मंत्रों का असर मंदिरों में और अधिक बढ़ जाता है...
मंत्रों को यदि मंदिरों में जपा व सुना जाए, तो उनका प्रभाव काफ़ी अधिक होता है, क्योंकि मंदिर गुंबदाकार से शब्द जब टकराकर वापस आते हैं, तो मन-मस्तिष्क में नई ऊर्जा भर देते हैं. मंदिर का गुंबदाकार उनके प्रभाव को कई गुना बढ़ा देता है. यही वजह है कि मंदिरों के आकर को भी वैज्ञानिक तरीक़े से गढ़ा जाता है.
जितना हंसेंगे, उतना हेल्दी रहेंगे...
रिसर्च बताते हैं कि जो लोग ज़्यादा हंसते हैं, वो शारीरिक व मानसिक तकलीफ़ों को बेहतर तरी़के से टैकल व टॉलरेट कर सकते हैं. हंसने से सकारात्मकता बढ़ती है, ऊर्जा बढ़ती है और फेफड़े मज़बूत बनते हैं. शुद्ध हवा बेहतर तरीक़े से शरीर में जाती है और मस्तिष्क भी बेहतर तरीक़े से काम करता है.
गेंदे के फूलों को क्यों माना जाता है शुभ?
पूजा-अर्चना में गेंदे के फूलों का उपयोग होता है. घर के बाहर बंदनवार में भी इनका प्रयोग होता है, क्योंकि ये वातावरण को शुद्ध करते हैं. नकारात्मक ऊर्जा, बैक्टिरिया आदि को दूर करके सकारात्मक ऊर्जा फैलाते हैं.
बांझपन दूर करता है गायत्री मंत्र
गायत्री मंत्र का नियमित जाप करके बांझपन को दूर किया जा सकता है. गर्भवती महिलाएं मंत्र का जाप करके सुंदर और तंदुरुस्त बच्चा पा सकती हैं. गायत्री मंत्र के जाप से पैदा होने वाला बच्चा असाधारण प्रतिभा का धनी होता है. किसी दंपत्ति को संतान प्राप्त करने में कठिनाई आ रही हो या संतान से दुखी हो अथवा संतान रोगग्रस्त हो, तो प्रात: पति-पत्नी एक साथ सफ़ेद वस्त्र धारण कर गायत्री मंत्र का जप करें. इससे बांझपन दूर होता है और संतान सुख मिलता है. गायत्री मंत्र के जो अक्षर व शब्द हैं, वो शरीर के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित करते हैं. मंत्र जाप के समय हर अक्षर शरीर के विभिन्न भागों व ग्लांड को उत्तेजित करता है, हमारे शरीर में 7 चक्र होते हैं, जिनमें 72 हज़ार नाड़ियों होती हैं. ये नाड़ियां सुप्त अवस्था में रहती हैं, गायत्री मंत्र में शब्दों का संयोजन इस तरह से है कि ये उन सुप्त नाड़ियों को उत्तेजित कर देता है, जिससे संतान प्राप्ति ही नहीं और भी कई रोगों में लाभ मिलता है.