दीपावली के दिन सुख-सौभाग्य-समृद्धि पाने के लिए वास्तु के अनुसार लक्ष्मी पूजन की विधि तथा घर की साफ़-सफ़ाई, सजावट, जैसे- लाइटिंग, रंगोली आदि कैसी होनी चाहिए, आइए जानते हैं.
दीपावली से पूर्व कैसी हो तैयारी?
दीपावली के शुभ अवसर पर घर की सजावट से पहले हर एक कमरे की अच्छी तरह साफ़-सफ़ाई करें, क्योंकि स्वच्छता से पॉज़िटिव एनर्जी आती है. धन-दौलत, सौैभाग्य, शोहरत आदि की प्राप्ति पॉज़िटिव एनर्जी से ही होती है.
* घर में पड़ी पुरानी, अनचाही, अनुपयोगी वस्तुएं एवं बंद पड़े इलेक्ट्रॉनिक उपकरण घर से बाहर निकाल दें.
* घर को ज़्यादा से ज़्यादा खुला और प्रकाशमय रखने की कोशिश करें, ताकि सकारात्मक ऊर्जा के संचार में रुकावट न आए.
* घर में ज़रूरत से अधिक फर्नीचर्स एवं डेकोरेटिव आइटम्स न रखें.
* मकान के हर एक कमरे की दीवार और सीलिंग को रंगवाने की कोशिश करें.
* पूरे घर में नमक मिले पानी से पोंछा लगाएं, ताकि गंदगी के साथ नकारात्मक ऊर्जा भी दूर हो जाए.
* फर्श के साथ ही फर्नीचर, तिजोरी, अलमारी आदि की भी नमक मिले पानी से सफ़ाई करें.
* आख़िर में शुद्धिकरण के लिए कमरे में सुगंधित अगरबत्ती या धूप बत्ती जलाना न भूलें.
कैसे करें मुख्य द्वार की सजावट?
मुख्य द्वार मकान की पहचान होता है. सौभाग्य, सफलता, धन-दौलत, शोहरत दिलाने वाली सकारात्मक ऊर्जा मुख्य द्वार से ही प्रवेश करती है. दीपावली के शुभ अवसर पर सकारात्मक ऊर्जा के स्वागत के लिए मुख्य द्वार की सजावट कैसी होनी चाहिए? आइए, हम आपको बताते हैं.
मुख्य द्वार के बाहर की सजावट
संपत्ति की प्राप्ति के लिए मुख्य द्वार की बाहरी सजावट इस तरह होनी चाहिएः
साफ़-सफ़ाईः दीपावली के दिन मुख्य द्वार के आस-पास और सामने वाली जगह की अच्छी तरह सफ़ाई करें.
स्वस्तिक चिह्नः मुख्य द्वार के सामने सिल्वर स्वस्तिक (बाज़ार में उपलब्ध) चिपकाएं. यह नकारात्मक ऊर्जा को रोकने में मददगार है.
अस्थमंगला चिह्नः सिल्वर स्वस्तिक के साथ ही अस्थमंगला चिह्न (बाज़ार में उपलब्ध) भी मुख्य द्वार पर लगाना न भूलें.
रंगोलीः मुख्य द्वार के सामने या आस-पास की खाली जगह पर रंगोली बनाएं. रंगोली के लिए ख़ासकर सेंधा नमक का इस्तेमाल करें. इससे नकारात्मक ऊर्जा मुख्य द्वार के भीतर प्रवेश नहीं कर पाएगी.
लक्ष्मी एवं गणेश की प्रतिमाः मुख्य द्वार के ऊपर या आस-पास माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा ज़रूर चिपकाएं.
मिट्टी के दीयेः मुख्य द्वार की चौखट पर मिट्टी के दीये रखें. साथ ही रंगोली पर भी दीये रखना न भूलें.
पद चिह्नः लक्ष्मी माता के स्वागत के लिए मुख्य द्वार से पूजा घर तक पद चिह्न (बाज़ार में उपलब्ध) इस तरह लगाएं, जैसे माता लक्ष्मी बाहर से भीतर की ओर आ रही हों.
तोरणः आख़िर में गेंदे के फूल और आम के पत्तों से बना तोरण मुख्य द्वार पर लगाएं. गेंदे के फूल और आम के पत्तों से बना तोरण सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है.
मुख्य द्वार के अंदर की सजावट
मुख्य द्वार के अंदर की सजावट निम्न तरी़के से करना शुभ होता हैः
पानी से भरा बाउलः ताज़े पानी से भरे बाउल में गुलाब की पंखुड़ियां डालकर मुख्य द्वार के पास पूर्व या उत्तर दिशा में रखें. ऐसा करने से सौभाग्य बढ़ता है और कमरे की रौनक भी दोगुनी हो जाती है.
