हेल्दी एंड फिट रहने और बीमारियों से बचने के लिए डायट का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी होता है. पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) जैसे मेटाबॉलिक डिसऑर्डर से लेकर डायबिटीज़ जैसी बीमारियों को हेल्दी डायट के ज़रिए मैनेज किया जा सकता है. दुनियाभर में लाखों लोगों को प्रभावित करने वाली पीसीओएस बीमारी की वजह अक्सर अनहेल्दी लाइफस्टाइल और डायट को माना जाता है. इसी तरह डायबिटीज टाइप 1 हो या टाइप 2, ब्लड शुगर कंट्रोल रखने के लिए हेल्दी डायट लेना ज़रूरी है.
अगर आप पीसीओएस या डायबिटीज़ के मरीज़ हैं तो आपको पता होना चाहिए कि इन कंडीशन को मैनेज करने के लिए आपको किन-किन फूड को अपनी डायट में शामिल करना चाहिए और किन चींज़ों को डायट में शामिल करने से बचना चाहिए. इस संबंध में द डायट एक्सपर्ट की हेड डायटीशियन सिमरत कथूरिया ने महत्वपूर्ण जानकारियां दीं.
पीसीओएस और इसके जोख़िमों को समझना
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम एक हार्मोनल विकार है, जो विश्वभर में लगभग 6% से 15% जनसंख्या को प्रभावित करता है. यह समस्या कई लक्षणों का कारण बनती हैं, जैसे अनियमित मासिक धर्म, ओवरी में सिस्ट बनना, असामान्य बालों की वृद्धि और सूजन. पीसीओएस से जुड़ी एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती इंसुलिन रेसिस्टेंट है, जिसमें शरीर इंसुलिन को ठीक से प्रोसेस नहीं कर पाता, जिससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है.
यह स्थिति टाइप 2 डायबिटीज़ विकसित होने की संभावना को काफ़ी हद तक बढ़ा देती है और यह जोख़िम उम्र के साथ और अधिक बढ़ जाता है. अध्ययनों से पता चलता है कि पीसीओएस से पीड़ित आधे से अधिक लोग 40 साल की उम्र तक डायबिटीज़ से ग्रस्त हो सकते है. इसलिए इस समस्या को जल्द पहचान कर और सही उपाय अपनाकर होने वाली जटिलताओं को रोकना बहुत ज़रूरी है.
इंसुलिन रेसिस्टेंट न केवल वजन बढ़ने का कारण बनता है, बल्कि यह पीसीओएस के लक्षणों को भी और अधिक गंभीर बना देता है. इसके अलावा पीसीओएस से पीड़ित व्यक्तियों में अक्सर मेटाबॉलिक सिंड्रोम पाया जाता है, जो ऐसे विकारों का समूह है जो हृदय रोग के जोख़िम को बढ़ाता है. इसलिए पीसीओएस से प्रभावित लोगों के लिए यह आवश्यक है कि वे ऐसी डायट लें, जो ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करें और वज़न भी मेंटेन रख सके. ऐसा करने से इन आपस में जुड़े स्वास्थ्य समस्याओं को कंट्रोल किया जा सकता है.
पीसीओएस में हाई फाइबर वाले फूड का सेवन क्यों ज़रूरी?
पीसीओएस से पीड़ित लोगों को फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना बहुत ज़रूरी है. फाइबर पाचन और शुगर के अवशोषण को धीमा करता है, जिससे इंसुलिन रेजिस्टेंस वाले लोगों में आमतौर पर होने वाले ब्लड शुगर के तेज बढ़ने को कंट्रोल करने में मदद मिलती है. ब्रोकली, फूलगोभी और ब्रसेल्स स्प्राउट्स जैसी क्रूसीफेरस सब्ज़ियां फाइबर से भरपूर होती हैं और इन्हें पीसीओएस वाले लोगों को डायट में शामिल करना फ़ायदेमंद है. इसके अलावा रेड लीफ लेट्यूस और अरुगुला जैसी हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, साथ ही बीन्स, मसूर, और शकरकंद भी फाइबर का बढ़िया स्रोत हैं. ये खाद्य पदार्थ न केवल इंसुलिन रेजिस्टेंस को कंट्रोल करने में मदद करते हैं, बल्कि समग्र पाचन स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देते हैं. इन खाद्य पदार्थों को दैनिक भोजन में शामिल करने से शरीर की शुगर को प्रोसेस करने की क्षमता में सुधार होता है. साथ ही स्वस्थ वज़न बनाए रखने में मदद मिलती है और पीसीओएस के लक्षणों की तीव्रता को धीरे-धीरे कम किया जा सकता है.
