उम्र बढ़ने के साथ-साथ अक्सर पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर कम होने लगता है. इस सेक्स हार्मोन की कमी होने पर पुरुषों में कुछ लक्षण साफ़ दिखाई देने लगते हैं. पर उन्हें इस बात का एहसास तक नहीं होता. आइए जानते हैं उन लक्षणों के बारे में-
टेस्टोस्टेरोन एक सेक्स हार्मोन है, जिसका निर्माण पुरुषों के शरीर में होता है. टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का काम पुरुषों में कामेच्छा (सेक्स ड्राइव) को बढ़ाना होता है. लेकिन जब पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन के स्तर में कमी आने लगती है, तो उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इस हार्मोन का संबंध उनके सेक्सुअल डेवलपमेंट से भी होता है. यहां पर बताए गए लक्षणों से आप जान सकते हैं कि कहीं आपके शरीर में भी टेस्टोस्टेरोन की कमी तो नहीं हो रही है-
किन कारणों से होती है पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन की कमी?
- पिट्यूटरी ग्रंथि में इंफेक्शन या ट्यूमर के कारण
- कैंसर के लिए उपचार के लिए कराई जाने वाली कीमोथेरेपी से
- रेडिएशन उपचार
- किसी आनुवांशिक रोग के कारण
- शरीर में आयरन की मात्रा बहुत अधिक बढ़ने पर
- बहुत अधिक तनाव के कारण
- किडनी से जुड़े रोग होने पर
- रोज़ाना अल्कोहल का सेवन करने पर
- मोटापा
- किसी तरह का मेटाबॉलिक डिसऑर्डर होने पर
- किडनी फेल होने पर
- उम्र बढ़ने के साथ दरअसल पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन की कमी होना मेडिकल प्रॉब्लम है, जिसका सीधा संबंध डायबिटीज टाइप 2 और मोटापे से है. खून कीजांच करने पर ही टेस्टोस्टेरोन के स्तर का पता चलता है. जानकारी के लिए बता दें कि रोज़मर्रा की ज़िंदगी में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर बदलता रहता है. इसका स्तर कभी कम, तो कभी ज़्यादा होता रहता है, लेकिन जब पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम होने लगता है, तो शरीर में इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं.
किस उम्र में कम होता है टेस्टोस्टेरोन का स्तर?
औसतन पुरुषों में 45 साल के बाद टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम होने लगता है. लेकिन टेस्टोस्टेरोन का स्तर कितना होना चाहिए, यह बताना थोड़ा मुश्किल है, क्योंकि भोजन में मौजूद पोषक तत्व, बीएमआई, अल्कोहल, बीमारी, दवाओं और उम्र की वजह से रोज़ाना टेस्टोस्टेरोन का स्तर घटता-बढ़ता रहता है.
क्या हैं लक्षण?
मूड में बदलाव होना: पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम होने पर शरीर में कई तरह के भावनात्मक बदलाव आने लगते हैं. इस हार्मोन का ज़रूरत से ज़्यादा स्तर कम होने पर पुरुषों के मानसिक सेहत पर बुरा असर पड़ता है, जैसे- हमेशा बहुत ज़्यादा परेशान रहना, चिड़चिड़ापन और तनावग्रस्त रहना, चिंता और बेचैनी का बढ़ना आदि. जब टेस्टोस्टेरोन का स्तर सामान्य रहता है, तो उनका मूड ठीक रहता है और पहले की तुलना में वे अच्छा महसूस करते हैं.
मांसपेशियों में ताकत महसूस न होना: शरीर में टेस्टोस्टेरोन की कमी होने पर सबसे पहला असर मांसपेशियों पर पड़ता है. टेस्टोस्टेरॉन का स्तर कम होने पर मांसपेशियां कमज़ोर होने लगती हैं. डॉक्टरी दवाओं के साथ-साथ नियमित रूप से एक्सरसाइज़ करके टेस्टोस्टेरोन के स्तर को धीरे-धीरे बैलेंस किया है.
फैट जमा होने पर: मोटापे से ग्रस्त पुरुषों के शरीर में अधिक फैट जमा रहता है और अधिक फैट जमा होने के कारण उनमें टेस्टोस्टेरोन की कमी आने लगती है.
याददाश्त कम होना: जिन पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन की कमी होने लगती है, धीरे-धीरे उनकी याददाश्त कमज़ोर होने लगती है.
सेक्स इच्छा में कमी: पुरुषों में कामेच्छा को बढ़ाने में टेस्टोस्टेरोन का अहम रोल होता है. लेकिन जब इस सेक्स हार्मोन के स्तर में कमी आती है, तो पुरुषों की सेक्स करने की इच्छा कम होने लगती है.
अधिक तनाव होना: बहुत अधिक मानसिक और शारीरिक तनाव लेने से भी शरीर में टेस्टोस्टेरोन का स्तर प्रभावित होता है. दोनों तरह का तनाव बढ़ने पर शरीर में कॉर्टिसोल का लेवल भी कम हो जाता है, जिसके कारण भी टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम होता है.
पर्याप्त नींद न लेना: जो पुरुष नियमित रूप से 8-10 घंटे की पूरी नींद नहीं लेते हैं, उनके टेस्टोस्टेरोन लेवल में कमी आने लगती है. पर्याप्त नींद न लेने का एक कारण तनाव भी है, जब शरीर में तनाव बढ़ता है, तो टेस्टोस्टेरोन का लेवल कम होने लगता है.
जब हो शरीर में टेस्टोस्टेरोन की कमी हो तो क्या करें?
- तनाव रहित रहने का प्रयास करें.
- मेटाबॉलिज्म को दुरस्त रखें.
- 8-10 घंटे की पूरी और अच्छी नींद लें,
- रोज़ाना 30-40 मिनट तक वर्कआउट करें.
- वर्कआउट रूटीन में वेटलिफ्टिंग भी शामिल करें.
- डायट में फैट्स की मात्रा कम करें. हो सके तो ज्यादा ट्रांस फैटवाला फूड नज़रअंदाज़ करें.
- डाइट में हेल्दी फूड खाएं, ताकि वजन नियंत्रित रहे.
- बेहतर होगा ज़रूरी काम निबटाकर समय पर सोने की आदत डालें और कम-से-कम 8-10 घंटे की नींद जरूर लें.
- पूनम कोठरी
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