तो आपने सुना होगा, पर इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि पुरुषों को ईर्ष्या या जलन नहीं होती. दरअसल यह एक ऐसी नकारात्मक भावना है, जिसका जन्म असुरक्षा की भावना, कुछ छिन जाने का डर या फिर आत्म-सम्मान में कमी के कारण हो सकता है. अगर आपको बेवजह किसी की बातों या हरकतों पर ग़ुस्सा आता है, किसी से ख़ुद को हमेशा बेहतर साबित करने में लगी रहती हैं या फिर बस यूं कोई अच्छा नहीं लगता, तो समझ जाएं कि आपने मन में उसके प्रति ईर्ष्या भाव है. अक्सर ऐसा देखा गया है कि असुरक्षा की भावना और कुछ छिन जाने के डर से व्यक्ति चुगलखोरी शुरू कर देता है. पीठ पीछे बुराई करना, मनगढंत कहानियां बनाकर उसे बदनाम करना जैसी हरकतें व्यक्ति जलन या ईर्ष्या भाव के कारण ही करता है.  
   
सेहत पर कैसे पड़ता है असर?
जलन शरीर में एड्रेनाइल को बढ़ाता है, जिससे आपका हार्ट रेट बढ़ जाता है. यह आपकी भूख को भी प्रभावित करता है. यह शरीर में कार्टिसोल नामक स्ट्रेस हार्मोन को बढ़ाता है, जिससे आपका ब्लड प्रेशर हाई हो जाता है. अगर लंबे समय तक यह भावना बनी रहे, तो आप हाई ब्लड प्रेशर के शिकार भी सो सकते हैं. 

चिंता/तनाव
आज के ज़माने में कोई विरला ही होगा, जो कहेगा कि उसे तनाव नहीं है. छोटे बच्चों से लेकर बड़े-बुज़ुर्गों तक पर यह हावी है. शायद हमारे आस-पास माहौल ही ऐसा बनता जा रहा है कि बिना कहे तनाव आ ही जाता है. जब आप कोई काम कर रहे होते हैं, तो थोड़े समय के लिए तनाव आपको बेहतर करने में मदद करता है, पर लंबे समय तक और हर छोटी-छोटी चीज़ पर तनाव लेना आपकी सेहत को नुक़सान पहुंचाने लगता है.

सेहत पर कैसे पड़ता है असर?
तनाव का सबसे बड़ा ख़ामियाज़ा आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भुगतना पड़ता है. लंबे समय तक तनाव व्यक्ति की इम्युनिटी को कमज़ोर कर देता है, जिससे वो अक्सर बीमार पड़ने लगता है. अक्सर पेट ख़राब रहना, मांसपेशियों में अकड़न, सिरदर्द, हाई ब्लड प्रेशर और नींद न आना आदि तनाव के कारण होते हैं. ऐसे में बेहतर होगा कि अपने तनाव को लेकर सावधान हो जाएं, वरना इन बीमारियों के शिकार हो जाएंगे.

शोक/दुख
जीवन में जब कुछ क़ीमती हमसे छिन जाता है या हम कुछ खो देते हैं, तो उससे जुड़ा दुख या शोक जल्दी ख़त्म नहीं होता. ज़्यादातर लोग यही सलाह देते हैं कि समय बीतने के साथ दुख भी कम हो जाएगा, पर कभी-कभी ये दुख व्यक्ति के जीवन का हिस्सा बन जाता है. लंबे समय तक दुखी रहना, किसी के लिए भी सही नहीं है. हम इंसान हैं, हमें वक़्त के साथ आगे बढ़ते रहना चाहिए, वरना ये नकारात्मक भावना इंसान को खोखला बनाने लगती है.

यह भी पढ़ें: बनना है सोशल मीडिया स्टार, तो अपनाएं ये स्मार्ट टिप्स (11 Smart Tips To Become Famous On Social Media)

सेहत पर कैसे पड़ता है असर?
अगर लंबे समय तक ये नकारात्मक भावना हमारे भीतर घर बना ले, तो व्यक्ति हर वक़्त थका हुआ महसूस करता है. इसके अलावा पूरे शरीर में कहीं न कहीं दर्द का बने रहना और नींद न आना जैसी समस्याएं होती रहती हैं. अगर आप भी हर वक़्त थकान और बदन दर्द से परेशान रहती हैं, तो अपने भीतर झांककर देखें कि कहीं कोई अनकहा दुख तो आपके भीतर नहीं छुपा बैठा है, जो आपको स्वस्थ महसूस नहीं होने देता.

