क्या करें ?
- मोच होने पर सबसे पहले उस हिस्से को रेस्ट करने दें. उस पर प्रेशर बिल्कुल ना पड़ने दें.
- पहले 48 से 72 घंटे ब़र्फ से 15-20 मिनट सेंकाई करें. ब़र्फ मोचवाली जगह पर सीधे लगाने की बजाय टॉवेल या कपड़े में बांध कर लगाएं.
- मोच वाले एरिया को नुक़सान न पहुंचे, इसलिए बैंडेज बांध दें. इससे सूजन कम होगी. बैंडेज कसकर ना बांधें, इससे रक्त-संचार बाधित होगा.
- मोच वाले हिस्से को तकिये की मदद से थोड़ा ऊपर रखें, इससे सूजन कम होगी.
- पैरों में अगर मोच आई हो और पैर ज़ख्मी हो गया हो, तो ज़्यादा देर तकिये पर ना रखें.
क्या न करें ?
- मोच वाली जगह पर मसाज न करें.
- किसी भी तरह की एक्ससाइज़ न करें.
- मोच वाले हिस्से को गर्मी न दें, जैसे- स्टीम बाथ, सोनाबाथ न लें.
- नशा न करें. अल्कोहल के सेवन से सूजन बढ़ सकती है और ठीक होने में ज़्यादा व़क्त लग सकता है.
फ्रैक्चर होने पर
- हड्डी अगर फ्रैक्चर हो गई हो, तो उसे बिल्कुल न हिलाएं.
- फुलपट्टी या छड़ी जैसी सख़्त चीज़ से हड्डी को सपोर्ट देकर कपड़े से किसी अंग से बांध दें.
- हड्डी टूटते से ख़ून निकल रहा हो, तो पहले खून साफ़ पट्टी से हल्के से दबाकर रोकें.
- चोट लगी जगह को पानी से साफ़ करें.
- हड्डी के टुकड़े अलग हो गए हों, तो टुकड़े को रख लें. कई बार टूटी हुई हड्डी को जोड़ा जा सकता है.
- जितना जल्दी हो सके, डॉक्टर के पास मरीज़ को ले जाएं, ताकि समय पर इलाज हो सके.
क्या न करें ?
- मरीज़ को खाने-पीने को कुछ न दें. कई बार मरीज़ को बेहोश कर हड्डी जोड़ी जाती है.
- जहां चोट लगी हो वहां कोई मलहम न लगाएं.
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