डायबिटीज़ में कार्बोहाइड्रेट का बैलेंस क्यों ज़रूरी?
डायबिटीज़, ख़ासकर टाइप 2 डायबिटीज़ वाले लोगों के लिए कार्बोहाइड्रेट का सही तरीक़े से मैनेज करना ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए बेहद ज़रूरी है. कार्बोहाइड्रेट ग्लूकोज में बदल जाते हैं, जो सीधे ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित करता है. रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट से भरपूर चीज़ें, जैसे- सफ़ेद ब्रेड व मीठे स्नैक्स खाद्य पदार्थ ब्लड शुगर को तेजी से बढ़ा सकते हैं. यह समस्या केवल डायबिटीज़ से ग्रस्त लोगों के लिए ही नहीं है, बल्कि पीसीओएस से पीड़ित व्यक्तियों के लिए भी है. जहां इंसुलिन रेजिस्टेंस के कारण शरीर के लिए ग्लूकोज को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है.
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कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट, जैसे- साबुत अनाज, दालें और बिना स्टार्च वाली सब्ज़ियों के सेवन से खून में शुगर की रिलीज धीमी होती है, जिससे ब्लड शुगर का लेवल अधिक स्थिर रहता है. लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ, जैसे- ओट्स, क्विनोआ और शकरकंद ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में बहुत फ़ायदेमंद होते हैं. इन खाद्य पदार्थों को प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों के साथ मिलाकर खाने से ब्लड शुगर को तेजी से बढ़ने से रोका जा सकता है. यह न केवल डायबिटीज़ बल्कि पीसीओएस को कंट्रोल करना भी आसान बनाता है.
हेल्दी फैट और प्रोटीन भी है ज़रूरी
डायबिटीज़ और पीसीओएस कंट्रोल करने के लिए डायट में हेल्दी फैट और प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करना बहुत फ़ायदेमंद है. पीसीओएस को मैनेज करने और डायबिटीज़ के ख़तरे को टालने के लिए नट्स, सीड्स, एवोकाडो, और ऑलिव ऑयल जैसे खाद्य पदार्थों से सूजन को कम करने और इंसुलिन रेसिस्टेंट को बढ़ाने में मदद मिल सकती है.
प्रोटीन, ख़ासकर फिश, चिकन और प्लांट बेस्ड जैसे लीन प्रोटीन भी ज़रूरी हैं, क्योंकि ये कार्बोहाइड्रेट के पाचन को धीमा कर देते हैं, जिससे ब्लड शुगर का लेवल स्थिर रहता है. उदाहरण के लिए ग्रिल्ड सैल्मन (ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर), क्विनोआ, और हरी पत्तेदार सब्ज़ियों के साथ एक संतुलित भोजन ज़रूरी पोषक तत्व प्रदान करता है और चयापचय स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देता है. प्रत्येक भोजन में उचित मात्रा में हेल्दी फैट और प्रोटीन शामिल करना पीसीओएस और डायबिटीज़ से पीड़ित व्यक्तियों को भूख को कंट्रोल करने, एनर्जी लेवल बनाए रखने और ब्लड शुगर के उतार-चढ़ाव को कम करने में मदद कर सकता है.
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पीसीओएस और डायबिटीज़ में एंटीऑक्सीडेंट का महत्व
एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थ शरीर में सूजन को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं, जो अक्सर डायबिटीज़ और पीसीओएस से जुड़ी होती है. पुरानी सूजन न केवल इंसुलिन रेसिस्टेंट को बढ़ाती है, बल्कि इन समस्याओं को गंभीर भी बना सकती है. एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे बेरीज, हरी पत्तेदार सब्ज़ियां और रंग-बिरंगी शिमला मिर्च, सूजन को कम करने और समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में सहायक होते हैं.
पीसीओएस से पीड़ित लोगों के लिए सूजन को कम करना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि यह अनियमित पीरियड्स और बालों के अधिक बढ़ने जैसे लक्षणों को कंट्रोल करने में मदद करता है. डायबिटीज़ के मरीज़ों को एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थों के सेवन से न्यूरोपैथी और हार्ट डिजीज जैसी जटिलताओं से बचने में मदद मिलती है. रंग-बिरंगे प्लांट बेस्ड फूड लेने से न केवल विटामिन और मिनरल्स की कमी पूरी होती है, बल्कि शरीर को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और सूजन से भी मजबूत सुरक्षा मिलती है.
Photo Courtesy: Freepik
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