ग़ुस्सा/क्रोध
जब चीज़ें हमारे मन मुताबिक़ नहीं होतीं, तो हमें ग़ुस्सा आता है, जो स्वाभाविक है, लेकिन अगर हर छोटी-छोटी बात पर हमें ग़ुस्सा आने लगे, तो वो चिंता का विषय है. रिसर्च बताती है कि अगर ग़ुस्से को सही तरी़के से इस्तेमाल किया जाए, तो आप बहुत से बेहतरीन काम कर सकते हैं, लेकिन अगर यह क़ाबू में न रहे, तो न सिर्फ़ आपके रिश्ते प्रभावित होते हैं, बल्कि सेहत भी बुरी तरह प्रभावित होती है.

सेहत पर कैसे पड़ता है असर?
जब हमें ग़ुस्सा आता है, तो शरीर दो चीज़ों के लिए तैयार होता है- भागो या लड़ो, जिसे अंग्रेज़ी में फ्लाइट या फाइट कहते हैं. ऐसे में शरीर में स्ट्रेस हार्मोंस का स्राव बहुत तेज़ी से होता है. दिल की धड़कनों का तेज़ होना, सांसों में तेज़ी आना और शरीर का तापमान बढ़ जाना इंस्टेंट रिएक्शन हैं. थोड़े समय के लिए ये बदलाव ज़्यादा नुक़सान नहीं पहुंचाते, पर अक्सर ऐसी स्थिति में रहनेवाला व्यक्ति लगातार सिरदर्द, पाचन संबंधी समस्या, चिंता, डिप्रेशन, ब्लड प्रेशर और स्ट्रोक जैसी बीमारियों का शिकार हो सकता है.

कैसे निपटें नकारात्मक भावनाओं से?
मानव जीवन में नकारात्मक भावनाएं स्वाभाविक हैं, लेकिन अगर इन्हें दबाने या कुचलने की कोशिश करेंगे, तो ये विस्फोटक हो सकती हैं, इसलिए इन्हें मैनेज करना सीखें. कोई भी नकरात्मक भावना अकारण नहीं होती, उसके पीछे कोई न कोई कारण होता है, इसलिए हमें शुरू से शुरू करना होगा और उसकी जड़ तक जाना होगा.

स्वीकार करना सीखें
नकारात्मक भावनाओं से निपटने का यह बहुत ज़रूरी गुण है. जब आप किसी चीज़ को स्वीकार कर लेते हैं, तो उसे संभालना और सही दिशा देना आसान हो जाता है.

भावनाओं को दबाने की बजाय, उगल दें
ग़ुस्सा, डर, जलन, निराशा या चिंता कोई भी नकारात्मक भावना हो, अगर उसे दबाकर रखेंगे, तो वो जमा होता रहता है और एक दिन फट पड़ता है, इसलिए कैसी भी भावना हो, बोलना और बताना शुरू कर दें. अगर किसी से जलन हो रही है, तो हो रही है, कोई बात नहीं, उसे अनदेखा करना शुरू करें. हां बस ध्यान रखें कि इसके वश में आकर किसी से चुगली न करें, समस्या धीरे-धीरे ख़ुद ही सुलझ जाएगी.

अपने क़रीबी लोगों से मदद लें
घर, परिवार या रिश्तेदारों में जो भी आपके क़रीब है, उससे हमेशा अपने दिल की बातें शेयर करते रहें. अगर आपको लगे कि आजकल बार-बार पेट ख़राब हो जाता है और बेवजह बदन दर्द से परेशान रहने लगे हैं, तो किसी अपने से बात करें. अक्सर कुछ बातें हमारे अंतर्मन में ऐसी छुपी होती हैं कि जब तक कोई वहां खटखटाता नहीं, हमें उनके होने का एहसास ही नहीं होता. 

कृतज्ञ बनें
हम शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ हैं, हमें रोज़ाना दो वक़्त भोजन मिलता है, हमारा परिवार है, हम जीवनयापन के लिए कुछ न कुछ जुगाड़ कर ही लेते हैं, इससे बेहतर भला हमें और क्या चाहिए? कृतज्ञता का भाव हमारे भीतर सकारात्मक ऊर्जा और भावनाओं का संचार करती है, जिससे हम दया, करुणा, प्रसन्नता आदि भावों को महसूस करते हैं. हर दिन हर चीज़ के लिए ईश्‍वर को धन्यवाद कहना शुरू करें, आपकी आधी से ज़्यादा समस्याएं अपने आप समाप्त हो जाएंगी.

- संतारा सिंह

अभी सबस्क्राइब करें मेरी सहेली का एक साल का डिजिटल एडिशन सिर्फ़ ₹599 और पाएं ₹1000 का कलरएसेंस कॉस्मेटिक्स का गिफ्ट वाउचर.

Share this article