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कभी मुंबई में बेचते थे वडा पाव, स्टूडियो में झाड़ू भी लगाया, तब जाकर सीखी फिल्ममेकिंग, छावा के डायरेक्टर लक्ष्मण उत्तेकर की स्ट्रगल स्टोरी है बेहद इंस्पायरिंग (From selling Vada Pav, Working as sweeper in a Studio to ₹500 crore club director, Know ‘Chhaava’ director Laxman Utekar’s inspiring journey)

लक्ष्मण उतेकर (Laxman Utekar)  के निर्देशन में बनी फिल्म 'छावा' ने देशभर में तहलका मचा दिया है. विकी कौशल (Vicky Kaushal) स्टारर इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस (Chhaava Box Office Report) पर सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिया है. अब तक वर्ल्डवाइड 500 करोड़ रुपये से ज्यादा बिजनेस कर चुकी इस ऐतिहासिक फिल्म का क्रेज लोगों में बरकरार है. फिल्म के डायरेक्टर लक्ष्मण उतेकर के छ: साल के करियर में ये पांचवीं हिट फिल्म है. 

लेकिन लक्ष्मण उतेकर की यहां तक कि जर्नी इतनी आसान नहीं रही. कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ने से पहले उन्होंने संघर्षों (Chhaava Director Laxman Utekar's struggle story) का एक लंबा सफर तय किया है. वडा पाव बेचने से लेकर टॉयलेट साफ करने और स्टूडियो में स्वीपर का काम करने तक, लक्ष्मण उतेकर की लाइफ किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. 

लक्ष्मण उतेकर सिर्फ चार साल के थे जब वो  अपने अंकल के साथ गांव से मुंबई आ गए थे. पढ़ाई में उनका मन नहीं लगा तो वो छोटे मोटे काम करने लगे. मुंबई के शिवाजी पार्क में वो वडा पाव (Laxman Utekar used to sell Vada Pav) का ठेला लगाने लगे. वो खुद वड़ा बनाते और बेचते थे. लेकिन एक दिन बीएमसी वाले उनका ठेला उठा ले गए. लेकिन अफसोस करने की बजाय लक्ष्मण उतेकर ने सोचा अच्छा ही हुआ, क्योंकि वो वडा पाव बनाकर बोर हो चुके थे. अपने एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, "तब मैं दिल से वडा पाव बनाता था और वो लोगों को पसंद आता था. अब मैं दिल से फिल्में बनाता हूं और ये भी लोगों को पसंद आती हैं."

इसके बाद वो एक ऐसे ऑफिस में चपरासी के तौर पर काम करने लगे जहां उन्हें टॉयलेट साफ करना पड़ता था. इसी दौरान उन्होंने न्यूजपेपर में एक ऐड देखा, जिसमें लिखा था कि एक स्टूडियो को स्वीपर की जरूरत है. लक्ष्मण उतेकर स्टूडियो में नौकरी करने लगे. एक दिन स्टूडियो में कैमरा असिस्टेंट नहीं आया था, तो स्टूडियो ओनर ने लक्ष्मण की ओर इशारा करते हुए कहा, "अरे ये बैठा है, इसे ले ले." इस तरह वो कैमरा अटेंडेंट बन गए. फिर चीफ कैमरा अटेंडेंट, असिस्टेंट कैमरामैन बनते हुए वो कैमरामैन बन गए. 

इसके बाद उन्हें फिल्म ब्लू शूट करने का मौका मिला. इसके बाद इंग्लिश विंग्लिश, डियर जिंदगी, हिंदी मीडियम जैसी कई बेहतरीन फिल्मों की सिनेमेटोग्राफी उन्होंने की. इसके बाद निर्देशक के रूप में उन्होंने 2014 में मराठी फिल्म तपाल से डेब्यू किया. 2019 में उन्होंने अपनी पहली हिंदी फिल्म 'लुका छुपी' का निर्देशन किया जो हिट साबित हुई. इसके बाद आई उनकी मिमी और जरा हटके जरा बचके भी बॉक्स ऑफिस पर हिट रही थी. और अब उनकी लेटेस्ट मूवी छावा ने भारत में 11 दिन के अंदर 400 करोड़ के ऊपर बिजनेस कर लिया है.

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