शुभ सूचक चिह्नः मुख्य द्वार के भीतर उत्तर या पूर्व दीवार पर स्वस्तिक, ओम (बाज़ार में उपलब्ध) जैसे शुभ सूचक चिह्न लगाएं.
दीये की रंगोलीः मुख्य द्वार के भीतर दक्षिण-पूर्व दिशा में मिट्टी के दीये से रंगोली बनाएं. इससे घर आकर्षक दिखेगा और सौभाग्य की प्राप्ति होगी.
सौ रुपए की नोट पर रखें बाउलः दक्षिण-पूर्व दिशा में ताज़े पानी से भरे बाउल को सौ रुपए की नोट के ऊपर रखें. इससे व्यापार में वृद्धि होती है.
फ्लावर डेकोरेशनः दक्षिण-पश्चिम दिशा में मिट्टी से बने फ्लावर पॉट में पीले रंग के फूल रखें. इससे बचत और बरकत होती है.
पिगी बैंकः पश्चिम दिशा में पिगी बैंक रखें और दीपावली के दिन से ही उसमें पैसे डालें. ऐसा करना शुभ होता है.
क्रिस्टल बॉलः उत्तर दिशा में क्रिस्टल बॉल टांग दें.
कैसी हो लाइटिंग?
दीपावली को रोशनी का त्योहार कहते हैं. नकारात्मकता को दूर करने तथा सकारात्मक ऊर्जा के स्वागत के लिए दीपावली के दिन ख़ासकर दीप जलाएं जाते हैं, इसलिए दीपावली को दीपोत्सव भी कहते हैं. दीपावली के दिन अपने आशियाने को रोशन करने के लिए हम ख़ासकर मिट्टी के दीये और इलेक्ट्रॉनिक लाइटिंग का इस्तेमाल करते हैं. वास्तु के अनुसार आर्थिक संपन्नता के लिए लाइटिंग कैसी करें? आइए, जानते हैं.
इलेक्ट्रॉनिक लाइटिंग
अपने आशियाने को इलेक्ट्रॉनिक लाइटिंग से रोशन करते वक़्त इन बातों का ख़ास ख़्याल रखेंः
उत्तर/उत्तर-पूर्व दिशाः यदि आपके मकान का मुख्य द्वार उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में है, तो हरे और पीले रंग की लाइटिंग लगाएं.
पूर्व दिशाः यदि पूर्व दिशा में मकान का मुख्य द्वार है, तो पीले रंग की लाइट्स चुनें.
दक्षिण-पूर्व दिशाः यदि मुख्य द्वार दक्षिण-पूर्व दिशा में है, तो लाल रंग से लाइटिंग करें.
दक्षिण/दक्षिण-पश्चिम/पश्चिम दिशाः यदि मुख्य द्वार दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम या पश्चिम दिशा में है, तो लाल और नीले दोनों रंग की लाइटिंग का प्रयोग करें.
मिट्टी के दीये
अपने आशियाने को मिट्टी के दीयों से प्रकाशमय करते समय निम्न बातों को न भूलेंः
शुद्ध घी/सरसों के तेलः दीपावली के दिन दीया जलाने के लिए शुद्ध घी या सरसों के तेल का इस्तेमाल करें.
दीये में हो चार बातीः हर दीये में चार बाती हो. एक बाती लक्ष्मीजी, दूसरी गणेशजी, तीसरी कुबेर और चौथी इंद्र देव के लिए.
पांच दीये हैं ज़रूरीः कम से कम पांच दीये शुद्ध घी से जलाएं. एक दीये को किचन में, दूसरे को बेडरूम, तीसरे को लिविंग रूम, चौथे को वॉशरूम तथा पांचवें को यदि घर में अन्य कमरा है तो वहां रखें.
बाउंड्री वॉलः दीपावली के दिन बाउंड्री वॉल पर दीये जलाना न भूलें.
कैसी हो रंगोली?
रंगोली का इस्तेमाल अतिथि के सत्कार के लिए किया जाता है, परंतु दीपावली के लिए ख़ासकर लक्ष्मी माता के स्वागत के लिए हम रंगोली बनाते हैं. शुभ फल प्राप्ति के लिए कैसी हो रंगोली? आइए, जानते हैं.
कहां-कहां बनाएं रंगोली?
दीपावली के दिन मुख्य द्वार के सामने/आस-पास, पूजा घर और तुलसी के गमले के पास रंगोली ज़रूर बनाएं.
रंगोली के लिए कौन-से रंग चुनें?
* यदि घर का मुख्य द्वार पूर्व दिशा में है, तो रंगोली बनाते वक़्त पीले रंग का अधिक इस्तेमाल करें.
* मुख्य द्वार उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में है, तो हरे और पीले रंग से रंगोली बनाएं.
* दक्षिण-पूर्व दिशा वाले मुख्य द्वार पर लाल रंग से रंगोली बनाएं.
* यदि मुख्य द्वार दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम या पश्चिम दिशा में है, तो रंगोली बनाने के लिए लाल और नीला रंग चुनें.
रंगोली बनाते वक़्त रखें ख़ास ख़्यालः
* रंगोली बनाने के लिए सेंधा नमक का इस्तेमाल ज़रूर करें. यह अत्यंत शुभ होता है.
* बाज़ार में मिलने वाली रंगोली ख़रीदने की बजाय घर में ही रंगोली का रंग बनाएं, जैसे- सफ़ेद रंग के लिए चावल का आटा, पीले रंग के लिए बेसन का इस्तेमाल करें.
* बाज़ार में उपलब्ध रेडीमेड रंगोली जिसमें माता लक्ष्मी और गणेश जी की प्रतिमा बनी हो, उसे भूल से भी ज़मीन पर न चिपकाएं.
* इसी तरह फ़र्श पर रंगोली से स्वस्तिक या ओम बनाने की ग़लती भी न करें.
वास्तु के अनुसार लक्ष्मी पूजन की विधि
हालांकि ईश्वर की पूजा सदैव फलदायी होती है, लेकिन लक्ष्मी पूजन के दिन यदि विधिवत लक्ष्मीजी की पूजा की जाए, तो अतिशीघ्र शुभफल की प्राप्ति होती है. आइए, लक्ष्मी पूजन की विधि पर एक नज़र डालते हैं.
कहां करें लक्ष्मी पूजन?
मकान की उत्तर दिशा धन-संपत्ति की सूचक मानी जाती है, इसलिए इस दिशा में लक्ष्मी पूजन करना अत्यंत शुभ और शीघ्र फलदायी होता है.
कैसे करें लक्ष्मी पूजन की तैयारी?
* सबसे पहले भगवान की मूर्ति (ख़ासकर लक्ष्मी, गणेश, कुबेर और इंद्र देव) को साफ़ और सूखे कपड़े से अच्छी तरह पोंछ लें.
* मूर्तियों को पूजाघर की उत्तर-पूर्व दिशा में विराजमान करें.
* प्रतिमाएं रखते वक़्त सबसे पहले माता लक्ष्मी, फिर गणेश, कुबेर और इंद्र देव की प्रतिमा स्थापित करें.
* इस बात का ख़ास ध्यान रखें कि भगवान की प्रतिमाओं का मुख पूजाघर के दरवाज़े के ठीक सामने न हो.
* साथ ही एक भगवान की दो प्रतिमाएं पूजा स्थल पर न रखें.
* पूजाघर के पूर्व या उत्तर दिशा में पानी से भरा कलश स्थापित करें.
कैसे करें लक्ष्मी पूजन?
* देशी घी का दीपक, धूप बत्ती और अगरबत्ती जलाकर पूजा की शुरुआत करें.
* सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा करें.
* गणेश पूजन के बाद नवग्रह पूजें.
* इसके बाद माता लक्ष्मी का आवाहन करें.
* माता लक्ष्मी की मूर्ति को पंचामृत (गंगा जल, दूध, दही, घी और शहद से बना) से स्नान करवाएं.
* इसके पश्चात लक्ष्मी जी की मूर्ति को गंगा जल से भरे बर्तन में डुबोकर साफ़-सूखे कपड़े से अच्छी तरह पोंछ लें.
* लक्ष्मी मां की मूर्ति को स्थापित करें और तिलक लगाकर फूल चढ़ाएं.
* लक्ष्मी माता को वस्त्र (कपड़े) और श्रृंगार की सामग्री जैसे- चूड़ी, सिंदूर आदि भी चढ़ाएं.
* फिर धूप-दीप दिखाते हुए लक्ष्मी कथा का वाचन करें.
* लक्ष्मी माता को भोग चढ़ाएं और उन्हें दक्षिणा दें.
* श्रद्धाभाव से लक्ष्मी मां की आरती करें.
* आख़िर में एक बार फिर माता लक्ष्मी को पुष्प अर्पण करते हुए हाथ जोड़कर उनसे प्रार्थना करें.